सार

इंसानियत को शर्मसार करने वाला ये मामला बिहार के भागलपुर जिले से सामने आया है। जहां अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं रहने की बात कहकर भाई-भतीजे ने 30 वर्षीय युवक की लाश को आंगन में ही दफना दिया। 
 

भागलपुर। लॉकडाउन से अलग-अलग तरह की घटनाएं देखने को मिल रही हैं जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। बिहार के भागलपुर से एक ऐसा मामला सामने आया है जहां दाह-संस्कार के लिए पैसे नहीं होने पर घरवालों ने आंगन में ही लाश को दफना दिया। हैरान करने वाली घटना इशाकचक के सर्व मंगला काली स्थान के पास की है। मृतक की पहचान 30 वर्षीय गुड्‌डू मंडल उर्फ फुटो के रूप में हुई है। उसे मिर्गी की बीमारी थी। 

चंदा कर हुआ दाह-संस्कार
जानकारी के अनुसार शुक्रवार देर रात गुड्डू की मौत हो गई। परिजनों ने शनिवार को दिन में लाश को घर के आंगन में ही दफना दिया। मोहल्ले के लोगों को जब इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने पुलिस को सूचना दी। पुलिस वहां पहुंची और इशाकचक थानेदार संजय कुमार सुधांशु व पार्षद कल्पना देवी की मौजूदगी में परिजनों से घर का आंगन खुदवा कर लाश निकलवाई। इसके बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। मृतक के बड़े भाई ओमप्रकाश मंडल और उसके दोनों भतीजों ने लाश दफनाई थी। बाद में पार्षद और मोहल्लेवासियों ने चंदा कर शव का दाह-संस्कार किया। 

घरवालों की आर्थिक हालत खराब 
बताया जाता है कि मृतक कचरा चुनता था और मानसिक रूप से बीमार भी था। उसके दो भाई ओमप्रकाश मंडल और अजय मंडल ठेला चलाते हैं। आर्थिक रूप से परिवार काफी गरीब है। ओमप्रकाश ने बताया कि शुक्रवार रात को गुड्‌डू को मिर्गी का दौरा पड़ा था। उसके मुंह से झाग भी निकलने लगा। हमने उसके हाथ-पैर दबाए तो वह ठीक हो गया। फिर हम लोग सोने चले गए। सुबह जगे तो गुड्‌डू की मौत हो चुकी थी। 

घरवालों ने बाया, लकड़ी-कफन-श्मशान घाट ले जाने के लिए गाड़ी आदि का खर्च जोड़ा तो करीब 5 हजार आया। इतने पैसे हमारे पास नहीं थे, इसलिए हमने सुबह करीब 6 बजे कुदाल से घर के आंगन में कब्र खोदकर गुड्‌डू को दफना दिया। ओमप्रकाश का कहना था कि हमारे पास कोई दूसरा उपाय नहीं था। मोहल्लेवासी भी मदद को तैयार नहीं थे।