सार
एअर इंडिया की बिक्री में हो रही देरी के चलते सरकार को इसका निजीकरण पूरा होने तक इसे परिचालन में बनाए रखने के लिए 3,000 करोड़ रुपये डालने की जरूरत है
मुंबई: एअर इंडिया की बिक्री में हो रही देरी के चलते सरकार को इसका निजीकरण पूरा होने तक इसे परिचालन में बनाए रखने के लिए 3,000 करोड़ रुपये डालने की जरूरत है। विमानन क्षेत्र पर जानकारियां जुटाने वाले सेंटर फॉर पैसेफिक एविएशन (सीएपीए) ने बुधवार को यह जानकारी दी।
एअर इंडिया की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए सरकार रुचि पत्र जमा कराने की आखिरी तारीख पहले ही 17 मार्च से बढ़ाकर 30 अप्रैल कर चुकी है। सरकार ने एअर इंडिया के निजीकरण के लिए 2018 के बाद जनवरी 2020 में दोबारा कोशिशें शुरू की। इस संबंध में 27 जनवरी को प्राथमिक सूचना जारी की गयी।
100 प्रतिशत बेचने का प्रस्ताव किया
सरकार ने एअर इंडिया में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के साथ-साथ उसकी सस्ती विमानन सेवा एअर इंडिया एक्सप्रेस की भी 100 प्रतिशत बेचने का प्रस्ताव किया है। इसके अलावा वह सिंगापुर की सैट्स के साथ संयुक्त उपक्रम एअर इंडिया सैट्स में उसकी पूरी 50 प्रतिशत हिस्सेदारी भी बेचेगी।
सीएपीए ने भारतीय विमानन क्षेत्र पर अपनी नवीनतम रपट में कहा, ‘‘एअर इंडिया के निजीकरण की प्रक्रिया में और देर होगी। रुचि पत्र जमा कराने की तारीख को पहले ही छह हफ्ते आगे खिसका दिया गया है।’’
रपट के अनुसार, ‘‘इस देरी की वजह से सरकार को कंपनी में तत्काल 30 से 40 करोड़ डॉलर की पूंजी डालनी होगी। ताकि जब तक इसका निजीकरण ना हो जाए तब तक इसे मौजूदा हाल में ही परिचालन में रखा जा सके।’’
वित्तीय मदद उपलब्ध करानी चाहिए
एअर इंडिया के पायलट संघ - इंडियन पायलट्स गिल्ड और इंडियन कमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन ने सोमवार को नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी को पत्र लिखकर कहा है कि कोरोना वायरस से पैदा हुए संकट को देखते हुए सरकार को कंपनी को तत्काल वित्तीय मदद उपलब्ध करानी चाहिए।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
(फाइल फोटो)