सार

मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) ने ग्रीन एनर्जी (Green Energy) में 75 अरब डॉलर के निवेश के निवेश का ऐलान किया है। कंपनी हाइड्रोजन (Hydrogen Production) पर जोर दे सकती है। ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) पानी और क्लीन इलेक्ट्रिसिटी से बनती है और इसे भविष्य का फ्यूल कहा जा रहा है।

बिजनेस डेस्‍क। भारत अपनी जरुरत का 80 फीसदी फ्यूल बाहर से आयात करता है। जिसकी वजह से देश का इंपोर्ट बिल काफी वजनदार होता है और देश के राजकोषीय घाटे पर भी काफी असर देखने को मिलता है। अब इस स्‍थ‍ित‍ि को बदलने का काम चल रहा है। एश‍िया के दो सबसे अमीर लोग मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) और गौतम अडानी (Gautam Adani) इस पर काम कर रहे हैं। ग्रीन एनर्जी में निवेश को दोनों देश को दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन एनर्जी (Green Energy) हब बनाने में जुटे हुए हैं। मुकेश अंबानी ने तो इस सेक्‍टर में 75 अरब डॉलर यानी 5.62 लाख करोड़ रुपए से ज्‍यादा का निवेश करने की घोषणा भी कर दी है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखि‍र मुकेश अंबानी का क्‍या प्‍लान है।

हाईड्रोजन बनाने पर जोर दे सकतो हैं मुकेश अंबानी
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार रिलायंस के ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्‍ट से भारत हाइड्रोजन प्रोडक्‍शन में दुनिया का हब बन सकता है। ग्रीन एनर्जी के लिए मुकेश अंबानी ने 75 अरब डॉलर के निवेश का ऐलान भी कर दिया है। जानकारों के अनुसार कंपनी हाइड्रोजन प्रोडक्‍शन पर फोकस कर सकती है। ग्रीन हाइड्रोजन पानी और क्लीन इलेक्ट्रिसिटी से तैयार होती है और इसे फ्यूल ऑफ फ्यूचर कहा जा रहा है।

हाइड्रोजन में फ्यूचर देख रही है कंपनी
रिलायंस इंडस्‍ट्रीज अब फ्यूचर‍िस्‍ट‍िक अप्रोच के साथ काम कर रही है। यही वजह से मुकेश अंबानी हाइड्रोजन में फ्यूचर देख रहे हैं। CEEW में सेंटर फॉर एनर्जी फाइनेंस के डायरेक्टर गगन सिद्धू का कहना है कि रिलायंस ग्रीन हाइड्रोजन इकॉनमी की पूरी वैल्यू चेन को अपने हाथ में लेने की तैयारी में है। ग्रीन हाइड्रोजन उत्सर्जन की समस्या से निपटने के लिए अहम माना जा रहा है। वैसे रिलायंस के चेयरमैन ने इस बात का खुलाया नहीं किया है कि 75 अरब डॉलर में से कितना हिस्‍सा हाइड्रोजन प्रोडक्‍शन में यूज होगा। आपको बता दें क‍ि अडानी एंटरप्राइजेज, एनटीपीसी और आईओसी भी ग्रीन हाइड्रोजन पर काम करने की प्‍लानिंग कर रहे ळैं। हाइड्रोजन पर पूरा फोकस करने वाले देशों की संख्‍या अब दोगुनी होकर 26 हो गई है।

कैसे पूरा होगा टारगेट
मौजूदा समय में यह सेक्‍टर एक्सपेरीमेंटल फेज में है और इसे कमर्शियली व्यावहारिक बनने में थोड़ा समय लग सकता है। देश को पूरी उम्‍मीदें मुकेश अंबानी और गौतम अडानी पर टिकी है। इसमें सबसे बड़ा रोड़ा प्रोडक्‍शन कॉस्टिंग में कमी लाना है। अंबानी ने एक डॉलर प्रति किलो के भाव पर ग्रीन हाइड्रोजन का प्रोडक्‍शन करने टारगेट रखा है। जो मौजूदा लागत से 60 फीसदी कम है। जानकारों की मानें तो इस लक्ष्य को पाने के लिए इलेक्ट्रोलाइजर्स की कीमत में भारी कमी की जरूरत होगी। ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए इस इक्विपमेंट की जरूरत होती है। इसके अलावा 80 फीसदी से ज्यादा कैपेसिटी यूटिलाइजेशन की जरूरत होगी और हर घंटे तीन सेंट प्रति किलोवाट से भी कम कीमत पर बिजली सप्लाई चाहिए।

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