सार
महागठबंधन ने सहयोगी दलों के साथ सीटों का बंटवारा लगभग फिक्स कर लिया है। हालांकि मांझी के आने के बाद एनडीए में शेयरिंग के फॉर्मूले पर विवाद काफी बढ़ता नजर आ रहा है। अब बीजेपी नेता भी खुलकर मांझी का विरोध करने लगे हैं।
पटना। बिहार में 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव के लिए जबरदस्त तैयारियां देखने को मिल रही हैं। चुनाव में सत्ताधारी एनडीए और महागठबंधन के बीच मुख्य मुक़ाबला तय है। तीसरी पार्टियां भी मामले को त्रिकोण बनाने की भरसक कोशिश में हैं। इस बीच खबर है कि महागठबंधन ने सहयोगी दलों के साथ सीटों का बंटवारा लगभग फिक्स कर लिया है। हालांकि जीतनराम मांझी के आने के बाद एनडीए में शेयरिंग के फॉर्मूले पर विवाद काफी बढ़ता नजर आ रहा है। अब बीजेपी नेता भी खुलकर मांझी का विरोध करने लगे हैं।
महागठबंधन की लीडिंग पार्टी आरजेडी के सीनियर नेता भाई वीरेंद्र ने मीडिया से कहा, "सहयोगी दलों के साथ सीट शेयरिंग को लेकर बातें फाइनल हो चुकी हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए महागठबंधन के नेता बंटवारे का ऐलान करेंगे। हालांकि महागठबंधन के किसी नेता ने अब तक यह नहीं बताया है कि किस सहयोगी पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगी।
महागठबंधन में किसे कितनी सीटें?
महागठबंधन में आरजेडी के अलावा कांग्रेस, उपेंद्र कुशावाहा की आरएलएसपी, मुकेश साहनी की वीआईपी, सीपीआई(एमएल), सीपीआई (एम) और सीपीआई के शामिल होने की संभावना है। चर्चाओं की मानें तो महागठबंधन में जो फॉर्मूला तय हुआ है उसके मुताबिक आरजेडी को 135-140, कांग्रेस को 45 से 50, आरएलएसपी को 23-25, सीपीआई (एमएल) को 12 से 15, वीआईपी को 8-10, सीपीआई को 3-5 और सीपीआई (एम) को 2-3 सीटें मिल सकती हैं। आरजेडी ने पहले ही साफ कर दिया था कि गठबंधन में वह सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
तेजस्वी ने साधा नीतीश कुमार पर निशाना
पूर्व डिप्टी सीएम और चुनाव में आरजेडी का चेहरा बने तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को आड़े हाथ लिया है। तेजस्वी ने आज एक ट्वीट में नीतीश सरकार की जमकर आलोचना की। उन्होंने ट्वीट में सवाल पूछा, "बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार बेरोज़गारी पर बात करने से डरते क्यों है? क्या बिहार को बेरोज़गारी का मुख्य केंद्र बनाने के बाद उन्हें शर्म आती है? क्या नौकरियों में धांधली और बिहार के उद्योग-धंधे बंद करवाने के बाद भी वह युवाओं को भ्रमित कर और अधिक ठगना चाहते है?"
मांझी से एलजेपी को नुकसान, चिराग को बीजेपी का साथ
उधर, मांझी के एनडीए में आने के बाद से एलजेपी नेता चिराग पासवान बेहद नाराज हैं और जेडीयू के खिलाफ कुछ बड़ा करने का संकेत दे रहे हैं। उन्होंने 7 सितंबर को दिल्ली में पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई है। चिराग एनडीए में बड़ी भूमिका मांग रहे थे। इसके तहत वो 40 से ज्यादा सीटों पर अपनी दावेदारी जाता रहे थे। लेकिन नीतीश ने उनकी एक नहीं सुनी। उल्टे एलजेपी को काबू में करने के लिए महादलित समाज के नेता और हिंदुस्तानी अवामी मोर्चा के जीतनराम मांझी को महागठबंधन से तोड़कर एनडीए में मिला लिया।
चिराग इसे एलजेपी के राजनीतिक नुकसान के तौर पर देख रहे हैं। हालांकि चिराग ने बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अभी तक नाराजगी नहीं दिखाई है। बीजेपी नेताओं से भी उन्हें सहयोग मिलता दिख रहा है। चिराग ने खुद बीजेपी प्रेसिडेंट जेपी नड्डा से इस बारे में बात भी की है। बीजेपी नेता सुशील मोदी भी इशारों में नीतीश कुमार को सहयोगी दलों की अहमियत बता चुके हैं।
बीजेपी में भी मांझी को लेकर विरोध
मांझी के एनडीए में आने के बाद बीजेपी में भी विरोध के स्वर सुनाई देने लगे हैं। पार्टी के महादलित नेता मांझी के आने से ज्यादा खुश नहीं हैं। पार्टी के नेता और पूर्व सांसद हरि मांझी ने कहा कि जीतनराम के आने से एनडीए को तो कोई फायदा अनहीन पहुंचेगा मगर मांझी के परिवार को इसका लाभ जरूर मिलेगा। पिछले दो चुनाव बुरी तरह से हार चुके मांझी के पास महादलित समुदाय के वोट नहीं हैं।