सार
एक सच्चाई यह भी है कि रेस में चीन अब हमसे बहुत आगे निकल चुका है। जबकि आबादी के मामले में हम चीन के बाद दूसरे बड़े देश हैं। पिछले तीस साल के दौरान टेक्नोलोजी, इनोवेशन और मैनुफैक्चरिंग में चीन ने बहुत प्रगति की।
नई दिल्ली। किसी भी देश की बढ़ती पॉपुलेशन उसके लिए बड़ी समस्या तो है ही, मगर ह्यूमन रिसोर्स के रूप में ये एक मौका भी है। खासकर युवा आबादी। अगर विकसित देशों का इतिहास खंगाला जाए तो ये बिल्कुल साफ भी हो जाता है कि इन देशों के विकास में वहां की युवा आबादी ने कितना बड़ा रोल निभाया। इस बात के लिए सबसे बढ़िया, सटीक और ताजा उदाहरण चीन का लिया जा सकता है।
आज जो चीन नजर आता है शुरू-शुरू में वह बिल्कुल अलग था। राजनीतिक अशांति, अशिक्षा और बेरोजगारी से जूझता हुआ। चीन ने करीब-करीब हमारी आजादी के साथ ही आधुनिक विकास का सफर शुरू किया था। लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि रेस में चीन अब हमसे बहुत आगे निकल चुका है। जबकि आबादी के मामले में हम चीन के बाद दूसरे बड़े देश हैं। पिछले तीस साल के दौरान टेक्नोलोजी, इनोवेशन और मैनुफैक्चरिंग में चीन ने बहुत प्रगति की। इसे उसकी युवा आबादी ने संभव बनाया।
1990 में चीन की आबादी में युवाओं का सबसे ज्यादा 38.3% हिस्सा था। चीन की प्रगति तो बढ़ रही है, लेकिन उसकी आबादी में युवाओं का हिस्सा लगातार नीचे की ओर जा रहा है। अनुमान है कि 2030 तक 16% नीचे गिरकर यह 22.3% की शेयरिंग पर पहुंच जाएगा। यूथ ब्रेन और मैनपावर को देखें तो भारत में 2010 में कुल आबादी में युवा 35.11% थे। 2020 में करीब 34.33% हैं और 2031 तक आबादी में यह हिस्सा 32.3% के आसपास रहने की उम्मीद है।
अभी भारत की अर्थव्यवस्था 3 ट्रिलियन डॉलर है। भारत ने 5 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य रखा है। GDP के आधार पर फिलहाल भारत दुनिया का पांचवा बड़ा देश है। 21.44 ट्रिलियन डॉलर GDP के साथ पहले अमेरिका सबसे आगे है। चीन 14.14 ट्रिलियन डॉलर के साथ दूसरे, 5.17 ट्रिलियन डॉलर के साथ जापान तीसरे और 3.86 ट्रिलियन डॉलर के साथ जर्मनी चौथे स्थान पर है। अमेरिका में युवाओं का हिस्सा कुल आबादी के 2019 में करीब 12-14% है। वहीं जापान दुनिया की कुल आबादी का महज 1.64% हिस्सा (युवा भी शामिल) शेयर करता है। भविष्य में भारत का दुनिया की बड़ी ताकत बनने की जो चर्चा है वो यूं ही नहीं है।
क्यों भारत भविष्य में दूसरे देशों से ज्यादा ताकतवर है?
2031 तक दुनिया की कुल आबादी में भारत की आबादी का शेयर 18% होगा। मतलब, दुनिया का हर छठा व्यक्ति भारतीय होगा। इस आधार पर टेक्नोलोजी और इनोवेशन के लिहाज से सिर्फ भारत के पास सबसे ज्यादा और तगड़ा 'ह्यूमन रिसोर्स' होगा। यह किसी दूसरे विकसित और विकासशील देश के पास नहीं है। यह भी दिलचस्प है कि 2010 के बाद टेक्नोलोजी, इनोवेशन और स्टार्टअप की दिशा में भारत के कदम तेजी से बढ़े हैं। कई दर्जन स्टार्टअप इस बात का सबूत हैं।
भविष्य की बुनियाद बनेंगी ये योजनाएं
भारत ने 15-29 साल के 'एज ग्रुप' को यूथ माना जाता है। नरेंद्र मोदी सरकार आने के साथ ही फरवरी 2014 में 'नेशनल यूथ पॉलिसी' लॉन्च की जिसका मकसद ही युवा आबादी की क्षमताओं का इस्तेमाल करते हुए उन्हें सशक्त बनाना और देश के विकास को गति देना है। मोदी सरकार की मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, कोरोना के बाद की आत्मनिर्भर योजनाएं और नेशनल एजुकेशन पॉलिसी; ह्यूमन रिसोर्स को यूटिलाइज करने में मददगार साबित होंगी।
आजादी के बाद भारत में पढ़ने पढ़ाने का दौर बढ़ा है। बेसिक शिक्षा को लेकर जो अभियान चलाए गए उसका असर ये रहा कि लिटरेसी रेट बढ़ने के साथ ही साथ माध्यमिक शिक्षा और उच्च संस्थानों में भी एनरोलमेंट बढ़ा है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत का कुल लिटरेसी रेट 73% है। लेकिन इसमें पुरुषों की हिस्सेदारी ज्यादा जो एक चिंता की बात है। देश में 80.9% मेल जबकि 64.7% फीमेल साक्षर हैं। बेसिक शिक्षा से उच्च शिक्षा तक भारत की ग्रोथ बहुत बेहतर है।
