सार

कोरोनावायरस महामारी और लॉकडाउन का दूसरे उद्योगों की तरह ऑटोमोबाइल सेक्टर पर भी बहुत बुरा असर पड़ा। लेकिन अब आम आदमी की सवारी स्कूटरों की बिक्री रफ्तार पकड़ रही है।
 

ऑटो डेस्क। कोरोनावायरस महामारी और लॉकडाउन का दूसरे उद्योगों की तरह ऑटोमोबाइल सेक्टर पर भी बहुत बुरा असर पड़ा। पिछले महीनों में कारों की बिक्री में 85 फीसदी तक की कमी आई, लेकिन अब आम आदमी की सवारी स्कूटरों की बिक्री रफ्तार पकड़ रही है। वहीं, कारों की बिक्री में कोई खास तेजी नहीं देखी जा रही है। टू-व्हीलर सेगमेंट में पिछले 45 दिनों में सर्विस में 85 फीसदी तो बिक्री में 80 फीसदी का लक्ष्य हासिल किया गया है। 

क्या है वजह
दरअसल, लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद लोग कोरोनावायरस संक्रमण के डर से पब्लिक ट्रांसपोर्ट में यात्रा करने से बच रहे हैं। वहीं, कार से चल पाना सबों के लिए संभव नहीं है। ऐसे में, कामकाजी महिलाएं तक स्कूटर को ज्यादा तरजीह दे रही हैं। बाइक और स्कूटर के ज्यादा बेहतर और सुविधाजनक होने की वजह से लॉकडाउन में छूट मिलते ही लोग तेजी से इनकी सर्विसिंग कराने तो आने ही लगे, दोपहिया वाहनों की बिक्री भी काफी बढ़ी। आंकड़ों के मुताबिक, 15 मई से अब तक पिछले साल की तुलना में 80 फीसदी तक वाहन बेचे जा चुके हैं।

कंपनियां दे रहीं प्रोत्साहन
होंडा जैसी कंपनियों ने स्कूटर की बिक्री बढ़ाने के लिए पुराने स्कूटर बेचने वालों को प्रोत्साहित करने की योजना शुरू की है। कंपनी ने फैसला लिया है कि होंडा के डीलर पुराने स्कूटर की बिक्री पर कोई शुल्क नहीं वसूलेंगे। जो पुराना स्कूटर बेचता है, वह नया स्कूटर जरूर खरीदता है। ऐसे लोगों को नया स्कूटर खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। स्कूटर और बाइक निर्माता कंपनियां फाइनेंस करने वाली कंपनियों से करार कर के दोपहिया वाहनों की बिक्री को बढ़ावा दे रही हैं। अब स्कूटर की बिक्री पर डाउन पेमेंट की राशि 10-12 हजार रुपए से घटा कर 5 हजार रुपए कर दी गई है।

अभी बढ़ेगी बिक्री
दोपहिया वाहनों के शोरूम मालिकों और कंपनियों को उम्मीद है कि अभी इनकी बिक्री और भी बढ़ेगी। उनका मानना है कि जुलाई में हालात और भी बेहतर होंगे। स्कूल-कॉलेजों के खुलने से और त्योहारों का मौसम आने से दोपहिया वाहनों की बिक्री में तेजी आने की उम्मीद जताई जा रही है।