सार

महाराष्ट्र के पर्यटन और पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे (Aditya Thackeray) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) को इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात शुल्क कम करने की सिफारिश की है, ये ठीक वैसा ही है जैसा टेस्ला के सीईओ एलोन मस्क भारत सरकार से चाहते हैं।  
 

बिजनेस एंड ऑटो डेस्क। टेस्ला के सीईओ एलोन मस्क ने हाल ही में कहा था कि उन्हें 'चुनौतियों' का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि ईवी निर्माता केंद्र के साथ भारत में ईवी आयात शुल्क पर बातचीत करने में व्यस्त है। वहीं महाराष्ट्र के पर्यटन और पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे (Aditya Thackeray) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) को इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात शुल्क कम करने की सिफारिश की है, ये ठीक वैसा ही है जैसा टेस्ला के सीईओ एलोन मस्क भारत सरकार से चाहते हैं। 

टेस्ला ने भी की इम्पोर्ट ड्यूटी कम करने की मांग
दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी टेस्ला ने हाल ही में अपनी कारों की भारत में बिक्री के लिए सरकार से कुछ मुद्दों पर एर राय नहीं होने की बात कही थी। वहीं इसके बाद एलन मस्क को भारत में कई राज्य सरकारों की ओर से ऑफर मिले हैं। वहीं महाराष्ट्र के पर्यटन और पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए अब टेस्ला के मालिक एलन मस्क के सुर में सुर मिलाते हुए भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात शुल्क कम करने की मांग की है।  

मंत्री आदित्य ठाकरे ने लिखा वित्त मंत्री को पत्र
ठाकरे ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को आगामी केंद्रीय बजट 2022-23 (Union Budget 2022-23) से राज्य की उम्मीदों पर अगले महीने की शुरुआत में एक पत्र लिखा है। ठाकरे ने सुझाव दिया कि केंद्र को इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात शुल्क (import duties) कम करना चाहिए। पत्र में लिखा है, "टेस्ला, रिवियन, ऑडी, बीएमडब्ल्यू (Tesla, Rivian, Audi, BMW) जैसी कई अन्य कंपनियों को खुदरा बिक्री (retail sale) के लिए वाहनों के आयात के लिए समयबद्ध रियायती सीमा शुल्क दर (time-bound concessionary customs rate) दी जानी चाहिए। इससे बाजार में आकांक्षा मूल्य को बढ़ावा देगा, निवेश को बढ़ावा मिलेगा। हमारी आपूर्ति श्रृंखला और स्टार्टअप की परिस्थितियों (startup ecosystem) को बढ़ावा मिलेगा। भारत में ऐसी कंपनियों की मार्केटिंग के लिए प्रोत्साहित करें।"

उन्होंने कहा कि भारत में मेंकिंग करने के लिए वैश्विक मानक के EV components को बेचने या आयात करने की इच्छा रखने वाली किसी भी विदेशी कंपनी के लिए रियायती दर अधिकतम तीन साल या वाहनों की एक निर्धारित सीमा हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि रियायती दर भारत की ऑटो आपूर्ति श्रृंखला में एक निश्चित निवेश गारंटी (fixed investment guarantee) या इन कार निर्माताओं से बुनियादी ढांचे को चार्ज करने के खिलाफ भी दी जा सकती है।

ठाकरे के इस लेटर में ये सुझाव भी दिया गया है कि "केवल उच्च आयात शुल्क (high import duty) केवल ग्राहक पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ को ही बढ़ाता है, इससे किसी भी उद्योग में निवेश के लिए गुंजाइश नहीं होती है क्योंकि कस्टम राजस्व (custom revenues)  सीधे क्षेत्रीय निवेश  (sectoral investments) के लिए उपयोग नहीं किया जाता है।"

आयात शुल्क में कमी की मांग
टेस्ला ने 2021 में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात शुल्क में कमी की मांग की थी। वहीं मस्क ने पिछले साल अगस्त में यह कहते हुए चिंता जताई थी कि टेस्ला जल्द ही भारत में अपनी कारों को लॉन्च करना चाहती है, लेकिन भारतीय 'आयात शुल्क दुनिया में किसी भी बड़े देश के मुकाबले सबसे ज्यादा है'। लेकिन केंद्र ने अब तक टेस्ला की मांग पर कोई रिएक्शन नहीं दिया है।  है। केंद्र चाहता है कि टेस्ला आयात शुल्क में कोई कमी करने से पहले भारत में अपनी प्रोडक्शन यूनिट शुरु करे। 

भारत वर्तमान में आयातित कारों  (imported cars) पर 60 प्रतिशत से 100 प्रतिशत के बीच सीमा शुल्क (customs duty) लगाता है। भारत पूरी तरह से आयातित कारों पर $40,000 से अधिक CIF (Cost, Insurance and Freight) मूल्य के साथ 100% आयात शुल्क लगाता है, जबकि उन कारों पर 60% शुल्क लगाया जाता है जिनकी लागत राशि से कम है।

टेस्ला इंडिया मोटर्स ने कराया पंजीयन
यूएस-आधारित कंपनी भारत में एक विनिर्माण संयंत्र (manufacturing plant) स्थापित करने और स्थानीय रूप से कारों का उत्पादन करने पर विचार कर रही है, जो कंपनी को कारों की कीमतों को किफायती रखने में मदद करेगी। पिछले साल जनवरी में इस कंपनी ने कर्नाटक (Karnataka ) में खुद को टेस्ला इंडिया मोटर्स के रूप में पंजीकृत (registered) कराया था।