सार
फिल्म इंडस्ट्री में कैंसिल कल्चर के प्रभावों के बारे में जावेद अख्तर ने बात की और इसे एक 'स्टेप' बताया, हाल ही में लाल सिंह चड्ढा, शमशेरा और रक्षा बंधन जैसी बड़ी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल रहीं हैं ।
एंटरटेनमेंट डेस्क । बॉलीवुड फिल्मों को लेकर बायकॉट ट्रेंड चल रहा है। कई फिल्में नकारी जा चुकी हैं। 180 करोड़ की लागत से बनी लालसिंह चढ्डा 100 करोड़ के घाटे में है। शमशेरा भी घाटे में रही है। लाइगर और रक्षाबंधन का भी बुरा हाल हुआ है। इन सभी फिल्मों का बायकॉट किया गया था। वहीं इस ट्रेंड पर गीतकार, लेखक जावेद अख्तर ने अपना रिएक्शन दिया है।
जावेद अख्तर ने कैंसिल कल्चर को बताया एक स्टेप
एक नए इंटरव्यु में फिल्म इंडस्ट्री में कैंसिल कल्चर के प्रभावों के बारे में बात की और इसे एक 'स्टेप' कहा। हाल ही में लाल सिंह चड्ढा, शमशेरा और रक्षा बंधन जैसी बड़ी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल रहीं। कई सोशल मीडिया यूजर्स ने अलग - अलग वजहों का हवाला देते हुए बायकॉट का आह्वान किया था । इसके बारे में बात करते हुए, जावेद ने कहा कि उन्हें शक है कि क्या इस तरह की अपील वास्तव में काम करती हैं।
कम बजट फिल्मे कर रहीं बेहतर प्रर्दशन
जहां कई सेलेब्रिटी ने माना है कि बॉलीवुड इस समय एक बुरे वक्त से गुजर रहा है, वहीं पूरे देश में रिलीज़ की गई कई कम बजट फिल्में हिंदी बेल्ट में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। इसका ताजा उदाहरण एक्टर निखिल की कार्तिकेय 2 ( actor Nikhil’s Karthikeya 2) है, जिसने विजय देवरकोंडा ( Vijay Deverakonda) की बॉलीवुड डेब्यू लाइगर की तुलना में बहुत बेहतर व्यवसाय दर्ज किया है। बॉक्सऑफिसइंडिया डॉट कॉम ( boxofficeindia.com) के मुताबिक, लाइगर के बायकॉट की अपील के कुछ दिनों बाद, फिल्म औंधे मुंह गिर गई है।
जल्द ही बीत जाएगा बुरा दौर
मौजूदा समय कैंसिल कल्चर के बीच चुनौतीपूर्ण स्थितियां के बारे में पूछे जाने पर, जावेद अख्तर ने बताया, “यह जल्द बीत जाने वाला स्टेप है। यह बहुत साफ है कि यह काम नहीं करता है। अगर फिल्म अच्छी है और दर्शकों द्वारा सराहना की जाती है, तो यह चलेगी, अगर यह अच्छी नहीं है और दर्शक इसे पसंद नहीं करते हैं, तो यह काम नहीं करेगा। मुझे नहीं लगता कि कैंसिल कल्चर और बॉयकॉट की इस तरह की अपील काम करती हैं।
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