Explainer: क्या पृथ्वी की मेंटल तक पहुंचने वाला पहला जहाज बनेगा चीन का मेंगजियांग?

मेंगजियांग का चीनी भाषा में अर्थ 'सपना' है। यह 10.94km गहराई तक ड्रिलिंग कर सकता है। चीन इससे पृथ्वी की मेंटल तक पहुंचने की कोशिश करेगा।

 

Vivek Kumar | Published : Dec 29, 2023 12:23 PM IST / Updated: Dec 29 2023, 06:06 PM IST

नई दिल्ली। चीन ने अपने पहले समुद्री ड्रिलिंग पोत को सार्वजनिक किया है। इसका नाम मेंगजियांग (Mengxiang) है। चीनी भाषा में इसका मतलब 'सपना' है। यह जहाज पृथ्वी की परत को पारकर उसके मेंटल तक ड्रिलिंग करने के लिए बनाया गया है। जानें क्यों खास है मेंगजियांग?

मेंगजियांग का निर्माण चीन भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के साथ-साथ 150 अनुसंधान संस्थानों और कंपनियों द्वारा किया गया है। इस जहाज पर करीब 33 हजार टन सामान लोड किया जा सकता है। यह एक बार में 27,800km की यात्रा कर सकता है। एक बार पोर्ट से निकलने के बाद यह लगातार तीन महीने तक समु्द्र में रह सकता है।

मेंगजियांग समुद्र की सतह से 10.94 किलोमीटर गहराई तक खुदाई कर सकता है। इस जहाज पर दुनिया की सबसे बड़ी लेबोरेटरी है। यह पता लगाएगा कि समुद्री ऊर्जा संसाधनों, राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा और समुद्री ऊर्जा निर्माण का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है। मेंगजियांग को भले ही चीन ने ड्रिलिंग कर पृथ्वी के मेंटल तक पहुंचने के लिए तैयार किया है, लेकिन यह इतना आसान नहीं है। गहराई बढ़ने के साथ ही दवाब और तापमान तेजी से बढ़ता है।

हुनान यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर वान बायन के अनुसार, “सैद्धांतिक डिजाइन की गहराई और व्यावहारिक संचालन के बीच अंतर है। समुद्र तल पर अधिक तापमान और दबाव 7,000 मीटर से नीचे ड्रिलिंग के लिए कठिनाइयां पैदा करते हैं।"

क्यों महत्वपूर्ण है मेंगजियांग?

मेंगजियांग पहला पोत है जो खुदाई कर धरती के मेंटल तक पहुंच सकता है। पृथ्वी तीन लेयर कोर, मेंटल और क्रस्ट से बनी है। कोर पृथ्वी की सबसे भीतरी और क्रस्ट सबसे बाहरी परत है। मेंटल इनके बीच में है। क्रस्ट वह परत है जिसपर इंसान और अन्य जीव रहते हैं। यह करीब 15 हजार मीटर मोटा है। मेंटल करीब 2,900 किलोमीटर मोटा है। नेशनल ज्योग्राफिक के अनुसार इसमें पृथ्वी का लगभग 84 प्रतिशत आयतन शामिल है। यह पृथ्वी के लैंड मास का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा है।

मेंटल को ऊपरी मेंटल, संक्रमण क्षेत्र, निचले मेंटल और डी डबल-प्राइम में बांटा गया है। मेंटल तक अभी इंसान नहीं पहुंच सका है। इसके रहस्यों से पर्दा उठना बाकी है। अभी तक क्रस्ट को भेदकर मेंटल तक ड्रिलिंग नहीं हुई है। मेंटल की रिसर्च से प्लेट टेक्टोनिक्स के काम के बारे में बेहद अहम जानकारी मिल सकती है।

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समुद्र से जलने वाला बर्फ तलाश रहा चीन

धरती के मेंटल तक पहुंचे और रिसर्च के अलावा भी इस जहाज का इस्तेमाल किया जा सकता है। रिपोर्ट्स के अनुसार चीन ने यह जहाज समुद्र के नीचे से 'ज्वलनशील बर्फ' निकालने की संभावना तलाशने के लिए तैयार किया है। ये पानी के अणुओं के बर्फ जैसे यौगिक हैं जिनमें फंसी हुई प्राकृतिक गैस (मुख्य रूप से मीथेन ) होती है। इसे ऊर्जा का पर्यावरण-अनुकूल स्रोत नहीं माना जाता है। बीजिंग का अनुमान है कि उसके जल में लगभग 80 अरब टन संभावित ज्वलनशील बर्फ है।

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