सार
भारत में इंटरनेट सेवाओं को कई बार बंद किया गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा बार इंटरनेट भारत में बंद हुआ है। हाल ही में नूपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए विवादित बयान के बाद कई राज्यों में उपद्रव हुआ। रांची में भी इसका असर हुआ और वहां 33 घंटों के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई।
नई दिल्लीः भारत में जब कभी उपद्रव, हिंसा या कोई बड़ा फैसला लिया गया, तब-तब इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई। रांची में शुक्रवार 10 जून को भड़के उपद्रव के कारण कई घंटे तक इंटरनेट सेवाएं बंद (Internet Break Down) कर दी गई थी। इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशन्स के रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया में सबसे ज्यादा बार इंटरनेट बंद करने वाले देशों में आगे रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इंटरनेट बंद करने की नौबत क्यों आ जाती है? इंटरनेट बंद करने के बाद क्या यूजर्स को कोई मुआवजा मिलता है?
अशांति फैलाने वालों के खिलाफ होती है कार्रवाई
हाल ही में नूपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर दिए विवादित बयान के बाद कई राज्यों में उपद्रव हुए। झारखंड की राजधानी रांची में उपद्रव बढ़ा तो 33 घंटे इंटरनेट बंद कर दिया गया। ऐसे ही मामलों में इटरनेट सेवाएं बंद कर दी जाती हैं। देश में जब भी अशांति जैसे हालात पैदा हो जाते हैं, तो सरकार ऐसे फैसले लेती है। इंटरनेट और सोशल मीडिया के कारण अशांति फैलानेवाले लोग अपनी बातों को सोशल साइट्स पर पोस्ट कर लोगों को भड़का देते हैं। अशांति फैलने के कारण ही सरकार अब इंटरनेट सेवाएं बंद करने का फैसला लेने लगी है। हाल के समय में देखा गया है कि किसी सांप्रदायिक या राजनीतिक तनाव की घटना में इंटरनेट पर मौजूद मैसेजिंग ऐप्स या सोशल मीडिया के जरिये फेक न्यूज तेजी से फैलायी जाती है।
इंटरनेट सेवाएं बंद करने का कानून
एक टेलीकॉ़म कंपनी के रिजनल मैनेजर दुर्गेश श्रीवास्तव ने जानकरी दी कि सरकार एक कानून के तहत इंटरनेट को बंद करती है। टेलीकॉम कंपनी को इसके बारे में पहले ही जानकारी दी जाती है। TRAI भी इसके पक्ष में है। सरकार पब्लिक इमरजेंसी और पब्लिक सेफ्टी के लिए इंटरनेट को बंद कर सकती है। वर्ष 2017 में इस नियम को पारित किया गया था। इस नियम में है कि किसी भी राज्य में सरकार इंटरनेट शटडाउन कर सकती है। केंद्र सरकार भी इसी कानून के तहत इंटरनेट बंद करती है। उन्होंने जानकारी दी कि डीएम, एसडीएम भी कोड ऑफ क्रिमिनल प्रॉसीजर 1973 सेक्शन 144 के तहत सेवाएं बंद कर सकते हैं।
वो घटनाएं जब इंटरनेट किया गया बंद
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सबसे ज्यादा कश्मीर में इंटरनेट बंद कि एजाते रहे हैं। सरकार का कहना है कि आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए ऐसा करना जरूरी पड़ जाता है। आतंकी इंटरनेट का इस्तेमाल किसी वारदात को अंजाम देने के लिए करते हैं। जिस जगह पर वारदात का अंदेशा होता है, वहां इंटरनेट ठप कर दिया जाता है। राजस्थान में कानून व्यवस्था बिगड़ने के अलावा कई प्रतियोगी परीक्षाओं के दौरान इंटरनेट बंद किया गया। 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने, राम मंदिर विवाद के फैसले और CAA (citizenship amendment act) को लेकर शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान इंटरनेट बंद करना आम बात हो गई थी। हाल ही में नुपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर दिये बयान पर मचे बवाल के बाद रांची में 11 जून को इंटरनेट बंद किया गया। लगातार 33 घंटे तक इंटरनेट बंद किया गया था।
इंटरनेट बंद हुआ तो कौन करेगा भरपाई
अब इंटरनेट बंद है तो जाहिर सी बात है कि आपके उतने घंटे या दिन का नेट आप इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। लेकिन आपके मन में सवाल आता होगा कि इंटरनेट जितने दिन बंद रहा, उसकी भरपाई कैसे होगी। क्या टेलीकॉम कंपनी इसकी भरपाई करेगी। इसके बारे में दो-अलग-अलग नियम हैं। किसी उपद्रव या धारा 144 लगाने पर सरकार इंटरनेट सेवा बंद करती है। ऐसी स्थिति में टेलीकॉम कंपनियां अपने यूजर्स को इसका हर्जाना नहीं देती है। क्योंकि टेलीकॉम कंपनी की ेवाएं लगातार चालू रहती है। टेलीकॉम कंपनी किसी जैमर से सेवाएं जाम करने पर कोई बरपाई नहीं करती। लेकिन किसी प्राकृतिक आपदा के कारण इंटरनेट सेवाओं के बंद करने पर टेलीकॉम कंपनी अपने यूजर्स को सारे नुकसान का हर्जाना देती है।
यह भी पढ़ें- 27 सालों की शानदार सेवा के बाद बंद होगी Internet Explorer की सेवाएं, 15 जून को Microsoft देगा विदाई