सार
Budget 2022: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण(Finance Ministe Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को 2022-23 Budget 2022-23) का बजट पेश किया। इसमें सरकार ने रिकॉर्ड MSP भुगतान की बात कही है। लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत दो टूक कहते हैं कि MSP गारंटी कानून बनाने के बाद ही किसानों को फायदा होगा। इसी मुद्दे पर किसान आज दिल्ली में रैली निकालेंगे।
नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण(Finance Ministe Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को 2022-23 Budget 2022-23) का बजट पेश किया। इसमें सरकार ने रिकॉर्ड MSP भुगतान की बात कही है। लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत दो टूक कहते हैं कि MSP गारंटी कानून बनाने के बाद ही किसानों को फायदा होगा। इसी मुद्दे पर किसान आज दिल्ली में रैली निकालेंगे। किसान हरियाणा के कुंडली बॉर्डर से दिल्ली के जंतर-मंतर तक MSP कानून के लिए पैदल मार्च निकालेंगे। बजट के बाद राकेश टिकैत ने ने कहा कि गन्ना कानून में अगर 14 दिनों में भुगतान नहीं होता है, तो ब्याज का प्रावधान है, लेकिन पैसा नहीं मिलता है। उन्होंने यूपी में भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वहां 5 साल से भाजपा की सरकार है, लेकिन मार्च से भुगतान नहीं किया गया है।
31 जनवरी को मनाया था विश्वासघात दिवस
इससे पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य(Minimum Support Price) मामले में सरकार से नाराज भारतीय किसान यूनियन ने 31 जनवरी को ‘विश्वासघात दिवस’ मनाया था। किसान नेता राकेश टिकैत ने सरकार पर भरोसा तोड़ने का आरोप लगाया है। किसान नेता का आरोप है कि सरकार ने वादे के बावजूद अब तक MSP पर कानून नहीं बनाया है। राकेश टिकैत ने कहा कि हमारी मांग है कि केंद्र सरकार अपना वादा निभाए और जल्द से जल्द एमएसपी के लिए कानून बनाए। किसान नेता ने किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे भी रद्द करने की मांग उठाई है। राकेश टिकैत ने एक tweet करके लिखा-'देश के किसानों के साथ वादाखिलाफी कर किसानों के घाव पर नमक छिड़कने का काम किया गया है । किसानों के साथ हुए इस विश्वासघात से यह स्पष्ट है कि देश का किसान एक लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहें।'
19 नवंबर,2021 को हुई थी कृषि कानून रद्द करने की घोषणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गुरुनानक देवजी की 552वीं जयंती(Guru Nanak Jayanti 2021) पर 19 नवंबर को तीनों कृषि कानून(AgricultureBill) रद्द करने का ऐलान किया था। इसके बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra singh Tomar) ने कृषि कानून समाप्त करने वाले विधेयक 2021 को दोनों सदनों में पेश किया। वहां से उन्हें रद्द कर दिया गया था। इसके बाद 9 दिसंबर को आंदोलन वापस ले लिया गया था।
26 नवंबर 2020 से चल रहा था आंदोलन, 700 मौतें हुईं
सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन की शुरुआत 26 नवंबर 2020 को हुई थी। उसके बाद किसानों ने एक साल तक दोनों ही बॉर्डर को अपना घर बनाए रखा। इनमें बहुत से किसान ऐसे हैं, जो आंदोलन के पहले दिन से ही यहां डटे रहे। एक दिन भी घर नहीं गए। ऐसे किसानों का मंच से सम्मान भी किया गया। किसान आंदोलन के दौरान करीब 700 किसानों की अलग-अलग वजहों से मौत भी हुई। हालांकि सरकार संसद में यह कह चुकी है कि उनके पास ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है।
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