सार

राज्य पुलिस की विशेष शाखा (स्पेशल ब्रांच)  ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)नेताओं की 'जासूसी' कराने का निकाला था कथित आदेश। सरकार ने इसे रूटीन बताकर पल्ला झाड़ा।

पटना. बिहार में जेडीयू और भाजपा के बीच कलह बढ़ने लगी है। राज्य पुलिस की विशेष शाखा यानी स्पेशल ब्रांच के एक आदेश ने राजनीतिक बवाल खड़ा कर दिया है। इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नेताओं की 'जासूसी' कराने को कहा गया था। यह आदेश 28 मई यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ लेने के दो दिन पहले निकाला गया था। आदेश की प्रति सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद भाजपा ने मुख्यमंत्री नितीश कुमार से सफाई मांगी है। हालांकि सरकार ने इसे रूटीन बताकर कुछ भी कहने से मना कर दिया है। हालांकि अब बुधवार को ADG ने इस मामले में स्पष्टीकरण देते हुए आदेश को गलत तरीके से  हैंडल करने की बात कही।
 
आदेश की प्रति सार्वजनिक होने पर बीजेपी विधायक संजय सरावगी ने कहा, 'सरकार ऐसी जांच क्यों आ रही है, इसकी भी जांच  करनी चाहिए। वहीं जिस अधिकारी ने यह आदेश जारी किया है, उसके खिलाफ भी जांच बैठाई जानी चाहिए।' उधर, बिहार के शिक्षा मंत्री और जेडीयू नेता कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने खुद को एक छोटा कार्यकर्ता बताकर मामले से पल्ला झाड़ लिया। जेडी(यू) के नेशनल सेक्रटरी जनरल केसी त्यागी ने तर्क दिया कि यह रूटीन मामला है। हर खुफिया इकाई समय-समय पर यह करती रहती है। यह किसी संगठन की छवि खराब करने का कोई प्रयास नहीं है।
 
आदेश में प्रदेश के आरएसएस पदाधिकारियों और 17 सहायक संगठनों की विस्तृत जानकारी तत्काल देन को कहा गया था। सूची में वीएचपी, बजरंग दल, हिंदू जागरण समिति, हिंदू राष्ट्र सेना, धर्म जागरण समिति, राष्ट्रीय सेविका समिति, दुर्गा वाहिनी स्वदेशी जागरण मंच, शिखा भारती, भारतीय किसान संघ, हिंदू महासभा, हिंदू युवा वाहिनी के नाम भी शामिल हैं।
 
RSS नेताओं की जासूसी मामले पर ADG की सफाई, बताया-आखिर क्यों तैयार करवानी पड़ी लिस्ट
पुलिस हेडक्वार्टर के एडीजी जेएस गंगवार ने कहा-'हमने आरएसएस नेताओं की सुरक्षा को लेकर यह लिस्ट मांगी थी। क्योंकि नेताओं की जान को खतरा था। लेकिन स्पेशल ब्रांच के एसपी ने इसे गलत तरह से हैंडल किया। हम इसकी जांच करवा रहे हैं। जासूसी जैसी कोई बात नहीं है।'