सार
सरकार ने बीमाकर्ता में 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर 65,400 करोड़ रुपए (8.5 अरब डॉलर) जुटाने की मांग की थी। आईपीओ की योजनाओं की घोषणा सबसे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी 2020 में की थी, लेकिन महामारी के कारण इसे टाल दिया गया था।
बिजनेस डेस्क। यूक्रेन-रूस वॉर की वजह से शेयर बाजार में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिल रहा है। जिसकी वजह से केंद्र सरकार देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंंपनी के आईपीओ को टालती हुई दिखाई दे रही है। मामले से परिचित लोगों के अनुसार, भारत अपने सबसे बड़े बीमाकर्ता की मेगा इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग को लॉन्च करने के लिए मध्य मई की समय-सीमा देख रहा है।
सरकार को उम्मीद है तब तक यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से बाजार में उतार-चढ़ाव असर कम हो जाएगा। लाइफ इंश्योरेंस कॉर्प का प्रकाशित एम्बेडेड वैैल्यू नियमों के अनुसार मई तक आईपीओ के लिए मान्य होगा। जानकारों की मानें तो इससे आगे की देरी का मतलब होगा कि एलआईसी को नवीनतम वित्तीय के आधार पर, एम्बेडेड मूल्य, बीमा फर्मों के लिए एक प्रमुख मूल्यांकन गेज की फिर से गणना करनी होगी।
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आईपीओ, जिसे मार्च के अंत से पहले लॉन्च करने के लिए निर्धारित किया गया था, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो कि बजट घाटे को कम करने के लिए राज्य की संपत्ति को विभाजित करने की योजना है। इस महीने की शुरुआत में आई ब्लूमबर्ग न्यूज की रिपोर्टमें कहा गया था युद्ध के कारण बाजार में उतार-चढ़ाव के साथ, देश का सबसे बड़ा आईपीओ अगले वित्तीय वर्ष में विलंबित हो सकता है।
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जानकारों की मानें तो भारत के लिए बाजार में उतार-चढ़ाव सूचकांक 15 के आसपास सरकार के लिए आईपीओ लॉन्च करने के लिए एक आरामदायक स्तर होगा। भारत एनएसई अस्थिरता सूचकांक सोमवार को मुंबई में लगभग 26 पर था, जो पिछले वर्ष के औसत 17.9 से अधिक था। इसने 24 फरवरी को इस वित्त वर्ष के उच्चतम स्तर 31.98 को छू लिया। वैसे वित्त मंत्रालय की ओर से इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं की गई है।
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सरकार ने बीमाकर्ता में 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर 65,400 करोड़ रुपए (8.5 अरब डॉलर) जुटाने की मांग की थी। आईपीओ की योजनाओं की घोषणा सबसे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी 2020 में की थी, लेकिन महामारी के कारण इसे टाल दिया गया था।