सार

उद्योग के विशेषज्ञ और वकील क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन (Cryptocurrency Transactions) की बेहतर निगरानी और धोखाधड़ी गतिविधियों के लिए दंड के दिशानिर्देशों को सुनिश्चित करने के लिए नियमों की अपेक्षा करते हैं। क्रिप्टो संपत्ति और संबंधित सेवाओं पर कैसे कर लगाया जाएगा, इस पर स्पष्टता की प्रतीक्षा है।

 

बिजनेस डेस्‍क। भारत सरकार (Indian Government) क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पर प्रतिबंध लगाएगी या नहीं, इसको लेकर इस समय काफी शोर है। वैसे क्रिप्‍टोकरेंसी को रेगुलेट करने वाला बिल संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाना है। वैसे कुछ और जानने और समझने पहले यह जान लेना काफी जरूरी है आख‍िर दो साल पहले यानी 2019 के क्रिप्‍टो बिल और 2021 के फ्रेश क्रिप्‍टो बिल में क्‍या अंतर है?

2019 में इस नाम का था क्रिप्‍टो बिल
2019 में, बिल के नाम में क्रिप्‍टो पर पूर्ण प्रतिबंध का सुझाव है। 2019 में बिल का नाम ‘बैनिंग ऑफ क्रिप्‍टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफ‍िश‍ियल डिजिटल करेंसी बिल 2019’को पढ़ें पता चलता है कि किसी को भी क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग, जेनरेट, होल्‍ड, बिक्री, डील, इश्‍यू, ट्रांसफर, डिस्‍पोज या यूज करने के लिए मना किया गया है।

दो साल में बदल गया बिल
2021 आते-आते चीजें काफी तेजी के साथ बदल गईं। बिल को अब 'क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021' नाम दिया गया है, और इसे पहली बार बजट सत्र के लिए लिस्‍ट भी कर लिया गया था, लेकिन व्यापक परामर्श के लिए इसे टाल दिया गया। उसके बाद सरकार ने क्रिप्टो यूनियंस, एक्सचेंजों और अन्य विशेषज्ञों से परामर्श किया है। जिससे स्‍टेक होल्‍डर्स में क्रिप्‍टो कारोबार को लेकर काफी आशावादी दिख रहे हैं।

2021 के बिल से क्या उम्मीद करें?
पिछले कुछ महीनों में, सरकारी सूत्रों ने खुलासा किया है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने पर विचार करेगी, उन्हें असेट के रूप में मानेगी, न कि करेंसी के रूप में और इंवेस्‍टमेंट पर मिलने वाले  रिटर्न पर टैक्‍स लगाने पर विचार करेगी। एक बात तय हो गई है कि देश में क्रिप्टो को करेंसी के तौर पर नहीं चलने दिया जाएगा। खेतान एंड कंपनी में इनडायरेक्ट टैक्स प्रैक्टिस ग्रुप की पार्टनर रश्मि देशपांडे कहती हैं कि 2019 के बिल में बदलाव करना होगा क्योंकि उस बिल में क्रिप्टोकरेंसी कारोबार को समझने में काफी खामियां थी। मौजूदा माहौ में जहां हर कोई क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर रहा है और इसके आसपास बहुत सारे व्यवसाय हैं, इसे प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। सीएनएन न्‍यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, जिसमें सरकारी सूत्रों का हवाला दिया गया है, कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं होगा, लेकिन एक रेगुलेटरी मैनेनिज्‍म स्थापित किया जाएगा।

बि‍ल में किन किन को कि‍या जाएगा रेगुलेट?
सबसे पहले क्रिप्टो ट्रेडिंग की अनुमति केवल उन प्लेटफॉर्म और एक्सचेंजों के माध्यम से दी जाएगी जिन्हें सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त है। यहां तक कि एक नई रेगुलेट बॉडी भी बनाई जा सकती है। साथ ही क्रिप्टोकरेंसी को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दायरे में लाया जा सकता है।

