सार
Happy Birthday Azim Premji: अजीम अपनी संपत्ति विप्रो लिमिटेड (WIT) के स्वामित्व से प्राप्त करता है, जो एक सूचना प्रौद्योगिकी (IT) कंपनी है जो भारत की आईटी सेवाओं के चौथे सबसे बड़े आउटसोर्सर के रूप में रैंक करती है।
बिजनेस डेस्क .अजीम प्रेमजी (जन्म 24 जुलाई, 1945, मुंबई) भारत के सबसे धनी लोगों में से एक हैं, जो शायद, अपने धन और व्यावसायिक कौशल के बजाय अपने परोपकार (philanthropic arms) के लिए जाने जाते हैं। जुलाई 2022 तक, फोर्ब्स ने बताया कि प्रेमजी की कुल संपत्ति ( Azim Premji Networth) 8.6 बिलियन डॉलर थी। वह अपनी संपत्ति विप्रो लिमिटेड (WIT) के स्वामित्व से प्राप्त करते है, जो एक सूचना प्रौद्योगिकी (IT) कंपनी है जो भारत की आईटी सेवाओं के चौथे सबसे बड़े आउटसोर्सर के रूप में रैंक करती है। अपने स्वयं के फाउंडेशन - अजीम प्रेमजी फाउंडेशन ( Azim Premji Foundation) के माध्यम से उनके उदार दान ने उन्हें मुख्य रूप से 2019 में एक नई वसीयत की शुरुआत के बाद से एशिया के सबसे बड़े परोपकारी लोगों में से एक बना दिया है। अजीम प्रेमजी के बारे में ऐसी कई बातें हैं जो आप नहीं जानते होंगे तो आइये आपको बताते हैं कुछ रोचक तथ्य के बारे में।
30 साल बाद की अपनी शिक्षा पूरी
21 साल की उम्र में अजीम प्रेमजी स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री के लिए पढ़ाई कर रहे थे। अपने पिता के आकस्मिक निधन के कारण, उन्होंने अपनी शिक्षा छोड़ दी और विप्रो का संचालन शुरू कर दिया। उन्होंने 30 साल बाद अपनी डिग्री पूरी की। अजीम प्रेमजी के पिता मुहम्मद हाशेम प्रेमजी को पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना से पाकिस्तान आने का निमंत्रण मिला। उनके पिता ने अस्वीकार कर दिया और भारत में ही रहे।
दुनिया का 12वां सबसे बड़ा दानवीर
अजीम प्रेमजी ने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन में अपनी 8.6 फीसदी हिस्सेदारी ट्रांसफर कर दी। हिस्सेदारी की कीमत 8,646 करोड़ रुपये थी। यह भारत में किसी व्यक्ति द्वारा दान के लिए दी गई अब तक की सबसे बड़ी राशि थी। हाल में EdelGive Foundation और Hurun India की एक रिपोर्ट में प्रेमजी को पिछले 100 सालों में दुनिया का 12वां सबसे बड़ा दानवीर बताया गया था। अज़ीम प्रेमजी ने 2019-20 में परोपकार कार्यों ((philanthropic arms) ) के लिए हर दिन करीब 22 करोड़ रुपये यानी कुल मिलाकर 7,904 करोड़ रुपये का दान दिया।
इन सम्मान से हो चुकें हैं सम्मानित
अजीम प्रेमजी को व्यापार और वाणिज्य के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए 2005 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था और 2011 में उन्हें भारत सरकार के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। 2010 में उन्हें एशियावीक द्वारा दुनिया के 20 सबसे शक्तिशाली पुरुषों में से एक के रूप में चुना गया था। उन्हें टाइम मैगज़ीन के दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में 2004 और 2011 में दो बार शामिल किया गया है।
अज़ीम प्रेमजी के पिता ने शुरू किया था वेजिटेबल ऑयल का कारोबार
आपको बता दें कि अज़ीम प्रेमजी के पिता जी ने 1945 में वेजिटेबल ऑयल बनाने का शुरू किया और एक कंपनी बनाई जिसका नाम था- वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रॉडक्ट्स लिमिडेट (Western Indian Vegetable Products Limited). यह कंपनी वनस्पति तेल और कपड़े धोने वाला साबुन बनाती थी।
कैसे बनी Wipro?
विप्रो शुरू में साबुन और वनस्पति तेल के कारोबार में थी। लेकिन 1970 के दशक में अजीम प्रेमजी ने अमेरिकी कंपनी सेंटिनल कंप्यूटर कॉर्पोरेशन से हाथ मिलाया और विप्रो ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अजीम प्रेमजी ने 1980 में विप्रो को एक आईटी कंपनी के रूप में लॉन्च किया और कंपनी ने पर्सनल कंप्यूटर बनाने के साथ-साथ सॉफ्टवेयर सेवाएं प्रदान करना शुरू किया। इसके बाद कंपनी का नाम बदलकर विप्रो कर दिया गया।
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