सार
बीते 15 सालों से सड़क के किनारे बैठकर बिजली का काम करने वाले सीता देवी ने जब पहली बार ये काम शुरू किया था तो समाज में कुछ महिलाओं ने उनके खिलाफ आपत्ति उठाई थी तो कुछ लोगों ने उन्हें सपोर्ट किया था।
गया. कहते हैं हालात इंसान को जीना सीखा देता है। बिहार के गया जिले में एक महिला ने ऐसा कर दिया जो हर किसी के बस में नहीं होता है। गया जिले में रहने वाली सीता देवी ने अपने साहस और हिम्मत से अपने परिवार का खर्च उठाया बल्कि समाज की दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं। बीते 15 सालों से सड़क के किनारे बैठकर बिजली का काम करने वाले सीता देवी ने जब पहली बार ये काम शुरू किया था तो समाज में कुछ महिलाओं ने उनके खिलाफ आपत्ति उठाई थी तो कुछ लोगों ने उन्हें सपोर्ट किया था। लेकिन आज सीता देवी इसी सड़के के किनारे बैठकर आराम से अपने घर का खर्च चला रही है। उनके हिसाब से उन्हें हर दिन कम से कम 1 हजार से 1500 रुपए की कमाई हो जाती है। जिसमें आसानी से परिवार का खर्च चल जाता है।
पढ़ी लिखी नहीं हैं
गया के राय काशी नाथ मोड़ पर दुकान लगाने वाली सीता देवी पढ़ी-लिखी नहीं हैं। लेकिन बीते 15 सालों से सभी तरह के बिजली का काम कर लेती हैं। हालांकि हालात के कारण उन्होंने बिजली का काम शुरू किया था लेकिन धीरे-धीरे को सभी काम सभी गईं।
पति की बीमारी के बाद संभाली जिम्मेदारी
सीता देवी के पति भी बिजली का काम करते थे। एक समय उनकी अच्छी दुकान चलती थी। उनके यहां कई मजदूर भी काम करते थे। लेकिन बाद में उनके पति की तबियत खराब हो गई। जिसके बाद उन्होंने दुकान जाना छोड़ दिया। मजदूर भी छोड़कर चले गए और बकाया पैसे मांगने लगे। पति की तबियत खराब होने के बाद सीता ने खुद जिम्मेदारी उठाने का फैसला किया। वो पति को लेकर दुकान जाने लगीं और बिजली का सारा काम सीख लिया। काम सीखने में उनके पति ने उनका पूरा सपोर्ट किया।
धीरे-धीरे उन्हें बिजली के काम में महारत हासिल हो गई। अब को खुद एलईडी बल्ब, पंखा, कूलर, इन्वर्ट का काम कर लेती हैं। सीता के पति ने बताया कि जब बीमार हुआ तो दुकान चलाने की स्थिति नहीं थी बच्चे भी छोटे थे। लेकिन सीता बच्चों को लेकर दुकान जाती और काम सीखती।
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