सार

लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja 2021) बेहद खास होती है। यह त्योहार चार दिनों तक चलता है। छठ पूजा कार्तिक महीने की छठवें दिन मनाई जाती है। यह त्योहार नहाय खाय के साथ शुरू होता है। बिहार में पूरे प्रदेश में छठ घाटों पर साफ-सफाई और व्यवस्थाओं को पूरी तरह दुरुस्त किया जा रहा है।
 

नई दिल्ली। बिहार (Bihar), छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh), झारखंड (Jharkhand) और पूर्वी उत्तर प्रदेश (Purvanchal) समेत देश के कई हिस्सों में दिवाली (Diwali) के बाद छठ पूजा (Chhath puja) शुरू हो जाती है। संतान की प्राप्ति और उसके सुखी जीवन के लिए हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा होती है। यह व्रत मुख्यत: तीन दिनों का होता है। चौथे दिन छठ पूजा का समापन होता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा होती है, इसलिए इसे सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है। हर साल दिवाली से छठे दिन छठ पूजा का आयोजन होता है। इस साल छठ पूजा 10 नवंबर (बुधवार) को है। आइए जानते हैं इस साल छठ पूजा की प्रमुख तारीखों और पूजा विधि के बारे में।

छठ पूजा 2021 का कलेंडर

  • 8 नवंबर (सोमवार) नहाय खाय से छठ पूजा की शुरुआत।
  • 9 नवंबर (मंगलवार) खरना।
  • 10 नवंबर (बुधवार) छठ पूजा, डूबते सूर्य को अर्घ्य।
  • 11 नवंबर (गुरुवार) उगते हुए सूर्य को अर्घ्य, छठ पूजा समापन।

जानिए चारों दिन का महत्व
नहाय खाय :
छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है। इस साल नहाय खाय 08 नवंबर को होगा।
खरना: छठ पूजा का दूसरा दिन खरना होता है, जो इस साल 9 नवंबर को है। खरना को लोहंडा भी कहा जाता है। खरना छठ पूजा का महत्वपूर्ण दिन होता है। खरना वाले दिन व्रत रखा जाता और रात में खीर खाई जाती है। फिर 36 घंटे का कठिन व्रत रखा जाता है। खरना के दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है।
छठ पूजा: खरना के अगले दिन छठी मैया और सूर्य देव की पूजा होती है। इस साल छठ पूजा 10 नवंबर को है। छठ पूजा के दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
छठ पूजा समापन: छठ पूजा का समापन अगले दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ हो जाता है। 36 घंटे का कठिन व्रत पारण के बाद पूर्ण किया जाता है।

छठ पूजा की सामग्री में लाएं...
छठ पूजा में पहनने के लिए नए कपड़े, दो से तीन बड़ी बांस की टोकरी, सूप, पानी वाला नारियल, गन्ना, लोटा, लाल सिंदूर, धूप, बड़ा दीपक, चावल, थाली, दूध, गिलास, अदरक, कच्ची हल्दी, केला, सेब, सिंघाड़ा, नाशपाती, मूली, आम के पत्ते, शकरगंदी, सुथनी, मीठा नींबू (टाब), मिठाई, शहद, पान, सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम और चंदन आदि पूजा सामग्री में शामिल है।

छठी माता की ये पूजा विधि

  • नहाय-खाय के दिन सभी व्रती सिर्फ शुद्ध आहार का सेवन करते हैं।
  • खरना के दिन शाम के समय गुड़ की खीर और पूरी बनाकर छठी माता को भोग लगाते हैं। सबसे पहले इस खीर को व्रती खुद खाती हैं। बाद में परिवार और ब्राह्मणों को देती हैं।
  • छठ के दिन घर में बने हुए पकवानों को बड़ी टोकरी में भरते हैं और घाट पर ले जाते हैं।
  • घाट पर ईख (गन्ना) का घर बनाकर बड़ा दीपक जलाते हैं।
  • व्रती घाट में स्नान कर के लिए उतरते हैं और दोनों हाथों में डाल को लेकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
  • सूर्यास्त के बाद घर जाकर परिवार के साथ रात में सूर्य देवता का ध्यान और जागरण करते हैं। इस जागरण में छठी मइया के गीतों को सुनते हैं।
  • सप्तमी के दिन सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में सारे व्रती घाट पर पहुंचते हैं। इस दौरान पकवानों की टोकरियों, नारियल और फलों को साथ रखते हैं।
  • सभी व्रती उगते सूरज को डाल पकड़कर अर्घ्य देते हैं।
  • छठी की कथा सुनें और प्रसाद का वितरण करते हैं।
  • आखिरी में सारे व्रती प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोलते हैं। इसी के साथ व्रत का परायण हो जाता है।