सार
सीटों के बंटवारे पर एनडीए में अभी सबकुछ ठीक-ठाक नजर नहीं आ रहा है। पहली बार चर्चाओं और अटकलों से अलग बीजेपी के किसी दिग्गज नेता ने मतभेद की बात भी स्वीकार की है।
पटना। बिहार में 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव से पहले ही एनडीए की केंद्र सरकार की ओर से राज्य को कई हजार करोड़ रुपये की परियाजनाओं का सौगात मिलेगा। ये आठ बड़ी परियोजनाएं हैं, जिनसे नौ जिलों पटना, जहानाबाद, गया, नालंदा, नवादा, पूर्णिया, भोजपुर, कैमूर, भागलपुर और सुपौल को सीधे-सीधे लाभ मिलेगा। परियोजनाएं सड़क और पुल निर्माण से जुड़ी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 सितंबर को खुद परियोजनाओं का शुभारंभ और शिलान्यास करेंगे।
एनडीए राज्य में चुनाव जीतने के लिए सोशल इंजीनियरिंग के साथ-साथ विकास कार्यों को भी बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश में है। हालांकि सीटों के बंटवारे पर एनडीए में अभी सबकुछ ठीक-ठाक नजर नहीं आ रहा है। पहली बार चर्चाओं और अटकलों से अलग बीजेपी के किसी दिग्गज नेता ने मतभेद की बात भी स्वीकार की है।
(नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी)
18 हजार करोड़ की परियोजनाओं से धमाकेदार शुरुआत
प्रधानमंत्री जिन परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे उनकी लागत करीब 18 हजार करोड़ रुपये बताई जा रही है। परियोजनाओं को चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है। शिलान्यास और शुभारंभ के जरिए मोदी राज्य में विकास के एजेंडा को सामने रखेंगे। एक तरह प्रधानमंत्री विकास के मुद्दों के आधार पर विधानसभा के लिए अभियान की धमाकेदार शुरुआत करेंगे। अमित शाह की वर्चुअल रैली के जरिए पार्टी ने पहले ही अपना अभियान शुरू कर दिया है। वैसे अभी चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान नहीं किया है। मगर सितंबर के तीसरे हफ्ते में आयोग की ओर से शेड्यूल अनाउंस हो जाने की पूरी संभावना दिख रही है।
बिहार में अकेले कोई कुछ नहीं कर सकता
इस बीच राज्य के डिप्टी सीएम और सीनियर बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा कि गठबंधन राजनीति बिहार की वास्तविकता है। बीजेपी, जेडीयू और आरजेडी इसके तीन कोने हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा राजनीतिक हालात में कोई भी पार्टी अकेले सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है। सुशील मोदी ने यह भी माना कि महागठबंधन में कुछ चीजों को लेकर तकरार है।
(सुशील मोदी)
इशारों में नीतीश कुमार को सलाह
जेडीयू और एलजेपी की तकरार को कुछ वक्त का बताते हुए उन्होंने कहा, "बीजेपी और जेडीयू ने 2015 में अलग-अलग और 2019 में साथ चुनाव लड़कर देख लिया है। हमारा संगठन एक है। हम मिल-जुलकर चुनाव लड़ेंगे तभी हमें जीत मिलेगी।" एक तरह से सुशील मोदी ने इशारों में एलजेपी के लिए जेडीयू के अड़ियल रवैये को लेकर आगाह भी किया और बताने की कोशिश की कि सरकार बनाने के लिए कैसे गठबंधन के सभी दलों की जरूरत है। उन्होंने कहा, बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व भी किसी गलतफहमी में नहीं है। एनडीए में कोई दरार नहीं है। थोड़ा बहुत जो दिख रहा है उसे ठीक कर लिया जाएगा।
एनडीए में उठापटक किस बात पर है?
बताते चलें कि जीतनराम मांझी के आने से पहले तक एनडीए में 110-100-33 का फॉर्मूला बना था। इसके तहत जेडीयू 110, बीजेपी 100 और एलजेपी के 33 सीटों पर लड़ने की अटकलें थीं। लेकिन एलजेपी ने 40 से ज्यादा सीटों की मांग पर अड़ा हुआ है। चिराग और रामविलास पासवान की ओर से बयान भी आए। एलजेपी के तीसरे मोर्चे में जाने की खबरें भी सामने आती रही हैं। इस बीच नीतीश कुमार ने एलजेपी की काट के लिए महादलित नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मांझी की हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा को महागठबंधन से तोड़कर अपने पाले में मिला लिया। 12 से ज्यादा सीटें मांग रहे मांझी को 9 सीटें देने की अटकलें हैं।