सार
International Fathers day 2022 हर साल जून के तीसरे संडे को मनाया जाता है। इस दिन हम आपको 5 पिता की कहानी बता रहे हैं। इनमें से किसी ने अपने बच्चे के लिए समोसा बेचा है, तो किसी ने ताने भी सुने हैं। लेकिन इन सबके बावजूद बच्चे को अच्छी शिक्षा दी और आगे बढ़ाया।
नई दिल्लीः पिता अपने बच्चे के लिए जी जान लगा देता है। मां तो अपनी आंखों से बच्चों को समझा देती हैं। लेकिन पिता बिना किसी भाव के बस अपने बच्चों के लिए जान न्योछावर कर देता है। खुद फटी पतलून पहनता है लेकिन बच्चों को नये कपड़े लाकर देता है। खुद कितनी तकलीफ में है वो बच्चों से नहीं कहता। हर साल जून महीने के तीसरे रविवार को इंटरनेशनल फादर्स डे (international Father's Day 2022) मनाया जाता है। आइए इस दिन आपको 5 पिता की कहानी बताते हैं, जिन्होंने खुद स्ट्रगल किया, ताने सुने, समोसे बेचे लेकिन बच्चों को समाज में एक अच्छे मकाम पर ला खड़ा किया।
1. धीरू भाई अंबानी ने बेटों को सिखाया क्या होता है बिजनेस
देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) की नींव रखने वाले धीरूभाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर 1932 को हुआ था। धीरूभाई अंबानी चार भाई-बहन थे, उनके पिता एक शिक्षक थे। उनका शुरुआती जीवन काफी परेशानियों से भरा रहा था। परिवार को हमेशा आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता था और इसी वजह से धीरूभाई अंबानी को अपनी पढ़ाई छोड़कर गठिया बेचना पड़ा था। धीरूभाई अंबानी ने जब बिजनेस की दुनिया में कदम रखा तो न उनके पास न तो पुश्तैनी संपत्ति थी और न ही बैंक बैलेंस। 17 साल की उम्र में पैसे कमाने के लिए धीरूभाई अंबानी साल 1949 में अपने भाई रमणीकलाल के पास यमन चले गए। यहां उनको ए बस्सी एंड कंपनी के एक पेट्रोल पंप पर 300 रुपये प्रति माह की नौकरी मिल गई। कंपनी ने धीरूभाई के काम को देखते हुए उन्हें फिलिंग स्टेशन में मैनेजर बना दिया गया। कुछ साल नौकरी करने के बाद धीरूभाई साल 1954 में भारत आ गए। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहगीं देखा। दोनों बेटे मुकेश अंबानी और अनील अंबानी उन्हीं के नख्शोकदम पर चलने लगे।
2. शिव नाडर ने बेटी के लिए दे दिया इस्तीफा
एचसीएल टेक्नोलॉजीज (HCL Technologies) के फाउंडर शिव नाडर (Shiv Nadar) 14 जुलाई को अपना 76वां जन्मदिन मना रहे हैं। वह एक भारतीय अरबपति उद्योगपति हैं। जिन्होंने 1976 में एचसीएल की स्थापना की और अगले तीन दशकों में अपनी कंपनी को लगातार बदलते हुए आईटी हार्डवेयर कंपनी से एक मेन आईटी बिजनेस में बदल दिया। एक गैराज से शुरू की गई कंपनी आज भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है। साल 2020 में HCL टेक्नोलॉजी के चेयरमैन शिव नाडर ने अपनी बेटी के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। अब उनकी बेटी रोशनी नाडर मल्होत्रा (Roshni Nadar) HCL की कमान संभाल रही हैं। वह साल 2020 में हुरुन इंडिया (Hurun India) और कोटक वेल्थ (Kotak Wealth) की रिपोर्ट में भारत की सबसे अमीर 100 महिलाओं में पहले स्थान पर हैं। उनकी कुल संपत्ति 54,850 करोड़ रुपये है।
3. हरिवंश राय बच्चन ने हर मोड़ पर दिया अमिताभ का साथ
