सार

देश के सबसे बड़े बिजनेसमैन मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) कोरोनावायरस पीड़ितों के लिए गुजरात के जामनगर से महाराष्ट्र की रिफाइनरी कॉम्पलेक्स को ऑक्सीजन भेज रही है। इसके लिए कोई कीमत नहीं ली जा रही है। कंपनी के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
 

बिजनेस डेस्क। देश के सबसे बड़े बिजनेसमैन मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) कोरोनावायरस पीड़ितों के लिए गुजरात के जामनगर से महाराष्ट्र की रिफाइनरी कॉम्पलेक्स को ऑक्सीजन भेज रही है। इसके लिए कोई कीमत नहीं ली जा रही है। कंपनी के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। रिलायंस इंडस्ट्रीज का महाराष्ट्र में सबसे बड़ा रिफाइनरी कॉम्पलेक्स है। यह दुनिया की बड़ी रिफाइनरीज में से एक है। यहां गुजरात के जामनगर से ऑक्सीजन की सप्लाई शुरू कर दी गई है। कंपनी के एक अधिकारी के मुताबिक, इसके लिए कोई कीमत नहीं ली जाएगी।

एकनाथ शिंदे ने किया ट्वीट
महाराष्ट्र के शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने ट्वीट कर कहा कि राज्य को रिलायंस से 100 टन ऑक्सीजन गैस मिलेगी। बता दें कि भारत में कोरोनावायरस महामारी की दूसरी लहर शुरू हो गई है। यह पहले से ज्यादा खतरनाक है। महाराष्ट्र कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्य के अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए बेड की कमी हो गई है। इसके साथ ही ऑक्सीजन की भी भारी कमी है। कोरोनावायरस के गंभीर मरीजों के लिए ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है।

मेडिकल यूज के लिए तैयार किया जा रही गैस
रिलायंस पेट्रोलियम कोक गैसिफिकेशन के लिए रखे गए ऑक्सीजन को मेडिकल इस्तेमाल के लिए तैयार करके राज्य को भेज रहा है। इसका इस्तेमाल कोरोनावायरस मरीजों के लिए किया जाएगा। कंपनी के एक अधिकारी ने इसके बारे में जानकारी दी। वहीं, कंपनी का कोई स्पोक्सपर्सन इसके बारे में ज्यादा जानकारी देने के लिए उपलब्ध नहीं हो सका।

भारत पेट्रोलियम भी भेज रहा है गैस
जानकारी के मुताबिक, भारत पेट्रोलियम भी केरल के कोच्चि स्थित अपनी रिफाइनरी से 20 टन ऑक्सीजन गैस मेडिकल यूज के लिए महाराष्ट्र में भेज रहा है। यह सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी है। बता दें कि रिफाइनरीज इंडस्ट्रियल यूज के लिए सीमित मात्रा में ऑक्सीजन गैस एयर सेपरेशन प्लान्ट्स में नाइट्रोजन के प्रोडक्शन के लिए रखती है। मेडिकल यूज के लिए ऑक्सीजन को दूसरी गैसों, उदाहरण के लिए कार्बन डायऑक्साइड से अलग करना पड़ता है, ताकि वह 99.9 फीसदी प्योर हो सके।