
Operation Many ways: इजरायल ने सीरिया में एक बड़े खुफिया मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। इजरायली कमांडोज ने ऑपरेान मेनी वेज़ मिशन को अंजाम देने के साथ पश्चिमी सीरिया में ईरान के सहयोग से कथित तौर पर मैन्युफैक्चर हो रहे मिसाइल्स के फैसिलिटी को नेस्तनाबूद कर दिया है। इस ऑपरेशन में 120 कमांडोज शामिल रहे।
गुरुवार को इजराइली वायुसेना (IAF) ने अपने मिशन की जानकारियों को साझा किया। खुफिया मिशन में 120 इजराइली कमांडो ने सीरिया में एक कथित ईरान-समर्थित मिसाइल निर्माण केंद्र को नष्ट कर दिया। ऑपरेशन मेनी वेज़ मिशन को 8 सितंबर 2024 को अंजाम दिया गया था।
ऑपरेशन मेनी वेज़ को शुरू तब किया गया जब उसे खुफिया तौर पर सीरिया में ईरान के सहयोग से बन रहे मिसाइल मैन्युफैक्चरिंग सेंटर का पता लगा। इस फैसिलिटी को डीप लेयर के नाम से जाना जाता था। यह पश्चिमी सीरिया के मसयाफ एरिया में स्थित है। डीप लेयर को ईरान के मिसाइल प्रोडक्शन प्रोग्राम का प्रमुख प्रोजेक्ट माना जा रहा था। इजरायली अधिकारियों ने दावा किया कि इस फैसिलिटी का उपयोग हिजबुल्लाह और सीरियाई शासन को मिसाइल सप्लाई के लिए किया जाता था।
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ईरान के सीरिया के मसयाफ में साल 2017 में इस सेंटर का निर्माण शुरू किया था। डीप लेयर का कंस्ट्रक्शन उस समय हुआ था जब इजरायली हमले में जमीन के ऊपर स्थित रॉकेट इंजन निर्माण केंद्र को नष्ट कर दिया गया था। यह केंद्र 70 से 130 मीटर गहराई में पहाड़ के भीतर था। 2021 से इसे ऑपरेशनल बना दिया गया था। यहां हर साल 100 से 300 मिसाइलों का प्रोडक्शन हो सकता था। यह मिसाइल 300 मीटर तक मार करने में सक्षम थीं।
डीप लेयर फैसिलिटी का स्ट्रक्चर घोड़े की नाल के आकार का था। इसमें तीन मेन एंट्री गेट थी। एक से रॉ मेटेरियल्स, दूसरे से मिसाइल्स और तीसरे से लॉजिस्टिक्स की एग्जिट या एंट्री होती थी। यहां 16 प्रोडक्शन रूम्स थे जिसमें रॉकेट फ्यूल, मिसाइल प्रोडक्शन, पेंटिंग की अलग-अलग सुविधाएं थीं।
ऑपरेशन मेनी वेज़ को अंजाम देने के लिए इजरायली खुफिया एजेंसी कई सालों से इसकी जानकारी जुटा रहा था। एक साल पहले इजरायल के स्पेशल कमांडोज को ऑपरेशन के लिए आदेश दिया गया। एक साल की तैयारियों के बाद कमांडोज ने बीते 8 सितंबर 2024 को इसे अंजाम दिया। दरअसल, अक्टूबर 2023 में हिजबुल्ला और हमास के साथ युद्ध के दौरान इजरायल ने इस ऑपरेशन को प्रायोरिटी बेसिस में किया।
इजरायली सैन्य सर्विस की शालडाग यूनिट ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। शालडाग यूनिट लंबी दूरी पर घुसपैठ की महारथी मानी जाती है। इसके अलावा यूनिट में 669 यूनिट भी शामिल रही जो रेस्क्यू और मेडिकल हेल्प पहुंचाती है। इसके लिए दो महीने की स्पेशल ट्रेनिंग भी दी गई। इसके बाद 100 कमांडोज और 20 मेडिकल स्टाफ, चार CH-53 "यासुर" हेलीकॉप्टरों में सवार हुए। इनके साथ 21 फाइटर जेट, 14 ड्रोन, और 5 टोही विमान थे। रडार से बचते हुए ये कम ऊंचाई पर उड़ान भरते हुए सीरियाई आसमान में पहुंचे। यहां से सीधे फैसिलिटी के पास किसी तरह तरह पहुंचे।
आईडीएफ ने बताया कि कमांडोज ने डीप लेयर के चारों ओर सुरक्षा घेरा बनाते हुए भारी गेट्स को खोलने के लिए ऑन-साइट फोर्कलिफ्ट का उपयोग किया। इसके बाद मशीनों पर विस्फोटक फिट किए। इसके लिए करीब 300 किलो एक्सप्लोसिव इस्तेमाल किया गया। जब विस्फोट कराया गया तो आसपास के क्षेत्र में भूकंप जैसी स्थितियां देखने को मिली। मिशन तीन घंटे से कम समय में सफलता हो गया।
IDF के अनुसार, ऑपरेशन मेनी वेज़ में उसके सारे सैनिक सुरक्षित हैं लेकिन विरोधी पक्ष के 30 सीरियाई सैनिकों को मार गिराया गया है। सीरियाई मीडिया ने दावा किया है कि डीप लेयर विस्फोट में 14 जानें गई हैं 30 से अधिक घायल हैं।
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