सार

पटना जू में आए चार नन्हें मेहमानो का शुक्रवार 29 जुलाई के दिन हुआ नामकरण।  रानी, मगध, केसरी और विक्रम रखा गया नाम। तमिलनाडू के अरिनगर अन्ना जूलॉजिकल पार्क से लाए गए टाइगर के जोड़े ने मई में दिए दे थे चार शावकों को जन्म।

पटना: पटना जू आए चार नन्हे मेहमानों का नामकरण शुक्रवार को किया गया।  इंटरनेशनल टाइगर डे पर शावकों का नामकरण जू प्रशासन द्वारा किया गया। शावकों का नाम रानी, मगध, केसरी और विक्रम रखा गया है। इन नए मेहमानों का जू में खास ख्याल रखा जा रहा है। चारों शावक अपनी मां संगीता कब साथ मस्ती करते देखा जा रहा है। चारों अपनी मां के आस-पास ही है। शावकों को खाने में चिकन कीमा दिया जा रहा है। इनका जन्म दो माह पहले 25 मई को हुआ था। चारों शावक स्वस्थ्य हैं। जानकारी हो कि चार शावकों का जन्म हिने से पटना जू में बाघों की संख्या पांच से बढ़कर नौ हो गई है।  नन्हें मेहमानों के आने से जू प्रशासन के साथ-साथ जू घूमने आने वाले लोग भी उत्साहित हैं। नए शावकों को देखने के लिए सैलानियों की भीड़ उमड़ रही है। जानकारी हो कि शावकों के माता-पिता नकुल और संगिता को वर्ष 2019 में तमिलनाडू के अरिनगर अन्ना जुलॉजिकल पार्क से पशु विनिमय कार्यक्रम के तहत पटना जू लाया गया था। 

मां के साथ मस्ती करते दिख रहे चारों शावक
चारों शावक अपने मां के साथ मस्ती करते दिख रहे हैं। उनके लिए बगीचा भी खोल दिया गया है और लकड़ियां रख दी गई है। ताकि शावक खेल सकें। शावक पूरी तरह से अपनी मां के दूध पर निर्भर हैं। शावकों ने दांतो से चीजों को नोचना शुरु कर दिया है। उन्हें खाने के लिए छोटे-छोटे चिकन का कीमा दिया जा रहा है। दो शावकों का रंग सफेद है जबकि दो का रंग अन्य बाघों की तरह है। जबकि जू प्रशासन भी शावकों पर लागातर नजर रखे है। सीसीटीवी कैमरे के जरिए 24 घंटे नए मेहमानों पर जू प्रशासन द्वारा नजर रखी जा रही है। 

पटना जू में इससे पहले भी जन्म ले चुके हैं शावक
पटना जू में इससे पहले भी शावकों का जन्म हो चुका है। वर्ष 2012 में स्वर्णा नामक बाघिन ने तीन शावकों को जन्म दिया था। हालांकि तीनों शावकों की मौत हो गई थी। इसके बाद इस जू में चार शावकों का जन्म हुआ था। इनमें तीन शावकों की मौत हो गई थी। अभ यहां जन्मे तार नए शावकों को सुरक्षित रखाना जू प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। बताया जा रहा है कि दो महीनें पहले इन शावकों का जन्म हुआ। सभी शावक स्वस्थ हैं। इन्हें देखने के लिए लोगों की बीड़ जुट रही है।

यह भी पढ़े-  झारखंड के इस फल की क्या है खासियत, जिस कारण सावन में बढ़ जाती है इसकी डिमांड, कीमत भी हैरान करने वाली