क्रिप्टो में क्रॉस बॉर्डर ट्रांजेक्‍शंस भी शाम‍िल है, इसलिए ट्रेडों की निगरानी के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) जैसी संस्था की आवश्यकता होगी। जानकारों के अनुसार इंवेस्‍टर्स की सेफ्टी सबसे महत्वपूर्ण है। निवेशकों के खिलाफ धोखाधड़ी के मामलों में दंड के मानदंड बनाने होंगे। निशीथ देसाई एसोसिएट्स के टेक्‍नोलॉजी लॉयर जयदीप रेड्डी कहते हैं कि उनके द्वारा पहले भी सिफारिश की गई है कि मौजूदा कानून जैसे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, फेमा, आईपीसी, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, पीएसएस अधिनियम, पीएमएलए, पुरस्कार चिट अधिनियम, जमा-संबंधित कानून, प्रतिभूतियां क्रिप्टो-एसेट व्यावसायिक गतिविधि के संबंध में कानूनों और कर कानूनों को सक्रिय रूप से लागू किया जाना चाहिए।

टैक्स क्या होगा?
इंडस्‍ट्री टैक्‍सेशन को लेकर काफी सतर्क हैं। क्रिप्‍टोकरेंसी पर अगर टैक्‍स की दर ज्‍यादा होती है तो सेंटीमेंट को कम कर सकती है और पिछले दो वर्षों में भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों की भीड़ को धीमा कर सकती है। टैक्‍सेशन के लिए, क्रिप्टोकरेंसी को उनके कार्य के अनुसार अलग करना पड़ सकता है। निशीथ देसाई एसोसिएट्स के एक पेपर में तीन बकेट का सुझाव दिया गया है- पेमेंट टोकन, सिक्‍योरिटी टोकन और यूटिलिटी टोकन। जानकारों की मानें तो इस पर पूरे क्‍लैरिफ‍िकेशन की जरुरत है। सवाल यह है कि क्रिप्‍टोकरेंसी से मिलने वाले रिटर्न को इनकम टैक्‍स के तहत कैपिटल असेट माना जा सकता है। हमें यह जानने की जरूरत है कि क्या इसे सामान या सेवाओं के रूप में माना जाएगा और यह भी कि यह किस टैक्स स्लैब के तहत आ सकता है।

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भ्रमित कर कर रहे हैं सर्कूलर के शब्‍द
बिल पर जारी किए गए सर्कुलर में कहा गया है कि यह "भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी की जाने वाली ऑफिशि‍यल डिजिटल करेंसी के निर्माण के लिए एक सुविधाजनक ढांचा का निर्माण करना चाहता है। इससे भी महत्वपूर्ण बात, यह कहता है कि बिल "भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करना चाहता है"। भारत में निजी क्रिप्टोकरेंसी को ऐसी किसी भी क्रिप्टोकरेंसी के रूप में समझा जाता है जो सरकार द्वारा स्वयं विनियमित या जारी नहीं की जाती है, जैसे कि बिटकॉइन, एथेरियम और डॉगकॉइन। लेकिन निजी क्रिप्टोकरेंसी की आधिकारिक परिभाषा पर कोई स्पष्टता नहीं है।

"निजी क्रिप्टोकरेंसी' फ्रेज के उपयोग के कारण अनावश्यक भ्रम है। सरकार 'पब्‍ल‍िक सेक्‍टर' और 'प्राइवेट सेक्‍टर' जैसे शब्‍दों का प्रयोग अपने डॉक्‍युमेंट में करती है। इसलिए प्राइवेटनिजी, नॉन सॉवरेंट यूनिट द्वारा जारी किए गए किसी भी उपकरण को निजी क्रिप्टो माना जाता है।  सरकारी सूत्रों के हवाले से सुबह से कई न्‍यूज रिपोर्ट ने जनता को आश्वासन दिया है कि कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं होगा। फिर निषेध जैसे शब्दों का प्रयोग क्यों छोड़े? कई लोगों का मानना है कि यह बिल ड‍िटेल को पिछली लिस्टिंग से कॉपी-पेस्ट किए जाने से हुआ है।