रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia Ukraine War) का 11 मार्च को 16वां दिन है। इस भीषण लड़ाई का असर दुनियाभर पर दिखाई देगा। कीव स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अनुसार, यूक्रेन से कई महीनों निर्यात नहीं हो सकेगा। इससे वैश्विक स्तर पर 400 मिलियन लोग प्रभावित हो सकते हैं। वहीं, रूस ने यूक्रेन छोड़ रहे अधिकारियों की सूची मांगी है।
वर्ल्ड न्यूज डेस्क.रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia Ukraine War) का 11 मार्च को 16वां दिन है। इस भीषण लड़ाई का असर दुनियाभर पर दिखाई देगा। कीव स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अनुसार, यूक्रेन से कई महीनों निर्यात नहीं हो सकेगा। इससे वैश्विक स्तर पर 400 मिलियन लोग प्रभावित हो सकते हैं। वहीं, रूस ने यूक्रेन छोड़ रहे अधिकारियों की सूची मांगी है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि यह समय युद्ध प्रभावितों को समर्थन देने और उनके प्रति एकजुटता दिखाने का है।
Russia Ukraine War:मानवीय गलियारे में एक पेंच
कीव इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के अनुसार कीव, चेर्निहाइव, सूमी, खार्किव और मारियुपोल(Kyiv, Chernihiv, Sumy, Kharkiv, and Mariupol) के लिए गलियारों की योजना बनाई गई है। लेकिन रूस ने यूक्रेन से सभी निकासी वाहनों और उनके साथ आने वाले अधिकारियों की सूची की मांग कर रहा है। उसने रेड क्रॉस प्रतिनिधियों को छोड़कर किसी भी संचार उपकरण(Communication Equipmen) को प्रतिबंधित किया है। बता दें कि रूस ने हर दिन सुबह 10 बजे अपनी ओर से मानवीय गलियारा बनाने का वादा किया है, ताकि युद्ध में फंसे नागरिकों को निकाला जा सके या उन्हें मानवीय सहायता पहुंचाई जा सके।
कीव के करीब पहुंची रूसी सेना
रूसी सेना कीव के काफी करीब पहुंच गई है। यूक्रेन के शिक्षा मंत्री ने दावा किया है कि रूस ने यूक्रेन में 280 स्कूल-कॉलेज तबाह कर दिए हैं। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि रूस ने कभी युद्ध नहीं चाहा। वो तो अभी चल रहे युद्ध को भी खत्म करने की मांग उठाता रहा है। यूक्रेन और टर्की के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक के बाद लावरोव ने कहा कि वे कीव की सुरक्षा गारंटी पर बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं। उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदोमिर जेलेंस्की के बीच बैठक की संभावना से भी इनकार नहीं किया। उन्होंने न्यूक्लियर युद्ध की आशंका से भी इनकार किया।
उद्योग-धंधे सबकुछ तबाह
जैसे-जैसे सर्दी कम होती है, यूक्रेन के किसान अपने खेतों में गेहूं, सूरजमुखी और अन्य प्रकार के अनाज के बीज बोते हैं और पोल्ट्री फार्मों की ओर रुख करते हैं। यह पैदावर पैदावार दुनिया भर में भेजी जाती है। लेकिन इस साल ऐसा नहीं हो सका। खेतों और पशुओं को छोड़ दिया गया है। लाखों हेक्टेयर खेत सूने पड़े हैं। दुनिया इस युद्ध को एक मानवीय संकट के तौर पर देख रही है। गेहूं, मक्का, सूरजमुखी तेल, सोयाबीन और जौ के साथ-साथ मुर्गी और अंडे आदि वैश्विक खाद्य आपूर्ति का बड़ा हिस्सा यूक्रेन से आता है, जो वैश्विक खाद्य बाजार का 15% हिस्सा है। भारत, चीन, मिस्र, तुर्की, पोलैंड और जर्मनी सबसे बड़े आयातकों में से हैं। इस सीजन में, यूक्रेन की खाद्य आपूर्ति का इंजन ठप हो गया है। अर्थशास्त्री और कृषि विशेषज्ञ एंड्री यार्मक आशंका जताते हैं कि रूसी आक्रमण के परिणामस्वरूप दुनिया भर में कुपोषण के कारण कई मौतें हो सकती हैं। उनका अनुमान है कि यूक्रेन कई महीनों तक कुछ भी निर्यात नहीं कर पाएगा और कहता है कि युद्ध पूर्व उत्पादन स्तर तक पहुंचने में सालों लगेंगे।
16 दिन हो गए युद्ध को
रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग (Russia Ukraine War) का 11 मार्च को 16वां दिन है। 24 फरवरी, 2022 इतिहास में एक विध्वंसक निर्णय के लिए जाना जाएगा। इसी दिन भारतीय समयानुसार सुबह 8.30 बजे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन(Russian President Vladimir Putin) ने यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई का ऐलान किया था। इसके बाद रूस की सेना ने यूक्रेन पर हवाई हमले शुरू कर दिए। इन हमलों बाद यूक्रेन की राजधानी कीव(Kyiv) के अलावा खार्किव, मारियुपोल और ओडेसा(Kharkiv, Mariupol and Odessa) में बर्बादी के मंजर दिखाई देने लगे हैं।