सार
कारख़ानों में एडिशनल शिफ्ट में संचालन की अनुमति वार्षिक आधार पर दी जाएगी, जोकि मौजूदा समय में तिमाही आधार पर दी जाती है। इसके अलावा, लाइसेंस को रिनुअल करने और मौजूदा बारों में एक्सट्रा प्वाइंट्स देने की पॉवर डीईटीसी को सौंप दी गई है।
बिजनेस डेस्क। हरियाणा सरकार ने शुक्रवार को वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए एक नई एक्साइज पॉलिसी को मंजूरी दी, जिसके तहत रिटेल जोन (अधिकतम 4 खुदरा दुकानों को मिलाकर) के ई-टेंडर के माध्यम से शराब की बिक्री की जाएगी। कारख़ानों में एडिशनल शिफ्ट में संचालन की अनुमति वार्षिक आधार पर दी जाएगी, जोकि मौजूदा समय में तिमाही आधार पर दी जाती है। इसके अलावा, लाइसेंस को रिनुअल करने और मौजूदा बारों में एक्सट्रा प्वाइंट्स देने की पॉवर डीईटीसी को सौंप दी गई है। साथ ही नए लेबल/ब्रांडों की स्वीकृति ऑनलाइन की जाएगी।
आयात शुल्क किया कम
नई पॉलिसी में शराब पर आयात शुल्क 7 रुपए से घटाकर 2 रुपए प्रति थोक लीटर कर दिया गया था। वाइन कारख़ाना स्थापित करने के लिए आशय पत्र का शुल्क भी 15 लाख रुपए से घटाकर 1 लाख रुपए कर दिया गया था। इसके अलावा, एफ बार लाइसेंस शुल्क में कोई वृद्धि नहीं होगी। इसके अलावा, पंचकुला जिले की पहाडिय़ों में एक पर्यटन स्थल मोरनी को उन स्थानों की सूची में जोड़ा गया है जहां पर्यटन और एडवेंचर स्पोट्र्स को बढ़ावा देने के लिए बार लाइसेंस दिए जा सकते हैं। राज्य में कहीं भी स्थित बार और क्लब अब बार लाइसेंस मांग सकते हैं।
यहां भी रियायत
अतिरिक्त शुल्क के भुगतान के बाद बार और रिटेल वेंडर्स के पास अब लंबे समय तक काम करने की सुविधा हो सकती है। देशी शराब और आईएमएफएल का मूल कोटा क्रमश: 1100 लाख रुपए प्रूफ लीटर और 650 लाख प्रूफ लीटर होगा, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 4 फीसदी अधिक है। इसके अलावा, डिस्टिलरी को आवंटित देशी शराब का कोई निश्चित कोटा नहीं होगा, इसलिए लाइसेंस को किसी भी डिस्टिलरी के ब्रांड चुनने की पूरी स्वतंत्रता होगी। देशी शराब और आईएमएफएल के थोक लाइसेंस के लाइसेंस शुल्क में मामूली वृद्धि होगी। देशी शराब और आईएमएफएस के अधिकांश ब्रांड के न्यूनतम खुदरा बिक्री मूल्य में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
यहां भी दी छूट
नई पॉलिसी में मेट्रो शराब को छोड़कर अधिकांश ब्रांड देशी शराब और आईएमएफएस के न्यूनतम खुदरा बिक्री मूल्य में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जहां मामूली वृद्धि हुई है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, गुणवत्ता में सुधार सुनिश्चित करने के लिए आईएमएफएल ब्रांडों की एक्स डिस्टिलरी इश्यू प्राइस (ईडीपी) 1,050 रुपए प्रति केस से कम की बिक्री की अनुमति नहीं दी जाएगी। बयान में कहा गया है कि डिस्टिलर्स, नॉन-डिस्टिलर्स और ब्रुअरीज के थोक के लिए लाइसेंस शुल्क को युक्तिसंगत बनाया गया है ताकि कम बिक्री मात्रा वाले ब्रांडों के थोक विक्रेताओं को कम लाइसेंस शुल्क पर लाइसेंस मिल सके। इसके अलावा, अधिकांश आईएमएफएल ब्रांडों के उत्पाद शुल्क में कोई वृद्धि नहीं होगी। बल्कि आईएमएफएल ब्रांड प्रति मामले में 5,000 रुपये से ऊपर के पड़ोसी राज्य से आने वाली चुनौती को दूर करने के लिए थोड़ा कम उत्पाद शुल्क को आकर्षित करेंगे।
व्हिस्की और वाइन पर उत्पाद शुल्क घटा
पड़ोसी राज्यों में से किसी एक से आयातित विदेशी शराब की आवक की किसी भी संभावना को दूर करने के लिए, व्हिस्की और वाइन का उत्पाद शुल्क 225 रुपए प्रति पीएल/बीएल से घटाकर 75 रुपए प्रति पीएल/बीएल कर दिया गया था। इसी तरह बार को आपूर्ति के लिए निर्धारण शुल्क भी कम किया गया है। इसके अलावा, आयातित विदेशी शराब पर वैट 10 फीसदी से घटाकर 3 फीसदी कर दिया गया और देशी शराब, शराब, बीयर और आईएमएफएल, आदि के मामले में 13-14 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी कर दिया गया।