सन 1926 में हरिवंश राय बच्चन का विवाह श्यामा देवी नाम की महिला से हुआ। उस वक्त बच्चन साहब की उम्र 19 वर्ष थी और उनकी पत्नी की आयु 14 वर्ष थी। लेकिन दुर्भाग्यवंश उनकी ये जोड़ी ज्यादा दिनों तक साथ न रह सकी, शादी के कुछ सालो बाद उनकी पत्नी श्यामा हरिवंश राय बच्चन का टीबी की बीमारी के चलते 24 वर्ष की आयु में निधन हो गया। ये समय उनके लिए काफी दुखद था पर धीरे-धीरे समय आगे बढ़ा और पांच साल निकल गये। उनकी पहली पत्नी के निधन के पांच सालो बाद 1941 में, हरवंश राय बच्चन ने दूसरा विवाह किया, इस बार इनका विवाह एक पंजाबन तेजी सूरी नाम की महिला से हुआ था, तेजी सूरी रंगमंच से जुड़ी महिला थी जो गायन में काफी रूचि रखती थी। इस शादी से दंपत्ति को दो संताने हुई, जिसमें एक का नाम अजिताभ तथा (दुसरे का नाम आज पूरी दुनिया जानती है) सुपर स्टार अमिताभ बच्चन था। अमिताभ बच्चन ने अपने पिता से स्ट्रगल करना सीखा। उनसे सीखा कि काम नहीं मिलने पर भी खुद को परेशान नहीं होने देना है। हरिवंश साहब ने अमिताभ बच्चन को यह बताया कि जब उनकी पहली पत्नी की मृत्यु हो गई थी, तो कैसे उन्होंने खुद को संभाला। इस बात का जिक्र अमिताभ बच्चन भी कई बार कर चुके हैं।
4. ऋषिकेश कक्कड़ ने समोसा बेचकर बेटी को बनाया स्टार
नेहा कक्कड़ अब पहचान की मोहताज नहीं हैं। लेकिन एक वक्त था जब उन्होंने परिवार की तंग हालत में मदद करने के लिए जगराता भी गाया था। नेहा के पिता ऋषिकेश कक्कड़ भी गायक थे। दिन में वे समोसे बेचा करते थे और रात में जगराता गाया करते थे। हा कक्कड़ महज 4 साल की थीं तब वे अपने पिता के साथ जगराता में गाना शुरू किया था। उनका बचपन मुश्किलों से भरा रहा है। वह ऋषिकेश में अपने माता-पिता और दो भाई-बहन सोनू और टोनी कक्कड़ के साथ सिर्फ एक रूम में रहा करती थीं। लेकिन अब वह लाखों दिलों में राज करती हैं। स्टार ने अपने पिता के लिए हमेशा प्यार जताया है।
5. एथलीट किरण के पिता ने सुने ताने, लेकिन बेटी को बनाया गोल्ड मेडलिस्ट
किरण पहल को पिता के न होने का दुख होता है। हरियाणा की युवा एथलीट किरण पहल (Kiran Pahal) ने जब राष्ट्रीय चैंपियनशिप (National Championship) में महिलाओं की 400 मीटर का स्वर्ण पदक जीता तो भावुक हो गईं थीं। उनके पिता ने पुरुष प्रधान समाज में सामाजिक विरोध के बावजूद खेलों में भाग लेने के लिए अपनी बेटी का पूरा समर्थन किया था। हरियाणा के सोनीपत जिले के गनौर गांव की रहने वाली 21 वर्षीय किरण ने बताया कि उनके पिता ने उन्हें एथलेटिक्स में लाने के लिए पड़ोसियों के ताने तक सुने।
उन्होंने कहा, मेरे पिता ने गांव के लोगों और पड़ोसियों के ताने मारने के बावजूद एथलेटिक्स में बने रहने के लिए मेरा समर्थन किया। मेरे गांव वाले कहते थे कि लड़कियों को नहीं खेलना चाहिए। अगर मैं खेलती रही तो मुझसे कोई शादी नहीं करेगा। मैंने अपने पिता के कारण एथलेटिक्स में कदम रखा लेकिन वह अब हमारे बीच नहीं रहे। बता दें कि किरण के पिता ओम प्रकाश का पिछले महीने लंबी बीमारी (फेफड़ों की समस्या) के बाद निधन हो गया था। वह सोनीपत जिले की एक तहसील में मुंशी थे। उनकी मां माया देवी गृहिणी हैं। पिछले महीने राज्य चैंपियनशिप में 51.84 सेकेंड के समय के साथ सत्र का दूसरा सबसे तेज समय किरण ने निकाला था। किरण ने राष्ट्रीय चैंपियनशिप में 52.47 सेकेंड के समय के साथ महिलाओं का स्वर्ण पदक जीता था।
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