यूएई के नियोक्ता पाकिस्तानियों की बजाय भारत और श्रीलंका के श्रमिकों को अधिक पसंद करते, पाकिस्तान के जर्नलिस्ट ने बताई वजह

Published : May 06, 2024, 03:29 PM ISTUpdated : May 07, 2024, 01:04 AM IST
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सार

पाकिस्तानी पत्रकार की टिप्पणी एक बहुआयामी मुद्दे को उजागर करती है जो दुबई में पाकिस्तानी मजदूरों की कार्य नीति, धार्मिक प्रथाओं और समग्र आचरण पर ध्यान आकर्षित करती है।

UAE job market prefers Indian workers: यूएई जैसे देशों में पाकिस्तानी श्रमिकों की बजाय भारतीय व श्रीलंकाई श्रमिकों को प्राथमिकता मिलती है। पाकिस्तान के एक सीनियर जर्नलिस्ट ने टीवी परिचर्चा में कहा कि संयुक्त अरब अमीरात में काम करने वाले पाकिस्तानियों की बजाय भारतीय और श्रीलंकन श्रमिकों को अधिक पसंद किया जाता है। वह अपने काम पर फोकस करते हैं जबकि पाकिस्तान के श्रमिक अपने देश के राजनैतिक संकट पर यहां भी प्रदर्शन को आमादा हो जाते हैं। पाकिस्तानी पत्रकार की टिप्पणी एक बहुआयामी मुद्दे को उजागर करती है जो दुबई में पाकिस्तानी मजदूरों की कार्य नीति, धार्मिक प्रथाओं और समग्र आचरण पर ध्यान आकर्षित करती है।

 

 

दरअसल, सेठी से सवाल नामक शो के दौरान पाकिस्तान के सीनियर जर्नलिस्ट से विशेष रूप से भारतीयों की तुलना में पाकिस्तानियों के लिए यात्रा और रोजगार वीजा जारी करने को निलंबित करने के यूएई के फैसले के बारे में सवाल किया गया था। रिपोर्ट में इस असमानता के पीछे के कारणों को समझने की कोशिश की गई।

सवाल का जवाब देते हुए नजम सेठी ने कहा कि राजनीतिक भागीदारी के खिलाफ यूएई का सख्त रुख कुछ पाकिस्तानियों की सड़क पर विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की प्रवृत्ति से टकराता है। यूएई में किसी प्रकार के धरना प्रदर्शन पर प्रतिबंध है और पाकिस्तानी श्रमिक यहां आकर भी यह कई बार जारी रखते हैं। जैसे बीते दिनों यूएई के अधिकारी ने बताया था कि पाकिस्तानी इमरान खान के समर्थन में विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं और व्यवधान पैदा कर रहे हैं। उन्होंने बताया था कि यूएई में इस राजनीति की अनुमति नहीं है। उन्होंने पाकिस्तानियों से पूछा कि वे क्या कर रहे हैं और उनसे अपनी धरती पर राजनीति करना बंद करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अगर यह जारी रहा तो वे पाकिस्तानियों के लिए वीजा जारी करने के नियमों को सख्त कर देंगे। उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तानी समुदाय ने मान लिया है कि दुबई लंदन है जहां वे सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं। दुबई में कोई लोकतंत्र या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है और वे अपने देश को इसी आधार पर कड़े नियंत्रण के साथ चलाते हैं। दुबई नहीं चाहेगा कि पाकिस्तानियों के बीच लड़ाई हो और भारतीयों के साथ उनकी लड़ाई उनकी धरती पर आए।

पत्रकार नजम सेठी ने पाकिस्तान और भारतीय श्रमिकों के बीच वर्क एथिक्स पर भी प्रकाश डाला। अमीराती नियोक्ताओं द्वारा माना जाता है कि पाकिस्तानी श्रमिक अक्सर कम मेहनती और काम के घंटों के दौरान धार्मिक गतिविधियों में शामिल भी होते हैं। जबकि भारतीय या श्रीलंकाई मजदूर अपने काम को प्राथमिकता देते हैं और ड्यूटी के दौरान अन्य गतिविधियों में कम लिप्त मिलते हैं।

सेठी ने एक किस्सा साझा किया। बताया कि एक कंपनी के बड़े अधिकारी के यहां पाकिस्तानी सिक्योरिटी गार्ड गेट पर रहता था। उन्होंने बताया कि वह धार्मिकता को अपने प्रोफेशनलिज्म में शामिल ही नहीं बल्कि सर्वोपरि रखता था। कंपनी के एमडी ने उनको बताया कि जब भी वह गेट पर आते तो गेट पर कई बार हार्न बजाना पड़ता। चूंकि, कंपनी एमडी भी मुस्लिम थे और गार्ड भी लेकिन वह पांचों वक्त नमाज पढ़ता था। और आराम से गेट खोलने आता था। कई बार रात में ड्यूटी से अनुपस्थित रहता। फिर उस एमडी ने बताया कि पाकिस्तानी सुरक्षा गार्ड से काम नहीं चलने की स्थिति में उसने भारतीय या श्रीलंकाई गार्ड रखने का फैसला किया। नजम सेठी ने कहा कि यूएई, दुबई पाकिस्तान की मदद करना चाहता है लेकिन काम के साथ समझौता भी तो नहीं किया जा सकता।

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