Amitabh Budholiya

बीएससी (बायोलॉजी), पोस्ट ग्रेजुएशन हिंदी साहित्य, बीजेएमसी (जर्नलिज्म)। करीब 25 साल का लेखन और पत्रकारिता में अनुभव। एशियानेट हिंदी में जून, 2019 से कार्यरत। दैनिक भास्कर और उसके पहले दैनिक जागरण और अन्य अखबारों में सेवाएं। 5 किताबें प्रकाशित की हैं
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कौन है ये 'बुचर का कसाई' नाम से दुनियाभर में कुख्यात हुआ 40 वर्षीय रूसी लेफ्टिनेंट कर्नल

Apr 06 2022, 12:53 PM IST

वर्ल्ड न्यूज डेस्क. यूक्रेन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) पर युद्ध अपराध(war crimes) का आरोप लगने के बाद अब रूस का एक लेफ्टिनेंट कर्नल अजात्बेक ओमुरबेकोव (Lieutenant Colonel Azatbek Omurbekov) दुनियाभर में बुचर का कसाई(Butcher of Bucha) के नाम से कुख्यात हो रहा है। ओमुरबेकोव 64वीं सेपरेट मोटराइज्ड राइफल ब्रिगेड के कमांडर हैं।यूक्रेन की राजधानी कीव के बाहरी इलाके के शहर बुचा( Bucha) पर कब्जा करने वाले रूसी सेना अधिकारियों में वे भी शामिल रहे हैं। पिछले हफ्ते रूसी सेना के यह क्षेत्र छोड़ने से पहले आरोप लगे हैं कि यहां नरसंहार किया गया। 'बुचा नरसंहार' पर भारत ने भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक में अपनी प्रतिक्रिया दी है। भारत ने इसकी निंदा करते हुए स्वतंत्र जांच की मांग का समर्थन किया है। बता दें कि 6 अप्रैल को इस युद्ध को 42 दिन हो गए हैं।  इधर, लोकसभा में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा-कई सांसदों ने बूचा में घटना को उठाया। हम रिपोर्टों से बहुत व्यथित हैं। हम वहां हुई हत्याओं की कड़ी निंदा करते हैं। यह एक अत्यंत गंभीर मामला है, हम स्वतंत्र जांच के आह्वान का समर्थन करते हैं।

श्रीलंका संकट: दुनिया का ध्यान खींचने विरोध के नए-नए तरीके अपना रहे श्रीलंकाई, स्पाइडरमैन भी धरने पर बैठ गया

Apr 06 2022, 11:40 AM IST

कोलंबो. महंगाई ने श्रीलंका की हालत पतली कर दी है। देशभर में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे(President Gotabaya Rajapaksa) के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। 1948 में ब्रिटेन से आजाद हुआ श्रीलंका इतिहास की सबसे खराब आर्थिक स्थिति से गुजर रहा है। जबर्दस्त विरोध को देखते हुए राष्ट्रपति ने मंगलवार की आधी रात इमरजेंसी हटा ली। इसे 1 अप्रैल को लगाया गया था। हालांकि अब दुनियाभर में फैले श्रीलंकाई अपने-अपने तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं। श्रीलंका में बुनियादी जरूरतों जैसे-गैस, बिजली, दवा और भोजन की बेहद कमी या आपूर्ति न होने से लोगों का धैर्य जवाब दे गया है। देश और विदेश में रहने वाले श्रीलंकाइयों को इस बात पर गर्व है कि उनमें भ्रष्ट सरकार के खिलाफ खड़े होने का साहस आया है।

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