सार
देश का चावल निर्यात चालू वित्त वर्ष में करीब 20 प्रतिशत घटने की आशंका है। इसका कारण पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ना तथा व्यापार नियमों का कड़ा होना है।
मुंबई. देश का चावल निर्यात चालू वित्त वर्ष में करीब 20 प्रतिशत घटने की आशंका है। इसका कारण पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ना तथा व्यापार नियमों का कड़ा होना है।
20% निर्यात घटने के आसार
अमेरिकी की व्यापार वित्त से जुड़ी कंपनी ड्रिप कैपिटल की बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में चावल निर्यात में उल्लेखनीय कमी आयी है। इसका कारण पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ना तथा व्यापार नियमों का कड़ा होना है इसके कारण भारत का चावल निर्यात 2019-20 में 18 से 20 प्रतिशत घट सकता है। ड्रिप कैपिटल के सह-संस्थापक और सह-मुख्य कार्यपालक अधिकारी पुष्कर मुकेवार ने कहा, ‘‘अबतक निर्यात फीका लग रहा है। सबसे बड़ा निर्यात बाजार ईरान को भारत से चावल निर्यात में 22 प्रतिशत की गिरावट आयी है।
इसके अलावा संयुक्त अरब अमीरात (33 प्रतिशत), नेपाल (23 प्रतिशत), यमन (2 प्रतिशत), स्नेगल (90 प्रतिशत) और बांग्लादेश (94 प्रतिशत) जैसे अन्य निर्यात बाजारों में भी चावल निर्यात में कमी आयी है।’’
कुछ देशों के निर्यात बढ़े
हालांकि कुछ देशेां को निर्यात बढ़ा है। सऊदी अरब को होने वाले चावल निर्यात में 4 प्रतिशत जबकि इराक को 10 प्रतिशत और अमेरिका को होने वाले चावल निर्यात में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा देश में सबसे बड़ा बासमती चावल निर्यातक राज्य है। वित्त वर्ष 2015-16 से 2018-19 के दौरान निर्यात में 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। गुजरात दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक राज्य है जहां से 2018-19 में 110.6 करोड़ टन चावल का निर्यात हुआ। अन्य प्रमुख राजयों में दिल्ली, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश शामिल हैं।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
(प्रतिकात्मक फोटो)