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Mahashivratri 2024: त्रिदेवों का स्वरूप है ये ज्योतिर्लिंग, ‘खास’ पूजा करवाने दूर-दूर से आते हैं लोग, जुड़े हैं और भी कईं रहस्य

Mahashivratri 2024 Kab Hai: महाराष्ट्र के नासिक में अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं, इन्हीं में से एक है त्र्यम्बकेश्वर। ये मंदिर 12 ज्योतिर्लिगों में से आठवें स्थान पर आता है। इस मंदिर से कईं रहस्य और परंपराएं जुड़ी हुई हैं, जो इसे और खास बनाती हैं। 

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Manish Meharele
Published : Feb 29 2024, 11:05 AM IST| Updated : Feb 29 2024, 11:07 AM IST
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12 ज्योतिर्लिंगों में से आठवां है त्र्यम्बकेश्वर
Image Credit : facebook

12 ज्योतिर्लिंगों में से आठवां है त्र्यम्बकेश्वर

Interesting things related to Trimbakeshwar Jyotirlinga: नासिक महाराष्ट्र के प्रमुख धार्मिक शहरों में से एक है। ये शहर अनेक मंदिरों के लिए जाना जाता है, त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग भी इनमें से एक है। शिवपुराण में जो 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग बताए गए हैं, त्र्यम्बकेश्वर उनमें से आठवें स्थान पर आता है। इस मंदिर के पास से गोदावरी नदी बहती है। रोज हजारों भक्त यहां दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर से जुड़े अनेक रहस्य, मान्यताएं और परंपराएं हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं। महशिवरात्रि (8 मार्च, शुक्रवार) के मौके पर जानिए त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी खास बातें…

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ये है त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास (History of Trimbakeshwar Jyotirlinga)
Image Credit : wikipedia

ये है त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास (History of Trimbakeshwar Jyotirlinga)

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग का वर्णन शिवपुराण सहित अनेक ग्रंथों में मिलता है। इस मंदिर का सर्वप्रथम निर्माण किसने किया, इसकी जानकारी तो नहीं है, लेकिन वर्तमान में जो दिखाई देता है, उसका जीर्णोद्धार नाना साहब पेशवा ने करवाया था। 1755 में शुरू हुआ इस मंदिर का जीर्णोद्धार 31 साल बाद 1786 में जाकर पूरा हुआ। मंदिर का निर्माण काले पत्थरों से हुआ है, इसकी वास्तु शैली भी अद्भुत है।

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त्रिदेवों का प्रतीक है ये ज्योतिर्लिंग
Image Credit : wikipedia

त्रिदेवों का प्रतीक है ये ज्योतिर्लिंग

त्र्यम्बकेश्वर मंदिर से अनेक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। जब हम मंदिर के अंदर प्रवेश करते हैं तो सामने कोई शिवलिंग दिखाई नहीं, सिर्फ जलाधारी भी दिखाई देती है। जलाधारी के निकट जाने पर गौर से देखने पर उसके अंदर एक-एक इंच के तीन शिवलिंग दिखाई देते हैं। इन शिवलिंगों को त्रिदेव यानी ब्रह्मा-विष्णु और महेश का स्वरूप माना जाता है। ये एक मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग हैं, जहां त्रिदेवों की पूजा एक साथ ज्योतिर्लिंग रूप में की जाती है।

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यहां होती है ये खास पूजा
Image Credit : wikipedia

यहां होती है ये खास पूजा

कालसर्प दोष के बारे में तो हम सभी जानते हैं, जिसकी जन्म कुंडली में ये दोष होता है, उसे अपने जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस दोष के निवारण के लिए की जाने वाली पूजा त्र्यम्बकेश्वर में ही की जाती है। इसके अलावा यहां नागबलि, नारायण बलि, त्रिपिंडी श्राद्ध आदि पूजा करवाने का भी विशेष महत्व है। यहां रोज हजारों लोग आकर ये पूजा करवाते हैं।

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ये है त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा (Story of Trimbakeshwar Jyotirlinga)
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ये है त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा (Story of Trimbakeshwar Jyotirlinga)

शिवपुराण में त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा मिलती है, उसके अनुसार ‘प्राचीनकाल में गौतम नाम के ऋषि त्र्यम्बक में निवास करते थे। उनके ऊपर एक बार गौ हत्या का पाप लग गया। इस पाप से मुक्ति के लिए उन्होंने यहीं पर शिवजी की घोर तपस्या की। प्रसन्न होकर शिवजी ने यहां गोदावरी नदी को प्रकट किया, जिसमें स्नान कर गौतम ऋषि को गौहत्या के पाप से मुक्ति मिली। बाद में गौतम ऋषि द्वारा प्रार्थना करने पर शिवजी इसी स्थान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थिर हो गए। तीन नेत्रों वाले शिवशंभु के यहां विराजमान होने के कारण इस जगह को त्र्यम्बक (तीन नेत्रों वाले) कहा जाने लगा।

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कैसे पहुंचें त्र्यम्बकेश्वर? (How to reach Trimbakeshwar?)
Image Credit : facebook

कैसे पहुंचें त्र्यम्बकेश्वर? (How to reach Trimbakeshwar?)

- त्र्यंबक से सबसे निकट हवाई अड्डा नासिक में हैं, जो यहां से लगभग 30 किमी है। इसे ओज़र हवाई अड्डे के नाम से भी जाना जाता है। यहां से टैक्सी या बस से त्र्यंबक आया जा सकता है।
- त्र्यंबक का निकटतम रेलवे स्टेशन नासिक में है। जहां से मंदिर की दूरी लगभग 36 किलोमीटर है। ये रेलवे स्टेशन देश की प्रमुख रेल लाइनों से जुड़ा हुआ है।
- त्र्यंबक महाराष्ट्र के प्रमुख शहरों में से एक है। ये देश भर के प्रमुख सड़क मार्गों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। बस, टैक्सी या निजी वाहन ये भी यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

About the Author

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Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया में 19 साल का अनुभव, अभी एशियानेट न्यूज हिंदी के डिजिटल में काम कर रहे हैं। महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। ज्योतिष-हस्तरेखा, उपाय, वास्तु, कुंडली जैसे टॉपिक पर पकड़ है। यह जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक हैं । करियर की शुरुआत स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की। 2010 से 2019 तक दैनिक भास्कर डॉट कॉम में धर्म डेस्क पर काम किया है।

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