Mangal Gochar 2023: हमारे सौर मंडल में स्थित नवग्रहों में से मंगल भी एक हैं। इन्हें सौर मंडल का सेनापति भी कहा जाता है। ये ग्रह 3 अक्टूबर, मंगलवार को राशि परिवर्तन करने वाला है, जिसका असर सभी राशि के लोगों पर दिखाई देगा।
Pitru Paksha Daan: श्राद्ध पक्ष के दौरान दान करने का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। मान्यता है कि इस दौरान कुछ खास चीजों का दान किया जाए तो पूर्वजों की कृपा हमारे ऊपर बनी रहती है। इनमें से कुछ चीजें तो बहुत ही कम कीमत की होती है।
Diwali 2023 Date: धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर दीपावली पर्व मनाया जाता है और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस बार अमावस्या तिथि 1 नहीं बल्कि 2 दिन रहेगी। जानें किस दिन करें लक्ष्मी पूजा?
3 अक्टूबर, मंगलवार को पहले कृत्तिका नक्षत्र होने से गद और इसके बाद रोहिणी नक्षत्र होने से मातंग नाम के 2 योग बनेंगे। इनके अलावा इस दिन सर्वार्थसिद्धि और वज्र नाम के 2 अन्य योग भी रहेंगे।
aaj ka rashifal: 3 अक्टूबर, मंगलवार को पहले कृत्तिका नक्षत्र होने से गद और इसके बाद रोहिणी नक्षत्र होने से मातंग नाम के 2 योग बनेंगे। इनके अलावा इस दिन सर्वार्थसिद्धि और वज्र नाम के 2 अन्य योग भी रहेंगे।
Ujjain facts: हमारे देश में कईं तरह की मान्यताएं हैं। इनमें से कुछ मान्यताएं विशेष स्थानों को लेकर भी है। मध्य प्रदेश में एक ऐसा शहर है जहां रात में रुकने से बड़े-बड़े नेता घबराते हैं। इसके पीछे एक पौराणिक कारण है।
PM Modi Sanwaliya Ji Darshan: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 अक्टूबर को राजस्थान के दौरे पर हें। इस दौरान वे कईं कार्यक्रमों में शामिल होंगे, इसी बीच मोदी ने सांवलिया सेठ के प्रसिद्ध मंदिर में दर्शन भी किए।
Sankashti Chaturthi 2023: प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी क व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान श्रीगणेश के साथ-साथ चंद्रमा की पूजा भी की जाती है। इस व्रत को करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
Kab se Shuru Hogi Shardiya Navratri: आश्विन मास के दूसरे पखवाड़े में शारदीय नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इन 9 दिनों में देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। धर्म ग्रंथों में इस पर्व का विशेष महत्व बताया गया है।
Pitru Paksha 2023: आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पितृ और श्राद्ध पक्ष भी कहते हैं। इस बार पितृ पक्ष 29 सितंबर से शुरू हो चुका है, जो 14 अक्टूबर तक रहेगा। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण-पिंडदान आदि किए जाते हैं।