सार
मोबाइल सर्विलांस पर ट्रैस न किया जा रहा हो, इससे बचने के लिए शातिरों की अपने गिरोह के सरगना से कोड वर्ड में बात की जाती थी। पुलिस की मानें तो टीशू मिला यानि डाक्यूमेंट। डन-डन यानि डील पक्की हुई। खजूर लिया यानि एडवांस रकम मिली। ऐसे कोड वर्ड का इस्तेमाल कर शातिर एक-दूसरे से बात करते थे। अन्य बातों को शेयर करने के लिए शातिर मैसेज और चैटिंग का सहारा लेते थे।
पटना (Bihar) । बिहार पुलिस ने पैसे लेकर परीक्षा पास कराने की गारंटी लेने वाले पेशेवर गिरोह से कई राज खुल रहे हैं। पुलिस के मुताबिक इस गिरोह ने एनआईटी, बिहार पुलिस दारोगा बिहार पुलिस सिपाही परीक्षा, बिहार विधानसभा बहाली, एएनएम, नर्स इंडियन नेवी, कोल इंडिया लिमिटेड, एयर फोर्स जैसी संस्थाओं में नामांकन और नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़ा किया है। गिरोह के शातिरों ने अपनी प्रेमिकाओं को भी ढाल बनाया था, जो कि बंटी-बबली की तरह अपने प्रेमियों का साया बनकर होनहारों को अपना शिकार बनाती थीं। इसके लिए वह ठगी के पैसों में मोटी रकम लेती थीं और उन्हें खुश करने के लिए शातिर भी उनपर पानी की तरह पैसे बहाते थे। जेल जाने से पूर्व पुलिस की पूछताछ में पकड़े गए सॉल्वर गैंग के शातिरों में सौरभ सुमन, उज्ज्वल कश्यप, रोहित कुमार, रमेश कुमार सिंह, प्रशांत कुमार ने इसका खुलासा किया।
गैंग में 10 से अधिक लड़कियां भी हैं शामिल
पुलिस को जांच में पता चला है कि सॉल्वर गैंग में 10 से अधिक लड़कियां शामिल हैं। इनमें कई लड़कियां शातिरों की प्रेमिकाएं हैं। उज्ज्वल और गैंग के सरगना के पास दो-दो गर्लफ्रेंड हैं जबकि अन्य लड़कियां बतौर एजेंट काम करती हैं। ये लड़कियां सिर्फ मेडिकल व इंजीनियरिंग की तैयारी करनेवाली या परीक्षा देने वाली छात्राओं को अपने बुने जाल में फंसाती थीं। शिकार बनने पर ये छात्राओं की बकायदा काउंसिलिंग करती थीं। डील पक्की होने पर ये गिरोह के उज्ज्वल कश्यप आदि से मिलवाती थीं। इसके बाद उनके अभिभावकों से डील पक्की की जाती थी।
ये था रेट
-नीट परीक्षा पास कराने के नाम पर से 15 लाख रुपए।
-इंजीनियरिंग परीक्षा पास कराने के नाम पर 8 लाख।
-बिहार पुलिस दारोगा परीक्षा के लिए 7 से 8 लाख।
-बिहार पुलिस सिपाही परीक्षा पास कराने के नाम पर तीन से 4 लाख रुपए।
-एएनएम-नर्स के लिए 2 से 3 लाख रुपये वसूल कर रखा था।
इस कोड वर्ड में सरगना से होती थी बात
मोबाइल सर्विलांस पर ट्रैस न किया जा रहा हो, इससे बचने के लिए शातिरों की अपने गिरोह के सरगना से कोड वर्ड में बात की जाती थी। पुलिस की मानें तो टीशू मिला यानि डाक्यूमेंट। डन-डन यानि डील पक्की हुई। खजूर लिया यानि एडवांस रकम मिली। ऐसे कोड वर्ड का इस्तेमाल कर शातिर एक-दूसरे से बात करते थे। अन्य बातों को शेयर करने के लिए शातिर मैसेज और चैटिंग का सहारा लेते थे।