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Mahashivratri 2024: देश का एकमात्र शिव मंदिर जहां स्थापित है ‘पंचशूल’, सिर्फ यहीं होती है ‘गठजोड़वा’ पूजा

Mahashivratri 2024 Kab Hai: इस बार महाशिवरात्रि पर्व 8 मार्च, शुक्रवार को है। इस दिन प्रमुख शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगता है। झारखंड में स्थित वैद्यनाथ भी महादेव के प्रमुख मंदिरों में से एक है। ये 12 ज्योतिर्लिंगों में नौवें स्थान पर आता है। 

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Manish Meharele
Published : Mar 01 2024, 01:12 PM IST| Updated : Mar 01 2024, 01:52 PM IST
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12 ज्योतिर्लिंगों में से नौवां है वैद्यनाथ
Image Credit : facebook

12 ज्योतिर्लिंगों में से नौवां है वैद्यनाथ

Interesting things related to Vaidyanath Dham: देश भर में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं। ये सभी मंदिर अलग-अलग स्थानों पर हैं। इन सभी से कईं मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं। इन्हीं में से एक है वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग। ये झारखंड के देवघर नामक स्थान पर स्थित है, देवघर का अर्थ है देवताओं का घर। वैद्यनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से नौवें स्थान पर आता है। इस मंदिर वैद्यनाथ धाम भी कहते हैं। मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं, इसलिए इसका एक नाम कामना लिंग भी है। महाशिवरात्रि (8 मार्च, शुक्रवार) के मौके पर जानिए वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़ी खास बातें…

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रावण ने स्थापित किया था ये शिवलिंग (Story of Vaidyanath Dham Temple)
Image Credit : facebook

रावण ने स्थापित किया था ये शिवलिंग (Story of Vaidyanath Dham Temple)

- शिवपुराण में वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा मिलती है, उसके अनुसार, ‘एक बार राक्षसों के राजा रावण ने तपस्या कर शिवजी को प्रसन्न कर लिया। प्रसन्न होकर शिवजी प्रसन्न हुए तो रावण ने उन्हें अपने साथ लंका ले जाने की इच्छा प्रकट की।
- तब महादेव ने उसे एक शिवलिंग दिया और कहा कि ‘ये ज्योतिर्लिंग मेरा ही स्वरूप है, तुम इसे ले जाकर लंका में स्थापित करो।’ शिवजी ने रावण से यह भी कहा कि यदि तुमने मार्ग के बीच में इस कहीं रख दिया तो ये ज्योतिर्लिंग वहीं स्थापित हो जाएगा।
- जब रावण ये ज्योतिर्लिंग लेकर लंका जा रहा था, तब उसे रास्ते में जोर से लघु शका की इच्छा हुआ, लेकिन वो ज्योतिर्लिंग कहीं रख नहीं सकता था। तभी सामने उसे एक ग्वाला दिखाई दिया। रावण ने उसे वो ज्योतिर्लिंग दे दिया और लघु शंका करने चला गया।
- ग्वाला अधिक देर तक उस ज्योतिर्लिंग का भार नहीं उठा सका और उसने उसे भूमि पर रख दिया। ऐसा करते ही वह ज्योतिर्लिंग वहीं स्थापित हो गया। बाद में बहुत प्रयास करने के बाद भी रावण वो ज्योतिर्लिंग नहीं उठा पाया। यही ज्योतिर्लिंग वैद्यनाथ के रूप में पूजा जाने लगा।

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एक मात्र ज्योतिर्लिंग जहां होती है पंचशूल की पूजा
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एक मात्र ज्योतिर्लिंग जहां होती है पंचशूल की पूजा

भगवान शिव के सभी मंदिरों में त्रिशूल स्थापित किया जाता है, लेकिन वैद्यनाथ धाम एकमात्र ऐसा मंदिर हैं, जहां पंचशूल स्थापित की जाता है। पंचशूल यानी जिसमें पांच शूल होते हैं। सिर्फ वैद्यनाथ ही नहीं इस मंदिर के परिसर में अन्य जितने भी मंदिर हैं, उनके ऊपर भी पंचशूल स्थापित हैं। मान्यता है कि इस पंचशूल के प्रभाव से इस जगह पर कोई विपदा नहीं आती और ये हमेशा सुरक्षित रहता है।

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महाशिवरात्रि पर होती है खास पूजा
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महाशिवरात्रि पर होती है खास पूजा

वैद्यनाथ धाम में हर साल महाशिवरात्रि उत्सव बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के एक दिन पहले मंदिर परिसर में स्थित सभी पंचशूलों को उतारा जाता है और इनकी विधिवत पूजा की जाती है। इस मौके पर बाबा वैद्यानाथ और देवी पार्वती के मंदिरों पर स्थापित पंचशूलों को एक-दूसरे से स्पर्श करवाय जाता है जो शिव-शक्ति के मिलन का प्रतीक है। पूजा के बाद इन सभी पंचशूलों को पुन: मंदिर के शिखरों पर स्थापित कर दिया जाता है।

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सिर्फ यहीं होती है गठजोड़वा पूजा
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सिर्फ यहीं होती है गठजोड़वा पूजा

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के समीप ही माता पार्वती का मंदिर भी स्थापित है। इन दोनों मंदिरों में खास गठजोड़वा पूजा की जाती है। इस पूजा में दोनों मंदिरों के शिखरों पर लाल रंग का धागा बांधा जाता है जैसे विवाह के समय पति-पत्नी के वस्त्रों का गठबंधन होता है, ठीक वैसे ही। महाशिवरात्रि पर इस दृश्य को देखने के लिए हजारों भक्त इकट्ठा होते हैं।

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कैसे पहुंचें वैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग? (How to reach Vaidyanath Dham Jyotirlinga?)
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कैसे पहुंचें वैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग? (How to reach Vaidyanath Dham Jyotirlinga?)

- देवघर का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन जसीडिह है, जो यहां से 10 किमी है। यह स्टेशन हावड़ा-पटना दिल्ली रेल लाइन पर स्थित है।
- देवघर हवाई अड्डा जिसे बाबा बैद्यनाथ हवाई अड्डे के रूप में भी जाना जाता है, एक घरेलू हवाई अड्डा है। यह मुख्य शहर से लगभग 12 किलोमीटर (7.4 मील) की दूरी पर स्थित है।
- देवघर देश के सभी प्रमुख सड़कों से अच्छी तरह से जुड़ा है। टैक्सी, बस या निजी वाहन से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

About the Author

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Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया में 19 साल का अनुभव, अभी एशियानेट न्यूज हिंदी के डिजिटल में काम कर रहे हैं। महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। ज्योतिष-हस्तरेखा, उपाय, वास्तु, कुंडली जैसे टॉपिक पर पकड़ है। यह जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक हैं । करियर की शुरुआत स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की। 2010 से 2019 तक दैनिक भास्कर डॉट कॉम में धर्म डेस्क पर काम किया है।

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