सार
2015 में भी एनडीए की सरकार बनने के अनुमान लगाए गए थे, लेकिन महागठबंधन ने रिकॉर्ड बहुमत हासिल किया था। बिहार में एनडीए ने स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है। हालांकि एनडीए की ओर से नया सीएम कौन बनेगा ये सबसे बड़ा सवाल है।
पटना। बिहार सभी सीटों की मतगणना पूरी हो चुकी है। तमाम एग्जिट पोल्स में बिहार को लेकर किए गए दावे गलत साबित हुए। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन सत्ता की रेस में पीछे हो गया। जबकि कई पोल्स में महागठबंधन को बहुमत या फिर एनडीए से बहुत आगे रहने का अनुमान लगाया गया था। ये दूसरा मौका है जब बिहार को लेकर एग्जिट पोल्स गलत साबित हुए। 2015 में भी एनडीए की सरकार बनने के अनुमान लगाए गए थे, लेकिन महागठबंधन ने रिकॉर्ड बहुमत हासिल किया था। फिलहाल के काउंटिंग ट्रेंड में एनडीए स्पष्ट बहुमत हासिल करता दिख रहा है। हालांकि एनडीए की ओर से नया सीएम कौन बनेगा ये सबसे बड़ा सवाल है।
बिहार के ताजा सीधे नतीजे चुनाव आयोग की वेबसाइट से यहां देख सकते हैं
सीट जीतने के मामले में एनडीए में बीजेपी और हम का स्ट्राइक रेट जबरदस्त रहा है। जबकि एनडीए में सबसे खराब स्ट्राइक रेट जेडीयू का रहा। वीआईपी का स्ट्राइक रेट जेडीयू से बेहतर रहा। नतीजों में आने वाले दिनों के दिलचस्प सत्ता समीकरण को साफ देखा जा सकता है।
सबसे बड़ा सवाल CM किसका होगा?
जेडीयू, इस बार सहयोगी बीजेपी से बहुत पीछे है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि एनडीए की ओर से बिहार में सीएम कौन बनेगा? हालांकि चुनाव से पहले पीएम नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी के नेताओं ने कहा है कि नीतीश कुमार ही बिहार के सीएम होंगे। लेकिन राजनीति का ऊंट जिस तरह करवट ले रहा है, उसमें ये देखने वाली बात होगी कि क्या बीजेपी बदले राजनीतिक माहौल में सीएम के रूप में नीतीश की ताजपोशी करने को तैयार होगी।
जेडीयू ने क्या कहा?
एक टीवी इंटरव्यू में बीजेपी से पिछड़ने की स्थिति में नीतीश के सीएम बनने की गुंजाइश को लेकर जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा- "नीतीश का सीएम बनना पत्थर की लकीर है। खुद पीएम कह चुके हैं। मुख्यमंत्री तो नीतीश ही बनेंगे।" उधर, एनडीए की ओर से नए मुख्यमंत्री को लेकर बीजेपी के प्रवक्ताओं ने अभी साफ टिप्पणी नहीं की है।
नतीजों के बाद भी बन बिगड़ सकता है गठबंधन
बिहार में चुनाव से पहले और चुनाव के बाद भी गठबंधन टूटने-बनने के आसार हैं। जो सियासी तस्वीर बनती दिख रही है उसमें बिना जेडीयू-बीजेपी या आरजेडी में से दो बड़े दलों के साथ के बिना कोई सरकार नहीं बन सकती है। अन्य दलों की हैसियत ऐसी नहीं है कि सरकान बनाने या बिगाड़ने के खेल में मास्टर की उन्हें मिले। अगर जेडीयू सीएम पोस्ट को लेकर अड़ गई तो नतीजों के बाद का सियासी माहौल बहुत दिलचस्प हो जाएगा।
बिहार में पड़ता दिख रहा महाराष्ट्र का साया?
रुझान में बहुत पिछड़ने के बावजूद जिस तरह जेडीयू मुख्यमंत्री पद को लेकर अड़ी दिख रही वो बिहार की राजनीति में भी महाराष्ट्र जैसे हालत बनने के सकते के तौर पर देखा जा सकता है। महाराष्ट्र में शिवसेना ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। स्पष्ट बहुमत भी मिला। लेकिन कम विधायक होने के बावजूद शिवसेना सीएम पद को लेकर अड़ गई और बाद में एनडीए से अलग होकर कांग्रेस-एनसीपी के साथ सरकार बना लिया। चुनाव से पहले का गठबंधन बेमतलब साबित हुआ।
मोदी दे सकते है बड़ा संदेश
काफी आसार इस बात के भी हैं कि पीएम मोदी बिहार की राजनीति से पूरे देश को एक बड़ा संदेश दें। नीतीश एनडीए के सबसे पुराने सहयोगी हैं। मोदी के दूसरे कार्यकाल में कई एनडीए के कई साथी अलग हुए हैं। शिवसेना के बाद हाल में अकाली दल ने भी एनडीए से किनारा कर लिया था। हो सकता है कि सहयोगी दलों को भरोसा दिलाने और भविष्य की राजनीति के मद्देनजर बीजेपी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की कुर्सी देकर बड़ा संदेश दें। मोदी का खुला विरोध कर एक बार नीतीश अलग हो चुके हैं। नीतीश को दोबारा मुख्यमंत्री बनाकर मोदी अपने बड़े दिल की छवि और गढ़ सकते हैं।