सार

पांच राज्यों के चुनावों के बाद लगातार बढ़ती पेट्रोल-डीजल की कीमतों के चलते देश में हाइड्रोजन कार की चर्चा है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अपने गैराज में हाइड्रोजन कार रखी भी है। बुधवार को वे इसी कार से संसद पहुंचे। जानें क्या है हाइड्रोजन कार और इसकी खूबियां।

ऑटो डेस्क। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों (Petrol Diesel Price hike) के बीच हाइड्रोजन कार (Hydrogen car) चर्चा में है। इससे सफर की लागत दो रुपए प्रति किमी तक है। केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने इसे फ्यूचर कार (Future car) बताया है, लेकिन क्या यह कार हर किसी के बजट में फिट बैठेगी। एक फुल टैंक में यह कितना चलेगी और यह दुर्घटना होने पर कितनी सुरक्षित होगी, यह सवाल हर किसी के मन में हैं। आइये, जानते हैं ऑटोमोबाइल का भविष्य बताई जा रही देश की पहली हाइड्रोजन कार के बारे में...

अभी इलेक्ट्रिक कार की तुलना में 4 गुना महंगी
टोयोटा ने मिराई (Toyota Mirai) नाम की यह कार मार्च में ही भारत में लॉन्च की है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी बुधवार 30 मार्च को इसी कार से संसद पहुंचे। उन्होंने इस कार की तमाम खूबियां बताईं। लेकिन वास्तव में यह कार फिलहाल आम आदमी के बजट में है ही नहीं। टोयोटा की मिराई की कीमत अभी भारत मंे तय नहीं हुई है। 2015 में ब्रिटेन में इस कार कीमत तकरीबन 66 हजार पाउंड यानी 66 लाख रुपए थी। अमेरिका में इस कार पर 25 प्रतिशत और जापान में इस पर 40 प्रतिशत सब्सिडी सरकार देती है। भारत में अभी इसकी कीमत तय नहीं है, लेकिन यह कम से कम 40 लाख रुपए की होगी। जबकि, देश में अभी जो ई-कारें (Electric car) उपलब्ध हैं, उनकी कीमत 13 से 16 लाख के बीच है। टाटा (Tata Motors) की नेक्सन देश में ई व्हीकल का काफी लोकप्रिय मॉडल है। रतन टाटा ने नैनो का भी इलेक्ट्रिक वर्जन पेश किया है। 

प्रति किमी खर्च भी इलेक्ट्रिक कार से दोगुना अधिक
हाइड्रोजन कार में प्रति किमी का खर्च तकरीनब 2 रुपए आता है, जबकि इलेक्ट्रिक कार एक रुपए प्रति किमी के खर्च पर दौड़ती है। ग्रीन हाइड्रोजन ईंधन कहां मिलेगा, अभी यह भी तय नहीं है, जबकि इलेक्ट्रिक कारों के लिए देश में सीमित जगहों पर चार्जिंग स्टेशन लग चुके हैं। हालांकि, अगले दो वर्षों में इनमें बड़ी वृद्धि होनी है। ऑटोमोबाइल सेक्टर के जानकारों का कहना है के ग्रीन हाइड्रोजन का ट्रांसपोर्टेशन बहुत महंगा है। ऐसे में यह कारें इलेक्ट्रिक व्हीकल से लागत और ऑपरेशन दोनों में महंगी पड़ेंगी। 

प्रदूषण के मामले में हाइड्रोजन कार ज्यादा बेहतर
वायु प्रदूषण काे देखें तो हाइड्रोजन कार इलेक्ट्रिक व्हीकल से भी बेहतर है। दरअसल, इन कारों में हाइड्रोजन व हवा में मौजूद ऑक्सीजन से बिजली पैदा होती है। इसी बिजली से हाइड्रोजन कार चलती है। इसमें साइलेंसर से किसी तरह का धुआं नहीं, बल्कि सिर्फ पानी निकलता है। इलेक्ट्रिक कार में भी साइलेंसर से किसी तरह का धुआं नहीं निकलता लेकिन इसकी लीथियम आयन बैटरी का कच्चा माल जिन खदानों से निकलता है, वहां से कार्बन डाई ऑक्साइड ज्यादा निकलती है। 

इलेक्ट्रिक व्हीकल हाइड्रोजन के मुकाबले ज्यादा सेफ 
हाइड्रोजन अत्यधिक ज्वलनशील है। यदि कोई हादसा होता है तो इस कार में आग लगने का खतरा अधिक होता है, जबकि इलेक्ट्रिक व्हीकल में आग का खतरा इतना अधिक नहीं है। हालांकि, हाल ही में ओला स्कूटर में आग लगने की एक घटना सामने आई है, लेकिन इससे पहले इलेक्ट्रिक व्हीकल में आग की कोई घटना सामने नहीं आई। 

कैसे चलती है हाइड्रोजन कार 
हाइड्रोजन कार में बैटरी भी लगी होती है। यह बैटरी ई व्कीहल की बैटरी से 30 गुना तक हल्की होती है। हाइड्रोजन फ्यूल डलवाने के बाद केमिकल एनर्जी को आरईडीओएक्‍स यानी REDOX रिएक्‍शन के जर‍िये मेकेनिकल एनर्जी में बदला जाता है। इसे स्टोरी करने के लिए ही बैटरी लगी होती है। केमिकल एनर्जी को मैकेनिकल एनर्जी में बदलने के लिए खास तौर पर विकसित किए गए फ्यूल सेल में हाइड्रोजन और ऑक्‍सीजन के बीच रिएक्‍शन कराया जाता है। हइड्रोजन कारों में हाइड्रोजन का इस्तेमाल फ्यूल के रूप में होता है। अंतरिक्ष में रॉकेट भेजने के लिए भी इसी फ्यूल का इस्‍तेमाल किया जाता है।  

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