सार
पूर्वी चंपारण में मात्र 150 किमी की दूरी के लिए एंबुलेंस ड्राइवर ने 5000 रुपए की मांग की थी। गरीब मां-बाप अपने बच्चे को समय पर अस्पताल नहीं ले जा सके।
मोतिहारी। लॉकडाउन से उपजी परिस्थिति में कई जगह डॉक्टर व मेडिकल सर्विस से जुड़े अन्य लोग जान जोखिम में डालकर लोगों की सेवा में लगे हैं, वहीं कई जगह से मेडिकल सर्विस से जुड़े लोगों का अमानवीय चेहरा भी सामने आ रहा है। ताजा मामला बिहार के पूर्वी चंपारण जिले का है। एक बच्चे की तबियत बिगड़ने पर डॉक्टरों ने उसे पटना रेफर कर दिया था। बच्चे के माता-पिता उसे पटना ले जाने के लिए एंबुलेंस तलाश रहे थे। इस बीच एक एंबुलेंस ड्राइवर ने चंपारण से पटना करीब 150 किलोमीटर की दूरी के लिए 5000 रुपए की मांग कर दी।
महावीर कैंसर संस्थान से हो रहा था इलाज
गरीब मां-बाप के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो एंबुलेंस चालक को 5000 रुपया देकर अपने बच्चे को पटना इलाज के लिए ले जा सके। काफी मान-मनौवल के बाद भी एंबुलेंस चालक नहीं माना। इस बीच मासूम बच्चे की मौत हो गई। ये मामला पूर्वी चंपारण के कल्याणपुर पीएचसी का है।
कल्याणपुर के राजपुर आजादनगर निवासी मुन्ना कुमार के तीन वर्षीय पुत्र प्रिंस को कैंसर था। बच्चे के कैंसर का इलाज महावीर कैंसर संस्थान पटना से चल रहा था। इस बीमारी के कारण मुन्ना की आर्थिक स्थिति पहले से खराब थी। रही-सही कसर लॉकडाउन ने निकाल दी।
दादा की गोद में ही बच्चे की हुई मौत
इस बीच बच्चे की तबियत बिगड़ने पर उसे कल्याणपुर पीएचसी में भर्ती कराया गया था। जहां बच्चे की गंभीर हालत को देखकर डॉक्टरों ने उसे पटना के लिए रेफर कर दिया था। पटना ले जाने के लिए जब मुन्ना एम्बुलेंस ड्राइवर के पास पहुंचा उसने 5000 रुपए की मांग कर दी। लेकिन पैसे की कमी के कारण मुन्ना और उसके परिजन एम्बुलेंस लेकर बच्चे को ससमय पटना नहीं पहुंच सके। तीन वर्ष के प्रिंस की मौत उसके दादा की गोद में ही हो गई। बच्चे की मौत के बाद अपने भाग्य को कोसते हुए मुन्ना व उसका परिवार बच्चे की लाश लेकर घर चले गए।