सार

पूरा बिहार भीषण ठंड की चपेट में है। लेकिन बयानबाजी से बिहार का सियासी पारा गर्म हो गया है। विधानसभा चुनाव से काफी पहले भाजपा-जदयू नेताओं की बयानबाजी खुलकर सामने आ गई है। 
 

पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव 2020 के अक्टूबर-नवंबर में होना है। लेकिन कड़ाके की ठंड में बिहार का सियासी पारा बयानबाजी के कारण गर्म है। भाजपा-जदयू-लोजपा गठंबधन की सरकार में समय-समय पर तीनों ओर से मुखर आवाज उठती रही है। लेकिन अभी आमने-सामने जदयू और भाजपा हैं। भाजपा की ओर से बिहार के दिग्गज नेता और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और जदयू की ओर से नीतीश कुमार के करीबी प्रशांत किशोर खुलकर आमने-सामने आ गए हैं। दोनों के बीच ट्वीट वॉर शुरू हो चुका है। जिसमें प्रशांत किशोर ने सुशील मोदी के बारे में लिखा कि वो परिस्थितिवश डिप्टी सीएम बने हैं। 

बिहार की जनता ने तय किया है नीतीश का नेतृत्वः प्रशांत
प्रशांत किशोर ने ट्वीट करते में लिखा कि बिहार में नीतीश कुमार का नेतृत्व और JDU की सबसे बड़े दल की भूमिका बिहार की जनता ने तय किया है, किसी दूसरी पार्टी के नेता या शीर्ष नेतृत्व ने नहीं। 2015 में हार के बाद भी परिस्थितिवश डिप्टी सीएम बनने वाले सुशील कुमार मोदी से राजनीतिक मर्यादा और विचारधारा पर व्याख्यान सुनना सुखद अनुभव है। प्रशांत ने यह ट्वीट सुशील कुमार मोदी के उस ट्वीट के बाद किया जिसमें सुमो ने प्रशांत किशोर पर निजी हमला किया था। 

 

सुशील मोदी ने प्रशांत किशोर पर की थी टिप्पणी
सुशील कुमार मोदी ने सोमवार की रात ट्वीट में लिखा था कि 2020 का विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाना तय है। सीटों के तालमेल का निर्णय दोनों दलों का शीर्ष नेतृत्व समय पर करेगा। कोई समस्या नहीं है। लेकिन जो लोग किसी विचारधारा के तहत नहीं, बल्कि चुनावी डाटा जुटाने और नारे गढ़ने वाली कंपनी चलाते हुए राजनीति में आ गए, वे गठबंधन धर्म के विरुद्ध बयानबाजी कर विपक्षी गठबंधन को फायदा पहुंचाने में लगे हैं। एक लाभकारी धंधे में लगा व्यक्ति पहले अपनी सेवाओं के लिए बाजार तैयार करने में लगता है, देशहित की चिंता बाद में करता है।