Operation Kaveri: यूक्रेन के मुकाबले कितना मुश्किल है सूडान में ऑपरेशन चलाना? जानिए क्या हैं चुनौतियां?

सूडान में एयर स्पेस पूरी तरह बंद हैं ऐसे में कोई भी विमान उड़ान नहीं भर सकता। इसलिए ये ऑपरेशन सूडान में समुद्री मार्ग से किया जा रहा है।

नई दिल्ली: सूडान में फंले भारतीय नागरिकों को बाहर निकालने की कवायद शुरू हो चुकी है। सूडान से भारतीयों को बाहर निकालने के लिए सोमवार से ऑपरेशन कावेरी शुरू हो गया है। इस बीच 500 भारतीय सूडान पोर्ट पहुंचे, जो आईएनएस सुमेधा से इन जेद्दा पहुंचेगे और फिर वहां से उन्हें एयरफ्राफ्ट के जरिए भारत वापस लाया जाएगा। बता दें कि सूडान में एयर स्पेस पूरी तरह बंद हैं ऐसे में कोई भी विमान उड़ान नहीं भर सकता। इसलिए ये ऑपरेशन सूडान में समुद्री मार्ग से किया जा रहा है।

ऐसे में हो सकता है, सूडान से भारतीय को उस गति से नहीं निकाला जा सके जिस गति से यूक्रेन से निकाला गया था। इसकी सबसे बड़ी वजह देश में सिविल वार का होना है। इसके अलावा जंग में पहले ही हवाईअड्डे को तबाह हो चुके हैं। इसके अलावा कोई देश यह नहीं चाहता कि ऑपरेशन के दौरान नागरिकों को निशाना बनाया जाए।

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सूडान में चल रहा है गृहयुद्ध

यूक्रेन के मुकाबले सूडान में ऑपरेशन अंजाम देना इसलिए मुश्किल हैं, क्योंकि वहां सिविल वार चल रही है। देश में सेना और अर्ध सैनिक बल युद्ध लड़ रहे हैं। दोनों ही ओर से ज़बरदस्त फ़ायरिंग हो रही है और वो किसी को बख्श नहीं रहे हैं।

कोई भी देश ये नहीं चाहता कि जब हम अपने लोगों को निकाल रहे हों तो हमारे दस्ते पर ही हमला हो जाए।

यूक्रेन से कितना अलग है सूडान में चल रहा ऑपरेशन?

बता दें कि यूक्रेन में जो युद्ध हो रहा था वो दो देशों के बीच था और जब ऑपरेशन शुरू होने की बात हुई तो सत्ता यूक्रेन के पास ही थी। वहीं, एग्जिट रूट रूस के पास थे। ऐसे में भारत ने दोनों देशों से बात की और अपने लगभग 20000 लोगों को निकाल लिया।

यूक्रेन के पड़ोसी देशों की सरकारें थीं मजबूत

इसके अलावा यूक्रेन के पड़ोस में जितनी भी देश थे। वहां कि सरकारें मजबूत थीं और वहां कोई राजनीतिक अस्थिरता नहीं थी। ऐसे में चाहे रोमानिया हो, पोलैंड हो या फिर हंगरी। सभी देशों ने भी विदेशी नागरिकों को बाहर निकाले जाने के लिए रूट दिया। वहीं, सूडान में दो ही पार्टियां आपस में लड़ रही हैं और ऐसे में ह्यूमेनिटेरियन कॉरिडोर बनाने का काम मुश्किल हो जाता है।

खर्तूम से काफी दूर है पोर्ट  

लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए सबसे बड़ी जरूरत है एयरपोर्ट। खर्तूम से पोर्ट तक की दूरी काफी ज्यादा है। ऐसे में सुरक्षित एयरपोर्ट सबसे जरूरी है। ऐसे माहौल में खर्तूम से लोगों को निकाल कर पोर्ट तक लाना जोखिम भरा काम है। लोगों को एयरलिफ्ट करके ही राजधानी से बाहर निकालना सुरक्षित है। चूंके वहां के एयरपोर्ट सुरक्षित नहीं हैं। देश में जारी जंग नें पहली ही खर्तूम एयरपोर्ट को निशाना बनाया जा चुका है। इसलिए यह सुरक्षित नहीं है।

यह भी पढ़ें- Operation Kaveri in Sudan: समुद्री रास्ते से जेद्दा जाएंगे भारतीय नागरिक, फिर होगी घर वापसी

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