सार

43 साल पहले एक 10 वर्ष के बालक के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज हुआ था। उस मामले के दर्ज होने से लेकर फैसला आने में पूरे 43 साल लग गये।

बक्सर(Bihar).  देश में न्यायिक प्रक्रिया में होने वाली देरी अक्सर चर्चा का विषय रहती है। इसकी एक बानगी देखने को मिली है बिहार के बक्सर में। यहां 43 साल पहले एक 10 वर्ष के बालक के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज हुआ था। उस मामले के दर्ज होने से लेकर फैसला आने में पूरे 43 साल लग गये। अब जिस 10 साल के बालक के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था उनकी उम्र 53 साल हो चुकी है। हांलाकि देर से ही सही इस 10 साल के बालक को अधेड़ उम्र में न्याय मिल गया है।

बक्सर जिले के चौगाई गांव निवासी स्व. श्याम बिहारी सिंह के दस वर्षीय पुत्र के खिलाफ सात सितंबर 1979 को डुमरांव थाने में धारा - 148 एवं 307 भारतीय दण्ड संहिता एवं 27 शस्त्र अधिनियम का मामला दर्ज किया गया था। उस समय बालक की आयु 10 वर्ष पांच महीने की थी। मामला किसी के साथ मारपीट एवं शस्त्र प्रदर्शन का था। मामले में चार्जशीट के बाद बालक का मुकदमा एक नवंबर 2012 को एसीजेएम द्वितीय के न्यायालय से स्थानांतरित होकर किशोर न्याय परिषद में पहुंचा।

43 साल बाद हुई सच की जीत, बाइज्जत बरी 
किशोर न्यायालय में मामला आरोपी व अन्य गवाहों के बयान के लिए काफी दिनों तक लंबित रहा और मंगलवार को 53 वर्ष के अधेड़ हो चुके आरोपित का बयान लेने के बाद न्यायाधीश राजेश सिंह ने अभियोजन पक्ष से कोई भी साक्षी उपस्थित नहीं होने की स्थिति में उन्हें बचपन के केस से दोषमुक्त करने का फैसला दिया। इस तरह से करीब 43 साल बाद जिस दस साल के बालक पर केस दर्ज किया गया था वह 55 साल की उम्र में दोषमुक्त हो गए।