सार
केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल को प्रमोट करने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके अनुसार, कोई भी व्यक्ति/संस्था बिना लाइसेंस की आवश्यकता के सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए स्वतंत्र है, बशर्ते कि ऐसे स्टेशन निर्धारित तकनीकी, सुरक्षा के साथ-साथ प्रदर्शन मानकों और प्रोटोकॉल को पूरा करते हों।
ऑटो डेस्क एंड बिजनेस डेस्क। केंद्र सरकार ने शनिवार को चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए दिशा निर्देश और मानक जारी करते हुए कहा कि मालिक अपने मौजूदा बिजली कनेक्शन का उपयोग करके अपने निवास / कार्यालयों में अपने इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज कर सकते हैं। बिजली मंत्रालय ने कहा, "केंद्र ने संशोधित समेकित दिशा निर्देश जारी किए हैं, जिसका उद्देश्य सुरक्षित, भरोसेमंद, सुलभ और किफायती चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और इको-सिस्टम सुनिश्चित करके भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने में सक्षम बनाना है।"
सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन केलिए लायसेंस जरुरी नहीं
केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल को प्रमोट करने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके अनुसार, कोई भी व्यक्ति/संस्था बिना लाइसेंस की आवश्यकता के सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए स्वतंत्र है, बशर्ते कि ऐसे स्टेशन निर्धारित तकनीकी, सुरक्षा के साथ-साथ प्रदर्शन मानकों और प्रोटोकॉल को पूरा करते हों।
राजस्व- शेयरिंग मॉडल तैयार
“सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन (पीसीएस) के लिए दिशा निर्देशों की एक डिटेल लिस्ट बनाई गई है। इनमें नागरिक, बिजली और सुरक्षा आवश्यकताओं (civil, electricity and safety requirements) के लिए "उपयुक्त" (appropriate) infrastructure के मानदंड शामिल किए गए हैं," निर्देशों के मुताबिक इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रमोट करने के लिए चार्जिंग स्टेशन को सक्षम बनाने की चुनौती का समाधान करने के लिए, उपयोग की गई भूमि के लिए एक राजस्व- शेयरिंग (revenue-sharing model) मॉडल रखा गया है।
सरकार के निर्देशानुसार, "सरकार/सार्वजनिक संस्थाओं (Government/Public entities) के पास उपलब्ध भूमि सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना के लिए उपयोग क जा सकेगी। सरकारी/सार्वजनिक यूनिट को सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन की स्थापना के लिए राजस्व- शेयरिंग के आधार पर ₹ 1/kWh (used for charging) की निश्चित दर पर प्रदान की जाएगी। तिमाही आधार पर देय ऐसे PCS business से भूमि-स्वामित्व वाली एजेंसी को भुगतान किया जाना है" ।
10 साल की अवधि केलिए होगा कॉन्ट्रेक्ट
“इस तरह के राजस्व-साझाकरण समझौते को शुरू में पार्टियों द्वारा 10 साल की अवधि के लिए रजिस्टडर्ड किया जा सकता है। सार्वजनिक भूमि-स्वामित्व वाली एजेंसी द्वारा एक प्रायवेट यूनिट को पब्लिक चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना के लिए बोली के आधार पर ₹ 1/kWh के न्यूनतम मूल्य के साथ भूमि उपलब्ध कराने के लिए राजस्व बंटवारा मॉडल भी अपनाया जा सकता है।
आवेदन पर जल्द मुहैया कराया जाएगा बिजली कनेक्शन
निर्देशों में कहा गया है कि समय-सीमा के तहत पीसीएस को मेट्रो शहरों में सात दिन, अन्य नगर निगम क्षेत्रों में पंद्रह दिन और ग्रामीण क्षेत्रों में तीस दिन के भीतर कनेक्शन प्रदान किया जाएगा। इस समय-सीमा के भीतर, वितरण लाइसेंसधारी एक नया कनेक्शन प्रदान करेंगे या मौजूदा कनेक्शन को संशोधित करेंगे। public EV charging stations को बिजली की आपूर्ति के लिए टैरिफ सिंगल पार्ट टैरिफ होगा और 31 मार्च 2025 तक "आपूर्ति की औसत लागत" से अधिक नहीं होगा।
चूंकि बिजली रियायती दरों (concessional rates) पर उपलब्ध कराई जा रही है और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि पीसीएस स्थापित करने के लिए कई मामलों में केंद्र / राज्य सरकारों द्वारा सब्सिडी प्रदान की जा रही है, राज्य सरकार ऐसे चार्जिंग स्टेशनों द्वारा चार्ज किए जाने वाले सेवा शुल्क की सीमा तय करेगी। इसके अलावा सरकार ने यह भी कहा कि ईवी पब्लिक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को स्टेप वाय स्टेप तरीके से रोल आउट किया जाएगा। सरकारी निर्देशों के मुताबिक "बैटरी चार्जिंग स्टेशन (बीसीएस) के लिए समान टैरिफ लागू होगा। घरेलू खपत के लिए लागू टैरिफ घरेलू चार्जिंग के लिए लागू होगा," ।
चरण I
(एक से तीन वर्ष): 2011 की जनगणना के अनुसार 4 मिलियन से अधिक की आबादी वाले सभी मेगा शहरों, इन मेगा शहरों से जुड़े सभी मौजूदा एक्सप्रेसवे और इन मेगा शहरों में से प्रत्येक से जुड़े महत्वपूर्ण राजमार्गों को कवरेज के लिए लिया जा सकता है। इन मेगा सिटीज और मौजूदा कनेक्टेड एक्सप्रेसवे की सूची तैयार की गई है
चरण II
(तीन से पांच वर्ष): राज्यों की राजधानियों, केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यालय जैसे बड़े शहरों को भी वितरित और प्रदर्शनकारी प्रभाव के लिए कवर किया जा सकता है। इसके अलावा, इन मेगा शहरों में से प्रत्येक से जुड़े महत्वपूर्ण राजमार्गों को कवरेज के लिए लिया जा सकता है