सार

महिंद्रा एंड महिंद्रा के प्रबंध निदेशक पवन गोयनका ने शनिवार को कहा कि भारतीय लोग अकेले के इस्तेमाल के लिये भी बड़ी बड़ी कारों को तरजीह देते हैं

 

मुंबई: महिंद्रा एंड महिंद्रा के प्रबंध निदेशक पवन गोयनका ने शनिवार को कहा कि भारतीय लोग अकेले के इस्तेमाल के लिये भी बड़ी बड़ी कारों को तरजीह देते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों की यह सोच टाटा नैनो की ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ असफलता का यह एक प्रमुख कारण है।

गोयनका ने आईआईटी कानपुर के पूर्व विद्यार्थियों के एक कार्यक्रम में यहां कहा कि वाहन उद्योग का प्रदूषण में खासा योगदान है और इसे कम करने के लिये हरसंभव तरीके अपनाये जाने चाहिये। टाटा मोटर्स ने लखटकिया कार के रूप में प्रसिद्ध नैनो का उत्पादन बंद कर दिया है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय उपभोक्ता शान-शौकत के लिये कार खरीदते हैं, यह नैनो की असफलता की मुख्य वजह है।

नैनो का अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाना दुर्भाग्यपूर्ण

गोयनका ने कहा, ‘‘नैनो का अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाना दुर्भाग्यपूर्ण है।’’ उन्होंने कहा कि 65-70 किलोग्राम के औसत भारतीय लोग महज एक व्यक्ति के आने-जाने के लिये 1,500 किलोग्राम की कार खरीदते हैं। गोयनका ने कहा कि हमें ऐसे व्यक्तिगत वाहनों की जरूरत है, जो एक व्यक्ति के आने-जाने के लिये पर्याप्त हो। उन्होंने कहा, ‘‘इसे ध्यान में रखते हुए महिंद्रा भी एक छोटी कार तैयार कर रही है, जो जल्दी ही बाजार में उपलब्ध होगी।’’

इलेक्ट्रिक वाहनों पर भी बहुत काम हो रहे हैं

उन्होंने कहा कि अभी वाहनों की हिस्सेदारी कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में सात प्रतिशत तथा पीएम 2.5 में 20 फीसदी है। इसे कम करने के हरसंभव प्रयास किये जाने चाहिये। गोयनका ने कहा कि भारत कनेक्टेड कार के मामले में अगुवाई कर सकता है, क्योंकि भारत ने सूचना प्रौद्योगिकी के मोर्चे पर काफी तरक्की की है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों पर भी बहुत काम हो रहे हैं। बैटरियों, चार्जिंग, दोपहिया वाहन, तिपहिया वाहन जैसी श्रेणियों में समर्पित स्टार्टअप लगातार सामने आ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि देश की आर्थिक वृद्धि में वाहन क्षेत्र को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा यदि देश को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है तो विनिर्माण को एक हजार अरब डॉलर का योगदान देना होगा तथा वाहन क्षेत्र को पांच साल तक सालाना 14 प्रतिशत की दर से बढ़ना होगा।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(फाइल फोटो)