सार
आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री (IMF Chief Economist) ने कहा है कि भारत में हुआ डिजिटलीकरण गेम चेंजर की भूमिका है और भारत निश्चित तौर पर 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था होगा। आईएमएफ ने केंद्र सरकार के डिजिटल मूवमेंट की सराहना की है।
IMF Chief Economist On Indian Economy. IMF के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे ओलिवियर ने कहा है कि डिजिटाइजेशन एक गेम चेंजर की तरह है। भारत निश्चित रूप से 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है। IMF के मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा कि डिजिटलीकरण की वजह से नीतियां ज्यादा बेहतर बन रही हैं जिसका राजकोष पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने नरेंद्र मोदी सरकार के डिजिटलीकरण प्रयासों का समर्थन किया है और इसे गेम-चेंजर करार दिया है। इसकी वजह से प्रशासन को उन योजनाओं को पूरा करने में मदद म निष्पादित करने की अनुमति दी है जो अन्यथा बेहद कठिन होतीं। आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर ने बताया कि डिजिटाइजेशन ने भारत सरकार को ऐसे काम करने की सहूलियत दी है जो बेहद मुश्किल होता था। यह गेम-चेंजर की तरह है। यह निश्चित रूप से कुछ ऐसा है जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि डिजिटलीकरण से वित्तीय समावेशन में मदद मिलती है।
भारत जैसे देशों में बहुत से लोगों के पास बैंकिंग सुविधा नहीं है। डिजिटल वॉलेट तक पहुंच एक ऐसा तरीका है जिससे वे नकदी से जुड़े लेन-देन को दूर कर सकते हैं। लोगों को अधिक आधुनिक अर्थव्यवस्था में लाने के प्रयास का बड़ा लाभ है। इस डिजिटल उपकरण में शामिल होना विकास का कारक हो सकता है। उन्होंने कहा कि ये डिजिटल उपकरण सरकारों को ऐसे तरीकों तक पहुंचने और वितरित करने की अनुमति देते हैं जो कभी-कभी सुरक्षा की वजह रसे बहुत कठिन होते थे। उन्होंने यह भी कहा कि हमने महामारी और ऊर्जा संकट दोनों से एक सबक सीखा है। सबक यह कि जहां जरूरत हो वहां सहायता कैसे पहुंचाई जा सकती है। क्योंकि सभी को कवर करने वाली एक व्यापक नीति का होना बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि डिजिटलीकरण जरूरत पड़ने पर अधिक लोगों तक पहुंच सकता है। यह गेम चेंजर की तरह है नीति को अधिक तेजी से क्रियान्वित करता है। आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा कि हमने पहले बहुत से देशों को बहुत तेजी से विकास करते देखा है। मुझे लगता है कि यह निश्चित रूप से यह आसान काम नहीं है। लेकिन हां, भारत जैसी अर्थव्यवस्था के लिए निश्चित रूप से बड़ी संभावना है। ऐसा करने के लिए भारत को कई संरचनात्मक सुधार करने की जरूरत है।
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