Dalai Lama ने China की खुलकर की आलोचना, बोले-भारत में शांति से रहना चाहता, मित्रों को देखने जाना चाहता हूं चीन

1959 में चीनी शासन के खिलाफ एक असफल विद्रोह के बाद दलाई लामा भारत में शरण लिए हुए हैं। जीवन में एक बार चीन अपने दोस्तों और परिचितों से मिलने जाना चाहते हैं लेकिन शी जिनपिंग से मिलने का कोई इरादा नहीं है।

Dheerendra Gopal | Published : Nov 10, 2021 11:25 AM IST / Updated: Nov 10 2021, 04:57 PM IST

टोक्यो। तिब्बत (Tibet) के आध्यात्मिक गुरु (Spiritual Leader) दलाई लामा (Dalai Lama) ने चीन (China) की आलोचना करते हुए साफ तौर पर कहा है कि वह भारत (India) में रहने को प्राथमिकता देंगे। चीन के नेताओं (Chinese Leaders) की आलोचना करते हुए दलाई लामा ने कहा कि चीन के नेता विभिन्न संस्कृतियों की विविधता को नहीं समझते हैं। वहां मुख्य तौर पर हान जातीय समूह (Han ethnic group) का सबसे अधिक नियंत्रण और प्रभाव है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि चीन के लोग के खिलाफ एक इंसान के रूप में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। 

तिब्बती बौद्ध गुरु दलाई लामा बुधवार को टोक्यो में एक ऑनलाइन न्यूज सेमीनार को संबोधित कर रहे थे। क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय को शिनजियांग (Xinjiang)के पश्चिमी क्षेत्र में अल्पसंख्यकों के दमन पर बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक का बहिष्कार करने पर विचार करना चाहिए? इस सवाल के जवाब में दलाई लामा ने कहा कि सभी धर्मों का सम्मान होना चाहिए। चीन के कम्युनिस्ट नेताओं को जानता हूं, उनके विचार अच्छे हैं लेकिन वह कभी कभी बहुत एक्सट्रिमिस्ट और अति संकीर्ण हो जाते हैं। उम्मीद है कि चीन के कम्युनिस्ट नेताओं (Communist leaders) की नई पीढ़ी इन बातों को समझ सकेगी। 
उन्होंने कहा कि वह माओ (Mao Tse Tung)के समय से कम्युनिस्ट नेताओं को जानते हैं। उनके विचार अच्छे हैं, अब नई पीढ़ी के नेताओं से चीन में चीजें बदल सकती हैं। उन्होंने कहा कि तिब्बत हो या शिनजियांग, हम सबकी अलग और अनूठी संस्कृति है। चीनी कम्युनिस्ट नेता अधिक संकीर्ण सोच वाले हैं, वे विभिन्न संस्कृतियों की विविधता को नहीं समझते हैं।

अब बूढ़ा हो रहा हूं... एक बार चीन जाकर दोस्तों से मिलना चाहता

दलाई लामा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि उनकी चीन के नेता शी जिनपिंग से मिलने की कोई योजना नहीं है। न ही मिलना चाहते हैं। लेकिन उन्होंने कहा कि "मैं बूढ़ा हो रहा हूं", एक बार फिर से चीन की यात्रा करना चाहता हूं, पुराने दोस्तों को देखना चाहता हूं। उनसे मिलना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि लाख शिकायतों के बावजूद भारत धार्मिक सद्भाव की अद्भुत मिसाल है। मैं यहा शांति से रहना चाहता हूं।

चीन ने 1950 में तिब्बत पर कर लिया था कब्जा

1950 में अपने सैनिकों के इस क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद चीन ने तिब्बत पर नियंत्रण कर लिया था जिसे वह "शांतिपूर्ण मुक्ति" कहता है। तब से तिब्बत देश के सबसे प्रतिबंधित और संवेदनशील क्षेत्रों में से एक बना हुआ है। बीजिंग, दलाई लामा को एक खतरनाक "विभाजनवादी" या अलगाववादी के रूप में मानता है। 1959 में चीनी शासन के खिलाफ एक असफल विद्रोह के बाद दलाई लामा भारत में शरण लिए हुए हैं। उन्होंने अपनी दूरस्थ, पहाड़ी मातृभूमि में भाषाई और सांस्कृतिक स्वायत्तता के लिए वैश्विक समर्थन प्राप्त करने के लिए दशकों तक काम किया है।

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