सार
अधिनियम की धारा 159 के अनुसार, मृत व्यक्ति (Deceased Person) का कानूनी प्रतिनिधि (Legal Representative) किसी भी राशि का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होता है, जो मृतक की मृत्यु से पहले भुगतान नहीं किया गया है।
बिजनेस डेस्क। मौत और टैक्स परम सत्य और अनिवार्य हैं। यह सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन मौत होने पर भी आउटस्टैंडिंग टैक्स लायबिलिटीज (Outstanding Tax Liabilities) का पेमेंट अनिवार्य है। मृतक का कानूनी उत्तराधिकारी (Legal Heir of Deceased) बचे हुए इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) को जमा करने का जिम्मेदार होता है। कोविड -19 के कारण कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया है। उन्हें पता होना चाहिए कि क्या वे कानूनी उत्तराधिकारी हैं, आईटीआर दाखिल करना और किसी भी टैक्स लायबिलिटीज का भुगतान करना उनकी जिम्मेदारी है। यदि वह विदेशी संपत्ति का मालिक है, एक वित्तीय वर्ष के दौरान करंट अकाउंट में 1 करोड़ रुपए से अधिक जमा है, विदेश यात्रा पर 2 लाख रुपये या उससे अधिक खर्च किया है या 1 लाख रुपये से अधिक के बिजली बिल का भुगतान किया है तो उन्हें इनकम टैक्स का भुगतान करना होता है।
कानूनी वारिस की आईटीआर फाइल की जिम्मेदारी
कानूनी उत्तराधिकारी तय तारीख के अंदर मृतक का आईटीआर दाखिल करने के लिए जिम्मेदार है। देरी से दाखिल करने के मामले में दंड या जुर्माना कानूनी वारिस द्वारा वहन किया जाएगा। जानकारों के अनुसार अधिनियम की धारा 159 के अनुसार, मृत व्यक्ति का कानूनी प्रतिनिधि किसी भी राशि का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होता है, जो मृतक की मृत्यु से पहले भुगतान नहीं किया गया है। इसलिए, मृतक का कानूनी उत्तराधिकारी या कानूनी प्रतिनिधि आय की डिटेल न दाखिल करने या देर से दाखिल करने पर किसी भी दंड, शुल्क या ब्याज के भुगतान के लिए जिम्मेदार है। यदि कोई त्रुटि होती है, तो फिर से कानूनी वारिस को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
यह भी पढ़ें:- ITR Filing: इन तरीकों से चेक कर सकते हैं Online Income Tax Refund
क्या है नियम
जानकारों के अनुसार मृत व्यक्ति को उसकी मृत्यु की तारीख तक प्राप्त या अर्जित आय को मृत व्यक्ति की इनकम माना जाएगा। कानूनी प्रतिनिधि मृतक व्यक्ति की ओर से आयकर रिटर्न दाखिल करेगा और उसके बाद टैक्स का भुगतान करेगा। मृत्यु की तारीख के बाद वित्तीय वर्ष के अंत तक अर्जित आय को कानूनी उत्तराधिकारी की आय माना जाएगा और उसकी आयकर रिटर्न में इसका खुलासा किया जाएगा। हालांकि, अगर आईटीआर दाखिल करने में कोई त्रुटि है, तो उसे बाद में संशोधित किया जा सकता है।
यह भी पढ़ें:- EPFO Amount से किया जा सकता है LIC Premium का भुगतान, यहां है पूरी डिटेल
संशोधित भी किया जा सकता है रिटर्न
यदि मूल रिटर्न में कोई त्रुटि या चूक है, तो संबंधित मूल्यांकन वर्ष की समाप्ति से 3 महीने पहले या मूल्यांकन पूरा होने से पहले, जो भी पहले हो, जिसे इस बार बजट में बढ़ाकर दो साल कर दिया गया है को किसी भी समय संशोधित किया जा सकता है। यहां तक कि विलंबित रिटर्न को भी संशोधित किया जा सकता है और कितनी बार रिटर्न को संशोधित किया जा सकता है, इसकी कोई सीमा नहीं है।
यह भी पढ़ें:- SBI vs PNB vs HDFC Bank vs Yes Bank: किस सेविंग अकाउंट में हो रहा है सबसे ज्यादा फायदा
आईटीआर फाइल कैसे करें
मृतक का आईटीआर दाखिल करने के लिए, कानूनी उत्तराधिकारी को आयकर फाइलिंग पोर्टल पर खुद को 'मृतक (कानूनी उत्तराधिकारी)' के रूप में पंजीकृत करना होगा। मृतक का स्थायी खाता संख्या (पैन), मृतक का पहला, मध्य और उपनाम, मृत्यु की तारीख और कानूनी उत्तराधिकारी के बैंक खाता जैसे विवरण की आवश्यकता होगी। इसके अलावा कानूनी वारिसों का पैन नंबर, डेथ सर्टिफिकेट की कॉपी, कानूनी वारिस प्रूफ की कॉपी की जरूरत होगी। एक बार जब आप 'सबमिट' बटन पर क्लिक करते हैं, तो कानूनी उत्तराधिकारी के रजिस्ट्रेशन के लिए अनुरोध किया जाएगा। कानूनी वारिस के रजिस्ट्रेशन के बाद आईटीआर फाइल किया जा सकता है।