सार
अस्पताल अधीक्षक ने बताया कि राज्य का IGIMS पहला अस्पताल है, जहां इस ट्रीटमेंट से बच्चे का जन्म हुआ है। जिन माता-पिता को संतान नहीं है वे परेशान न हो,IVF से सही इलाज करवाने पर जरूर सफलता मिलेगी। सौभाग्य की बात है कि बिहार दिवस के दौरान बच्चे का जन्म हुआ है और IGIMS ने इतिहास रचा है।
पटना : बिहार (Bihar) के लोगों के लिए अच्छी खबर है। टेस्ट ट्यूब बेबी (Test Tube Baby) से राज्य के पहले बच्चे का जन्म हुआ है। ऐसा करने वाला इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट्स ऑफ मेडिकल साइंसेज (IGIMS) बिहार औ झारखंड का पहला सरकारी अस्पताल बन गया है। अस्पताल में पिछले दो साल से इलाज करा रहे सहरसा के मिथलेश और अनिता के घर 14 साल बाद किलकारी गूंजी है। IVF ट्रीटमेंट के जरिए मां की सूनी गोद खुशियों से भर गई है। गुरुवार को जब बच्चे का जन्म हुआ तो पूरी फैमिली खुशी से उछल पड़ी। सभी 14 साल बाद संतान पाकर काफी खुश दिखाई दिए।
हर जगह इलाज लेकिन नहीं मिली सफलता
अस्पताल के अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि बच्चे की खुशी के बाद अस्पताल में जश्न मनाया गया। ये अस्पताल के लिए बड़ी सफलता है। बच्चे के माता-पिता ने बताया कि उनकी कोई संतान नहीं थी। बच्चे के लिए हर जगह इलाज करवाकर थक चुके थे लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी। इसी दौरान खबर मिली कि IGIMS में IVF ट्रीटमेंट शुरू हुआ, तो हम वहां पहुंचे और आखिरकार आज हमारे परिवार में खुशियां आ गई हैं।
सांसद रविशंकर प्रसाद ने सराहा
बता दें कि पहले टेस्ट ट्यूब बेबी के जन्म में पटना साहिब सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) ने डॉक्टरों को बधाई दी है। रविशंकर प्रसाद ने साल 2018 में अपने राज्यसभा फंड से एक करोड़ रुपये की मदद से IVF और PMR केंद्र की स्थापना कराने में मदद की थी। उन्होंने फरवरी 2018 में इस विभाग का शिलान्यास भी किया था। गुरुवार को उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि IGIMS में टेस्ट ट्यूब के माध्यम से बच्चे के जन्म से राज्य के बिना संतान वाले दंपती को प्रेरणा मिलेगी। प्राइवेट अस्पताल में गरीब परिवार से आने वाले दंपती को टेस्ट ट्यूब बेबी में काफी खर्च करना पड़ता था। अब सरकारी अस्पताल में कम खर्च में यह हो सकेगा। यह बिहार-झारखंड का पहला सरकारी अस्पताल है जहां नि:संतान दंपती आईवीएफ की सुविधा का लाभ ले सकेंगे।
क्या होता है IVF
जो महिलाएं नैचुरली तरीके से कंसीव नहीं कर पाती हैं, वो IVF ट्रीटमेंट की मदद से मां बन सकती हैं। आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन एक रिप्रोडक्टिव टेक्नोलोजी है। इस प्रक्रिया में महिला की ओवरी से एग लेकर उसे स्पर्म के साथ फर्टिलाइज किया जाता है। इस फर्टिलाइज एग को एम्ब्रियो कहा जाता है। इस एग के मैच्योर होने के बाद, इसे महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है।
इसे भी पढ़ें-शादी के 7 साल बाद IVF तकनीक से पैदा हुआ था बेटा, पिता ने 20 हजार देकर करवाया पत्नी-मासूम का मर्डर
इसे भी पढ़ें-जवान बेटे की सुसाइड से जिंदा लाश बन गई थी महिला, अब 50 साल की उम्र में फिर बनी मां