सार
अमेरिका ने भारत में लगने वाले गूगल टैक्स (Google Tax) पर आपत्ति जताई है। बता दें कि भारत में बिजनेस करने वाली बाहरी कंपनियों को 2 फीसदी गूगल टैक्स देना पड़ता है। अमेरिका ने भारत सहित दूसरे देशों में जाने वाले सामान पर टैक्स बढ़ाने की बात कही है।
बिजनेस डेस्क। अमेरिका ने भारत में लगने वाले गूगल टैक्स (Google Tax) पर आपत्ति जताई है। बता दें कि भारत में बिजनेस करने वाली बाहरी कंपनियों को 2 फीसदी गूगल टैक्स देना पड़ता है। अमेरिका ने भारत सहित दूसरे देशों में जाने वाले सामान पर टैक्स बढ़ाने की बात कही है। बता दें कि यह आपत्ति अमेरिका ने दूसरी बार जताई है। इसके पहले जून 2020 में अमेरिका ने कहा था कि उसे ये टैक्स मंजूर नहीं हैं। बता दें कि यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (USTR) का कहना है कि इस टैक्स को लेकर अमेरिकी कंपनियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। यह ऑर्गनाइजेशन अमेरिका के लिए व्यापार नीति बनाने का काम करता है।
क्या है गूगल टैक्स
भारत से गूगल (Google), फेसबुक (Facebook) जैसी कई कंपनियां विज्ञापनों के जरिए करोड़ों रुपए का मुनाफा कमाती हैं। इन्हें टैक्स के दायरे में लाने के लिए भारत सरकार ने इक्विलाइजेशन लेवी का कानून बनाया। यह कानून 1 अप्रैल , 2020 से लागू किया गया। इक्विलाइजेशन लेवी के दायरे में ऑनलाइन और डिजिटल एडवर्टाइजिंग स्पेस से जुड़े प्रावधान शामिल हैं। इनके तहत जो विदेशी कंपनियां भारत में सालाना 2 करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार करती हैं, उन्हें 2 फीसदी डिजिटल टैक्स देना होता है। यही गूगल टैक्स है।
यूएसटीआर ने जारी किया नोटिस
यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (USTR) ने टैक्स की जांच के लिए भारत समेत कई देशों को नोटिस जारी किया है। इनमें आस्ट्रिया, ब्राजील, इटली, स्पेन, ब्रिटेन, तुर्की, इंडोनेशिया और कुछ दूसरे देश शामिल हैं। इस ऑर्गनाइजेशन ने कहा है कि अमेरिका इन देशों को एक्सपोर्ट किए जाने वाले सामान पर टैक्स बढ़ा सकता है। इसे देखते हुए कुछ विश्लेषकों का मानना है कि कहीं इससे भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर न शुरू हो जाए।
पिछले साल गूगल ने चुकाए 604 करोड़ रुपए
यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (USTR) के मुताबिक, अमेरिका की 86 से ज्यादा कंपनियां इक्विलाइजेशन लेवी के दायरे में आती हैं। यह दूसरे देशों की तुलना में ज्यादा है। यूएसटीआर ने भारत सरकार पर आरोप लगाया है कि वह अमेरिका की कंपनियों के साथ भेदभाव कर रही है। इस लेवी की वजह से वित्त वर्ष 2017-18 में गूगल ने 550 करोड़ रुपए का टैक्स दिया, वहीं 2019-20 के दौरान उसने 604 करोड़ रुपए का टैक्स दिया है।
1974 के ट्रेड एक्ट के तहत हो रही जांच
बता दें कि यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (USTR) डिजिटल सर्विस टैक्स को लेकर भारत की जांच कर रहा है। इस जांच को सेक्शन 301 जांच का नाम दिया गया है। यह जांच 1974 के ट्रेड एक्ट के सेक्शन 301 के तहत की जा रही है। इस सेक्शन के तहत यूएसटीआर को यह अधिकार है कि अगर किसी देश के भेदभाव वाले व्यवहार से अमेरिका के व्यापार पर गलत असर पड़ता है, तो वह उस देश की जांच कर सकता है।
गूगल, अमेजन, फेसबुक ने की है शिकायत
डिजिटल सर्विस टैक्स को लेकर गूगल, अमेजन और फेसबुक जैसी अमेरिकी कंपनियों ने यूएसटीआर से शिकायत की है। इन कंपनियों ने ऑनलाइन व्यापार और विज्ञापन से होने वाली इनकम पर टैक्स लगाए जाने का विरोध किया है। अमेरिका का कहना है कि इस टैक्स से गूगल, एप्पल, फेसबुक, नेटफ्लिक्स, उबर, ईबे और जूम जैसी कंपनियों को नुकसान हो रहा है। बता दें कि भारत में इन कंपनियों को अपने व्यवसाय से अरबों रुपए की आय होती है।