ज्योतिष शास्त्र में केतु को क्रूर ग्रह कहा जाता है। ये ग्रह अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्र का स्वामी है। केतु ही राहु के साथ मिलकर कुंडली में कालसर्प योग का निर्माण करता है। ये ग्रह हमेशा उल्टी चाल चलता है और एक राशि में 18 महीने तक रहता है। ये ग्रह बुद्धि, ज्ञान, वैराग्य व अन्य मानसिक गुणों का कारक है।