सार

भारत में एक समय था जब लोग एलआईसी (LIC) का मतलब बीमा और बीमा का मतलब एलआईसी (Life Insurance Corporation of India) समझते थे। वैसे, छोटे शहर, कस्बों और गांवों में बहुत से लोग अब भी यही समझते हैं। एलआईसी का भरोसा बड़े वर्ग पर आज भी कायम है। 

नई दिल्ली। एलआईसी यानी Life Insurance Corporation of India (LIC) इन दिनों जबरदस्त चर्चा में है। ज्यादा नहीं कुछ साल पुरानी बात है, जब एलआईसी मतलब लोग बीमा समझते थे और बीमा मतलब एलआईसी। यानी बाजार में इसकी पकड़ इतनी मजबूत थी। आज भी छोटे शहरों, कस्बों और गांवों बहुत से लोग एलआईसी को ही बीमा समझते हैं और इस पर भरोसा जताते हैं। यानी एक बड़े वर्ग में इसकी साख अब भी कम नहीं हुई है। 

दावा किया जाता है कि एलआईसी के पास लगभग 30 करोड़ बीमा पॉलिसी हैं। इसमें करीब सवा लाख कर्मचारी काम करते हैं और इसका व्यापार लगभग 6 लाख करोड़ रुपए का है। वैसे तो एलआईसी 1 सितंबर 1956 से अस्तित्व में आई, मगर इसकी शुरुआत बड़े ही रोचक ढंग से हुई। इसका इतिहास भी बड़ा अनोखा है। इसके बारे में जानेंगे, लेकिन पहले भारत में बीमा कंपनियों की शुरुआत पर एक नजर डालते हैं और फिर आते हैं एलआईसी पर। 

202 साल पहले पहली बीमा कंपनी भारत आई, मगर करती थी ये गड़बड़ी 
यह बात बहुत कम लोगों को पता होगी कि भारत में पहली बीमा कंपनी थी ओरिएंटल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी। इसकी स्थापना आज से करीब 202 साल पहले सन 1818 में तब के कलकत्ता और आज के कोलकाता में हुई थी। तब भारत में ब्रिटिश साम्राज्य था और यह कंपनी इंग्लैंड से भारत आई थी। हालांकि, इसके बाद यूरोप की कई और कंपनियां भारत आईं और बीमा क्षेत्र में व्यापार करने लगीं। लेकिन तब ये कंपनियां भारत में रह रहे ब्रिटिश लोगों का ही बीमा करती थीं। मगर भारत में रहकर भारतीयों का बीमा नहीं किया जा रहा था, तो कुछ रसूखदार भारतीयों ने इस पर विरोध जताया। 

कंपटीशन बढ़ा तो धांधली हुई, फिर ऐसे रोका गया 
विरोध का असर हुआ और कंपनियों ने बीमा तो शुरू किया, मगर भारतीयों से ज्यादा प्रीमियम राशि वसूली जाती। ओरिएंटल के भारत आने के चार साल बाद 1823 में बाम्बे लाइफ इंश्योरेंस कंपनी ने भारत में काम शुरू किया। इसने कम प्रीमियम पर काम शुरू किया, तो भारतीयों की भीड़ इस तरफ आ गई। 1905 के बाद स्वदेशी आंदोलन के समय कई और बीमा कंपनियां शुरू हो गईं और 1940 तक भारतीय बाजार में इनकी भरमार हो गई। कंपटीशन बढ़ा तो बिजनेस में धांधली भी होने लगी। तब सरकार ने इन पर लगाम कसने की सोची और 19 जून 1956 को भारतीय संसद ने लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन एक्ट लागू किया। 

भरोसा और दबदबा आज भी एलआईसी का 
इस एक्ट के आने के बाद सभी बीमा कंपनियों, जिनकी संख्या तब करीब ढाई सौ थी, का टेकओवर हुआ। 1 सितंबर 1956 को एलआईसी पहली बार सामने आई। इस क्षेत्र की  एकमात्र खिलाड़ी होने की वजह से खूब बीमा मिलता। 1999 में एलआईसी एक्ट में कुछ बदलाव भी किए गए। इसके बाद दूसरी कंपनियां बाजार में आने लगीं और भारतीय बीमा नियमाक और विकास प्राधिकरण यानी आईआरडीए का गठन हुआ। बहरहाल, कंपनियां बहुत आ गईं भारतीय बाजार में, मगर भरोसा और दबदबा आज भी लोगों का एलआईसी पर ही जमा हुआ है।