मीन राशि चक्र की बारहवीं यानी अंतिम राशि है। इस राशि का प्रतीक चिह्न मछली है। इस राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं।
क्या आप जानते हैं कि जीभ देखकर किसी मनुष्य के व्यक्तित्व के बारे में भी जाना जा सकता है। सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार मनुष्य की जीभ देखकर उसके स्वभाव, व्यक्तित्व और गुणों-अवगुणों के बारे में भी जाना जा सकता है।
ज्योतिष शास्त्र में राहु को पाप और क्रूर ग्रह माना गया है। राहु के कारण ही घटना-दुर्घटना के योग बनते हैं। राहु के कारण व्यक्ति पागलपन का भी शिकार हो सकता है। लाल किताब के अनुसार, घर में कुछ खास स्थान जैसे शौचालय और सीढ़ियां राहु से प्रभावित होती हैं।
कुंभ राशि चक्र की ग्यारहवीं राशि है। कुंभ राशि का चिह्न घड़ा लिए खड़ा हुआ व्यक्ति है। इस राशि के स्वामी शनि हैं।
ज्योतिष शास्त्र में जन्म कुंडली के अनेक शुभ-अशुभ योगों के बारे में बताया गया है। कुछ योगों के कारण व्यक्ति को बिना कुछ किए ही सभी सुख-सुविधाएं मिल जाती हैं ऐसे ही 3 शुभ योग हैं रज्जू, मूसल और नल।
राशि चक्र की दसवीं राशि मकर है। इसके स्वामी शनिदेव हैं। जिन लोगों का नाम भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी अक्षर से शुरू होता है, वे मकर राशि के होते हैं।
उज्जैन. 25 फरवरी, गुरुवार को माघ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। इस दिन सूर्योदय पुष्य नक्षत्र में होगा, जो दोपहर 1.18 तक रहेगा। इसके बाद अश्लेषा नक्षत्र दिन भर रहेगा। गुरुवार को पहले पुष्य नक्षत्र होने से शुभ और उसके बाद अश्लेषा नक्षत्र होने से अमृत नाम के 2 शुभ योग इस दिन बन रहे हैं। इनके अलावा इस दिन सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि नाम के 2 अन्य शुभ भी बन रहे हैं। जानिए कैसा बीतेगा आपका दिन…
हस्तरेखा शास्त्र में हथेली में मौजूद विभिन्न पर्वतों, रेखाओं और चिह्नों के आधार पर भविष्य कथन किया जाता है। इनमें अनेक प्रकार के चिन्ह होते हैं जैसे वर्ग, क्रॉस, द्वीप, तिल, जाल या विशेष प्रकार के चिह्न।
वैदिक ज्योतिष के हजारों योगों में से सर्प और माला योग भी अत्यंत चर्चित योग हैं। ये दोनों एक-दूसरे के विपरीत ग्रह स्थितियां होने पर बनते हैं। इनका प्रभाव भी बिलकुल विपरीत होता है।
धनु राशि चक्र की नौवीं राशि है। ये राशि दक्षिण दिशा की द्योतक है। इस राशि का चिह्न धनुष है। राशि का स्वामी गुरु है। धनु द्वि-स्वभाव वाली राशि है।