जून 2022 का तीसरा सप्ताह 13 से 19 तक रहेगा। इस दौरान कई बड़े व्रत और त्योहार मनाए जाएंगे। इस सप्ताह में 14 जून को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा रहेगी।
सनातन धर्म में रोज सुबह-शाम ताजा भोजन करने की परंपरा है। यदि भोजन में कोई दोष हो तो उसका निगेटिव असर सभी लोगों पर होता है इसलिए किचन में वास्तु का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है।
इस बार 11 जून, शनिवार को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है। धर्म ग्रंथों में इसे त्रिविक्रम द्वादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है।
अनेक धर्म ग्रंथों में देवनदी गंगा के महत्व के बारे में बताया गया है। गंगा स्नान करने से ही मोक्ष प्राप्त हो जाता है, ऐसा पुराणों में लिखा है। हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरे (Ganga Dussehra 2022) का पर्व मनाया जाता है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2022) का व्रत किया जाता है। इस एकादशी का महत्व साल भर में आने वाली सभी 23 एकादशियों से अधिक माना गया है।
ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रह का अपना विशेष महत्व बताया गया है। इनमें सूर्य को ग्रहों का राजा कहा गया है। ये ग्रह लगभग 30 दिन तक एक ही राशि में रहता है और इसके बाद दूसरी राशि में प्रवेश करता है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को देवी धूमावती की जयंती मनाई जाती है। इस बार ये तिथि 7 जून, मंगलवार को है (पंचांग भेद के कारण कुछ स्थानों पर 8 जून को भी ये पर्व मनाया जाएगा)।
हस्तरेखा शास्त्र में हथेली की हर छोटी-बड़ी रेखाओं के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है कि किस रेखा से कैसा फल हमें प्राप्त होता है। इसके अलावा हस्तरेखा में हथेली में बनने वाले छोटे-छोटे निशानों के बारे में भी जानकारी दी गई है।
सामुद्रिक शास्त्र में शरीर के हर अंग के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है। इसके अनुसार, अगर किसी व्यक्ति के हाथों में 6 उंगलियां होती हैं तो वह किस्मत वाला होता है।
Shakun-Apshakun: भारतीय समाज में ज्योतिष के कई रूप देखने को मिलते हैं। वहीं किसी भी शुभ कार्य से पहले मुहूर्त जरूर देखा जाता है को किसी भी जरूरी काम को करने जाते समय शकुन-अपशकुन की मान्यता भी यहां प्रचलित है।