
वॉशिंगटन। अगर आप अमेरिका में बसने या नौकरी के लिए जाने का सपना देख रहे हैं और आपको डायबिटीज़, दिल की बीमारी या कोई पुरानी स्वास्थ्य समस्या है, तो यह खबर आपके लिए बेहद अहम है। ट्रंप प्रशासन ने वीज़ा और ग्रीन कार्ड के नियमों को सख्त कर दिया है-अब पुरानी बीमारियां भी वीज़ा रिजेक्शन की वजह बन सकती हैं।
नए अमेरिकी दिशानिर्देशों के तहत, वीज़ा अधिकारी अब आवेदकों की स्वास्थ्य स्थिति पर भी नज़र डालेंगे। अगर किसी व्यक्ति को ऐसी बीमारी है जिसके इलाज में "लाखों डॉलर" खर्च हो सकते हैं, तो उन्हें वीज़ा से वंचित किया जा सकता है।
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इन बीमारियों को अमेरिका अब संभावित पब्लिक चार्ज (Public Charge) संकेतक मान रहा है, यानी ऐसे व्यक्ति जो भविष्य में सरकार पर आर्थिक बोझ बन सकते हैं।
“पब्लिक चार्ज” एक पुराना अमेरिकी इमिग्रेशन नियम है, जिसके तहत ऐसे लोगों को अमेरिका में बसने की अनुमति नहीं दी जाती जो सरकारी मदद पर निर्भर हो सकते हैं। पहले यह केवल संक्रामक बीमारियों (जैसे TB) पर लागू था, लेकिन अब इसका दायरा बढ़ाकर पुरानी गैर-संक्रामक बीमारियों तक कर दिया गया है।
नए नियम के अनुसार, वीज़ा एप्लीकेंट को यह साबित करना होगा कि उसके पास पूरी ज़िंदगी तक इलाज के खर्च उठाने की क्षमता है- बिना किसी सरकारी मदद के। अगर वीज़ा अधिकारी को लगता है कि व्यक्ति भविष्य में “Public Charge” बन सकता है, तो उसका वीज़ा रिजेक्ट किया जा सकता है।
जी हां। अब वीज़ा अधिकारी मेडिकल स्थिति देखकर तय कर सकेंगे कि कोई व्यक्ति अमेरिका के लिए "फाइनेंशियल रिस्क" है या नहीं। विशेष बात यह है कि यह फैसला अधिकारी लेंगे, जो ज़रूरी नहीं कि मेडिकल एक्सपर्ट हों। इमिग्रेशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे कई ईमानदार और मेहनती एप्लीकेंट्स सिर्फ हेल्थ कंडीशन के कारण वीज़ा से वंचित रह सकते हैं।
सरकारी दस्तावेज़ों के अनुसार, यह नियम तकनीकी रूप से सभी वीज़ा आवेदकों पर लागू है- चाहे वो पर्यटक (B1/B2) हों या स्टूडेंट (F1)। हालांकि, फिलहाल इसका असर स्थायी इमिग्रेशन (ग्रीन कार्ड) वालों पर ज्यादा पड़ेगा।
कई मानवाधिकार समूहों का कहना है कि यह नीति “स्वस्थ और अमीर” लोगों के पक्ष में है। यह बुजुर्ग, बीमार या मध्यमवर्गीय आवेदकों के लिए वीज़ा की राह कठिन बना सकती है। कुल मिलाकर, अमेरिका अब सिर्फ फिट और फाइनेंशियली स्ट्रॉन्ग लोगों को ही वीज़ा देने की दिशा में बढ़ रहा है।
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