सार
माउंटेन मैन दशरथ मांझी को शायद ही कोई भूल पाए। सिर्फ छेनी-हथौड़ी से 360 फीट लंबी पहाड़ी को 25 फीट गहरा और 30 फीट चौड़ा खोदकर सड़क बनाने वाले दशरथ मांझी के इस काम में कंधे से कंधा मिलाकर चलने वालीं उनकी विधवा बेटी 70 वर्षीय लौंगिया की बीमारी से मौत हो गई। इतिहास रचने के बावजूद इस परिवार की किस्मत नहीं बदली।
गया, बिहार. सिर्फ छेनी-हथौड़ी से 360 फीट लंबी पहाड़ी को 25 फीट गहरा और 30 फीट चौड़ा खोदकर सड़क बनाने वाले दशरथ मांझी उर्फ माउंटेन मैन को कौन भूल सकता है? यह अलग बात है कि 'लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड' में नाम दर्ज कराने के बावजूद इस परिवार की किस्मत नहीं बदली। इन पर फिल्म भी बनी और सरकार ने तारीफ भी खूब की। लेकिन यह परिवार गरीब ही रहा। अब मांझी की 70 वर्षीय बेटी ने लंबी बीमारी के बाद दम तोड़ दिया। लौंगिया
पिता का हाथ बंटाती थी बेटी
बता दें कि दशरथ मांझी ने गहलौर से वजीरगंज तक पहाड़ी काटकर सड़क बना दी थी। उस समय लौंगिया उनका हाथ बंटाती थी। शुक्रवार को उनकी बीमारी से मौत हो गई। उनके निधन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शोक जताया है। लौंगिया का मगध मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा था। लेकिन हालत में सुधार नहीं होने पर हफ्तेभर पहले ही उन्हें पटना रेफर किया गया था। लेकिन फिर उनके परिजन उन्हें गहलौर स्थित घर लेकर चले गए थे।
दशरथ मांझी की दो संतानें हैं। भगीरथ और लौंगिया। लौंगिया अकसर अपने पिता के किस्से लोगों का सुनाती थीं। मीडिया या अन्य कोई यहां आता, तो वो लौंगिया से दशरथ मांझी की कहानी जरूर सुनता था। बता दें कि 30 साल पहले पूर्व अतरी और वजीरगंज की दूरी पहाड़ी के कारण अधिक थी। अस्पताल भी उस वजीरगंज में हुआ करता था। बाजार भी वहीं। अब सड़क बनने से सब आसान हो गया।
आमिर खान ने भी सत्यमेव जयते का एक एपिसोड दशरथ मांझी को समर्पित किया था। देश-दुनिया से बहुत सारे लोग दशरथ मांझी के परिवार से मिले। उनकी किस्मत बदलने का भरोसा दिलाया। लेकिन कुछ नहीं हुआ। लौंगिया देवी के तीन बेटे हैं। बड़ा सुबोध दिहाड़ी मजदूर है। दूसरा बाहर मजदूरी करता है। तीसरा ईंट भट्टे पर काम करता है।
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