2014-15 में ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन के मुताबिक 79% स्टूडेंट अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम के लिए नामांकित हुए। जबकि 11% स्टूडेंट (38.5 लाख) पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम के लिए एनरोल हुए। सर्वे में हायर एजुकेशन को तीन कैटेगरी में बांटकर स्टडी की गई थी। यूनिवर्सिटी, कॉलेज और स्टैंड आलोन इंस्टीट्यूशन। स्टैंड आलोन इंस्टीट्यूशन में टीचर ट्रेनिंग, नर्सिंग, मैनेजमेंट पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोम जैसे पाठ्यक्रम हैं। पिछले एक दशक के दौरान विदेशी शिक्षा में भी काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है। उच्च शिक्षा में दिख रही ग्रोथ युवाओं के सही दिशा की ओर बढ़ने का एक सबूत भी है।
युवाओं में बेरोजगारी की दर ज्यादा, वजह पारंपरिक
हालांकि ये पहले से बेहतर है मगर युवाओं के रोजगार की गति कम है। ऐसा पारंपरिक एजुकेशन और सोशल सिस्टम की वजह से भी हो सकता है। 2011-12 में NSSO 68वें राउंड के स्टडी मुताबिक "लेबर फोर्स पार्टीसिपेशन" में पुरुषों के मुक़ाबले महिलाओं की हिस्सेदारी कम है। और यह ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लगभग एक जैसा है। सबसे चिंताजनक बात अन्य एजग्रुप के मुक़ाबले 15-29 साल के एज ग्रुप में बेरोजगारी की दर बहुत ज्यादा है। इसमें भी फीमेल के बेरोजगारी की दर मेल से ज्यादा है। मेल-फीमेल का ये एजग्रुप हायर स्टडी, जॉब प्रिप्रेशन, पैरेंट डिपेंडेंट या हाउस वाइव्स का है। भारत में डिपेंडेंट यूथ की संख्या ज्यादा है। यह दर सरकार की योजनाओं की वजह से आगे सुधार सकती है।
भारत में यूथ पॉपुलेशन में सेक्स रेशियों की दर भी परेशान करने वाली है। यह 1991 की जनगणना के बाद से लगातार नीचे गिरती नजर आ रही है। ओवलऑल पॉपुलेशन के मुक़ाबले ये काफी काम है। 1971 में 961 के मुक़ाबले 2011 में यह 939 थी। 2021 में सेक्स रेशियों 904 (यानी 1000 मेल यूथ पर 904 फीमेल) तक पहुंचने की आशंका है।
युवाओं के लिए भविष्य में चुनौतियां
भारत की बड़ी युवा आबादी को अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। मुख्यरूप से ये संसाधनों तक बराबर पहुंच, शिक्षा, ट्रेनिंग और रोजगार के बराबर मौके हैं।
भारत के युवाओं की उपलब्धियां
पिछले 20 सालों में भारत के युवाओं ने कई उपलबधियां हासिल की हैं। बड़े स्टार्टअप और इनोवेशन के जरिए दुनिया में भारत की धाक जमाई है। पेटीएम, फ्लिपकार्ट, जोमैटो, क्विकर, ओला, बाइजू जैसे तीन दर्जन से ज्यादा स्टार्टअप, हजारों की तादाद में स्माल स्केल इंडस्ट्री पिछले कुछ सालों में ही बनीं और सक्सेस हुईं। भविष्य में भारत भी अपनी युवा शक्ति के जरिए अमेरिका, चीन, फ्रांस और जर्मनी जैसे ताकतवर देशों की लिस्ट में शुमार होगा।
ऑलटाइम रोल मॉडल
भारत में युवाओं के ऑलटाइम रोल मॉडल के रूप में रामानुजन से लेकर स्वामी विवेकानंद तक बहुत बड़ी लिस्ट है।
आधुनिक रोलमॉडल
बिजनेस, आर्ट, सिनेमा, खेल, टेक, ई-कॉमर्स जैसे क्षेत्रों में कई दर्जन भारतीय आज दुनिया के लिए नजीर हैं। ये पिछले 20 साल के दौरान ही खड़े और बड़े हुए। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई, माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नाडेला, सचिन बंसल, कुणाल बहल, भाविश अग्रवाल, ईशा और अनंत अंबानी, विजय शेखर शर्मा, दीपेंदर गोयल, राजकुमार राव, आयुष्मान खुराना, कार्तिक आर्यन, विराट कोहली, दुती चंद, फोगाट सिस्टर्स, साइना नेहवाल, पीवी सिंधु जैसी हस्तियां (लिस्ट बहुत लंबी है) इसी दौरान अपना मुकाम पाने में कामयाब हुईं।
... और अंत में यह भी जान लीजिए
पढ़ते-पढ़ते यह भी जान लीजिए कि हम आपसे ये बातें क्यों साझा कर रहे थे। दरअसल, अगस्त के महीने में दुनिया के कई अलग-अलग देशों में यूथ डे मनाया जाता है। हालांकि भारत में स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस पर 12 जनवरी को युवा दिवस मनाया जाता है।
(तमाम आंकड़े भारत सरकार के Social Statistics Division की ओर से 2017 में जारी विस्तृत रिपोर्ट से लिए गए हैं।)